हरषि चले सुग्रीव तब
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हरषि चले सुग्रीव तब
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| कवि | गोस्वामी तुलसीदास |
| मूल शीर्षक | रामचरितमानस |
| मुख्य पात्र | राम, सीता, लक्ष्मण, हनुमान, रावण आदि |
| प्रकाशक | गीता प्रेस गोरखपुर |
| शैली | सोरठा, चौपाई, छन्द और दोहा |
| संबंधित लेख | दोहावली, कवितावली, गीतावली, विनय पत्रिका, हनुमान चालीसा |
| काण्ड | किष्किंधा काण्ड |
- सुग्रीव-राम संवाद और सीताजी की खोज के लिए बंदरों का प्रस्थान
हरषि चले सुग्रीव तब अंगदादि कपि साथ। |
- दोहा
तब अंगद आदि वानरों को साथ लेकर और श्रीराम जी के छोटे भाई लक्ष्मण जी को आगे करके (अर्थात् उनके पीछे-पीछे) सुग्रीव हर्षित होकर चले और जहाँ रघुनाथजी थे वहाँ आए॥20॥
| हरषि चले सुग्रीव तब |
दोहा- मात्रिक अर्द्धसम छंद है। दोहे के चार चरण होते हैं। इसके विषम चरणों (प्रथम तथा तृतीय) में 13-13 मात्राएँ और सम चरणों (द्वितीय तथा चतुर्थ) में 11-11 मात्राएँ होती हैं।
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