हमीरपुर हिमाचल प्रदेश
हमीरपुर नगर, पश्चिम-मध्य हिमाचल प्रदेश राज्य, उत्तरी भारत में है। पाइन के पेड़ों से घिरा यह शहर हिमाचल के अन्य शहरों से सामान्यत: कम ठंडा है।
स्थापना
कांगडा ज़िले से अलग करने के बाद 1972 में हमीरपुर अस्तित्व में आया था। सर्दियों में ट्रैकिंग और कैंपिग के लिए यह शहर तेज़ीसे विकसित हो रहा है। हिमाचल प्रदेश और पड़ोसी राज्यों के शहरों से यहाँ आसानी से पहुँचा जा सकता है। यहाँ के कुछ ऐतिहासिक और धार्मिक स्थल प्रसिद्ध हैं। हमीरपुर के आसपास का इलाका पर्वतीय है।
स्थिति
हमीरपुर हिमाचल-सतलुज बेसिन में भाखाड़ा बांध से लगभग 32 कि.मी. पूर्वोतर में मंडी- नदौन सड़क मार्ग पर स्थित है। हिमाचल प्रदेश की निचली पहाड़ियों पर स्थित हमीरपुर ज़िला समुद्र तल से 400 से 1100 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है।
कृषि और खनिज
हमीरपुर की आजीविका का प्रमुख साधन कृषि है; यहाँ गेहूँ, मक्का, धान, आलू, सब्ज़ियाँ, अदरक, आलूबुख़ारा, आडू और खुबानी की खेती होती है।
उद्योग और व्यापार
हमीरपुर क्षेत्र के उद्योगों में साबून-निर्माण, लकड़ी पर नक़्क़ाशी, चमड़े का काम, रेशम की बुनाई, फलों की पैकिंग और सूत कताई से जुड़े उद्योग शामिल हैं।
शिक्षण संस्थान
हमीरपुर नगर में भारत सरकार द्वारा वित्त प्रदत और प्रशासित क्षेत्रीय इंजीनियरिंग कॉलेज, हमीरपुर गवर्नमेंट पॉलीटेक्निक और गवर्नमेंट डिग्री कॉलेज स्थित हैं।
दर्शनीय स्थल
- देवसिद्ध मंदिर
बाबा बालक नाथ का यह गुफा मंदिर पूरे साल श्रद्धालुओं से भरा रहता है। बिलासपुर की सीमा पर स्थित यह मंदिर चारों तरफ के सड़क मार्ग से आसानी से पहुँचा जा सकता है। नवरात्रों के अवसर पर बाबा का आशीर्वाद लेने के लिए यहाँ लोग बड़ी संख्या में पहुँचते हैं। इस मौके पर सरकार लोगों के ठहरने की उचित टेंट कॉलोनी की व्यवस्था करती है और उसमें पानी, शौच आदि बहुत सी सुविधाएँ मुहैया कराईं जाती हैं।
- नादौन
नादौन नगर उस समय चर्चा में आया जब कांगड़ा शासकों ने अपनी राजधानी कांगड़ा क़िला जहांगीर की सेना से हारने के बाद यहाँ स्थानांतरित कर दी। उसके बाद राजा संसार चंद ने कांगड़ा क़िले को फिर से जीत लिया और कांगड़ा घाटी का शक्तिशाली शासक के रूप में आसीन हुआ। तब से नादौन का महत्व कम हो गया। शिमला-धर्मशाला मार्ग पर स्थित यह नगर व्यास नदी के किनारे बसा है। नादौन हमीरपुर से 20कि.मी. और कांगड़ा से 43 कि.मी. की दूरी पर स्थित है। इस शांत नगर में एक शिव मंदिर और प्राचीन महल बना हुआ है। प्राचीन महल में उस काल की कुछ चित्रकारियाँ देखी जा सकती है। ज्वालाजी का मंदिर भी यहाँ से अधिक दूर नहीं है। व्यास नदी के तट पर स्थित होने के कारण यहाँ फिशिंग और राफ्टिंग की भी व्यवस्था है।
- सुजानपुर तिहरा
सुजानपुर तिहरा हमीरपुर से 22 कि.मी. की दूरी पर है। यह स्थान एक जमाने में कटोक्ष वंश की राजधानी थी। यहाँ बने एक प्राचीन क़िले को देखने के लिए लोगों का नियमित आना जाना लगा रहता है। यहाँ एक विशाल मैदान है जिसमें चार दिन तक होली पर्व आयोजित किया जाता है। यहाँ एक सैनिक स्कूल भी स्थित है। धार्मिक केन्द्र के रूप में भी यह स्थान ख़ासा लोकप्रिय है और यहाँ नरबदेश्वर, गौरी शंकर और मुरली मनोहर मंदिर बने हुए हैं। साहसिक और रोमांचप्रिय पर्यटकों को सुजानपुर काफ़ी पसंद आता है क्योंकि वे यहाँ पैराग्लाइडिंग, एंगलिंग, राफ्टिंग और ट्रैकिंग जैसी गतिविधियों का आनंद ले सकते हैं।
यातायात और परिवहन
- वायु मार्ग
कांगड़ा ज़िले का गग्गल एयरपोर्ट यहाँ का निकटतम एयरपोर्ट है।
- रेल मार्ग
हमीरपुर का निकटतम ब्रोड गैज रेलवे स्टेश्ान ऊना है। रानीताल यहाँ का नजदीकी नैरो गैज रेलवे स्टेशन है जो पठानकोट-जोगिन्दर नगर रेल लाइन पर पड़ता है। हमीरपुर के लिए यहाँ से नियमित बसें चलती रहती हैं। हमीरपुर का निकटतम रेलवे स्टेशन ज्वालामुखी रोड है।
- सड़क मार्ग
हिमाचल का लगभग पूरा क्षेत्र सड़क मार्ग से हमीरपुर से जुड़ा है। हिमाचल प्रदेश के लगभग सभी शहरों और पड़ोसी शहरों से यहाँ के लिए बस सेवाएँ उपल्ाब्ध हैं।[1]
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