साहिब बीबी और ग़ुलाम
साहिब बीबी और ग़ुलाम
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निर्देशक | अबरार अलवी |
निर्माता | गुरु दत्त |
लेखक | बिमल मित्रा के बंगाली उपन्यास "शाहेब बीबी गोलाम" पर आधारित |
कलाकार | मीना कुमारी, गुरु दत्त, रहमान, वहीदा रहमान आदि |
संगीत | हेमन्त कुमार (संगीतकार) |
गीतकार | शकील बदायूँनी (गीतकार) |
गायक | आशा भोंसले, गीता दत्त, हेमन्त कुमार |
प्रसिद्ध गीत | भंवरा बड़ा नादान है, ना जाओ सैंया छुड़ा के बैंया |
छायांकन | वी. के. मूर्ति |
संपादन | वाई. जी. चव्हाण |
वितरक | गुरु दत्त फ़िल्म्स प्रा. लि. |
प्रदर्शन तिथि | 1962 |
भाषा | हिंदी |
अन्य जानकारी | वहीदा रहमान छोटी बहू का रोल चाहती थीं लेकिन गुरु दत्त ने उनकी कम उम्र को देखते हुये मना कर दिया। फिर वहीदा ने अबरार अलवी से कह कर अपने लिए इस फ़िल्म में रोल लिखवाया और फ़िल्म का हिस्सा बनीं। |
अद्यतन | 18:13, 4 जुलाई 2017 (IST)
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साहिब बीबी और ग़ुलाम (अंग्रेज़ी: Sahib Bibi Aur Ghulam) गुरु दत्त द्वारा निर्मित और अबरार अलवी द्वारा निर्देशित 1962 की भारतीय हिन्दी फ़िल्म है। यह बिमल मित्रा द्वारा लिखी गई बंगाली उपन्यास 'शाहेब बीबी गोलाम' पर आधारित है। यह फ़िल्म ब्रिटिश राज के दौरान 19वीं शताब्दी के अंत तथा 20वीं शताब्दी की शुरुआत में बंगाल में ज़मींदारी और सामंतवाद के दुखद पतन की झलक दिखलाती है। यह फ़िल्म कुलीन (साहिब) की एक सुंदर, अकेली पत्नी और एक कम आय अंशकालिक दास (ग़ुलाम) के बीच एक आदर्शवादी दोस्ती को दर्शाने की कोशिश करती है। इस फ़िल्म का संगीत हेमंत कुमार और गीत शकील बदायूँनी ने दिया हैं। फ़िल्म के मुख्य कलाकार गुरु दत्त, मीना कुमारी, रहमान, वहीदा रहमान और नज़ीर हुसैन थे। इस फ़िल्म को कुल चार फ़िल्मफ़ेयर पुरस्कारों से नवाज़ा गया था, जिनमें से एक फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ फ़िल्म पुरस्कार भी था। यह फ़िल्म बॉक्स ऑफ़िस पर हिट रही थी।
कहानी
गुरु दत्त, मीना कुमारी, रहमान, वहीदा रहमान अभिनीत इस सिनेमा की कहानी भूतनाथ (गुरु दत्त) के इर्द गिर्द घूमती है, जो एक पुरानी हवेली को देख कर अपने पिछले दिनों को याद करने लगता है। अबरार अलवी द्वारा निर्देशित यह सिनेमा भूतनाथ की यादों के साथ हमें लेकर चलता है। उस समय में जब भूतनाथ एक चौधरी साहब की हवेली में रहता था। एक दिन भूतनाथ को हवेली की छोटी बहू बुलाती है, जिनके पति उन पर ध्यान ना देकर बाहर मुजरों एवं नशे में ही समय बिताते हैं। हताश छोटी बहू (मीना कुमारी) और भूतनाथ की बात जो मोहिनी सिंदूर से शुरू होती है और आने वाले समय में एक अजीब से रिश्ते में बदल जाती है। दूसरी और भूतनाथ एवं उसके मालिक की बेटी जबा (वहीदा रहमान) का रिश्ता हेमंत कुमार के संगीत के ज़रिये आपको प्यार से रूबरू कराएगा। कहानी में मोड़ तब आता है, जब भूतनाथ काम के सिलसिले में हवेली छोड़ कर चला जाता है।[1]
मुख्य कलाकार
- मीना कुमारी - छोटी बहू
- गुरु दत्त - अतुल्य चक्रवर्ती उर्फ़ भूतनाथ
- रहमान - छोटे बाबू
- वहीदा रहमान - जबा
- नज़ीर हुसैन - सुबिनय बाबू
- धूमल - बंसी
- डी. के. सप्रू - मंझले बाबू
- हरिन्द्र नाथ चट्टोपाध्याय
- प्रतिमा देवी
- रंजीत कुमारी
- एस. एन. बैनर्जी
- कृष्ण धवन
- विक्रम कपूर
गीत
इस फ़िल्म के संगीतकार हेमन्त कुमार हैं और गीतकार शकील बदायूँनी हैं।
क्रमांक | गीत | गायक / गायिका |
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1. | भंवरा बड़ा नादान है | आशा भोंसले |
2. | पिया ऐसो जिया में | गीता दत्त |
3. | मेरी जान ओ मेरी जान | आशा भोंसले |
4. | मेरी बात रही मेरे मन में | आशा भोंसले |
5. | ना जाओ सैंया छुड़ा के बैंया | गीता दत्त |
6. | साहिल की तरफ़ कश्ती ले चल | हेमन्त कुमार |
7. | साक़िया आज मुझे नींद नहीं आयेगी | आशा भोंसले |
8. | चले आओ चले आओ | गीता दत्त |
रोचक तथ्य
- फ़िल्म 'काग़ज़ के फूल' के बाद गुरु दत्त ने यह फ़ैसला लिया था कि अब वह कभी भी कोई फ़िल्म का निर्देशन नहीं करेंगे और यही वजह थी कि इस फ़िल्म का निर्देशन उनके लेखक दोस्त अबरार अलवी ने किया था।
- गुरु दत्त ने पहले इस फ़िल्म को निर्देशित करने के लिए सत्येन बोस और फिर नितिन बोस से बात की। लेकिन जवाब न मिलने पर यह फ़िल्म अबरार अलवी को निर्देशित करने के लिए दे दी गई।
- गुरु दत्त चाहते थे कि भूतनाथ का किरदार शशि कपूर निभायें लेकिन समय न होने के कारण शशि कपूर ने मना कर दिया और गुरु दत्त को ही यह किरदार निभाना पड़ा।
- वहीदा रहमान छोटी बहू का रोल चाहती थीं लेकिन गुरु दत्त ने उनकी कम उम्र को देखते हुये मना कर दिया। फिर वहीदा ने अबरार अलवी से कह कर अपने लिए इस फ़िल्म में रोल लिखवाया और फ़िल्म का हिस्सा बनीं।
पुरस्कार
- 1962 - राष्ट्रपति द्वारा रजत पदक हिंदी में सर्वश्रेष्ठ फ़ीचर फिल्म के लिए
- फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ फ़िल्म पुरस्कार - गुरु दत्त
- फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री पुरस्कार - मीना कुमारी
- फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ निर्देशक पुरस्कार - अबरार अलवी
- फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ छायाकार पुरस्कार - वी. के. मूर्ति
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ साहिब बीबी और ग़ुलाम (हिंदी) www.bharatbolega.com। अभिगमन तिथि: 4 जुलाई, 2017।
बाहरी कड़ियाँ
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