सीत हरत तम हरत नित -रहीम
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सीत हरत, तम हरत नित, भुवन भरत नहिं चूक ।
‘रहिमन’ तेहि रवि को कहा, जो घटि लखै उलूक ॥
- अर्थ
सूर्य शीत को भगा देता है, अन्धकार का नाश कर देना है और सारे संसार को प्रकाश से भर देता है। पर सूर्य का क्या दोष, यदि उल्लू को दिन में दिखाई नहीं देता।
रहीम के दोहे |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
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