आचारांग सूत्र जैन धार्मिक ग्रंथ है। इसमें जैन भिक्षुओं द्वारा पालन किये जाने वाले आचरण व नियमों का उल्लेख है।
- इस सूत्र में कहा गया है कि- पृथ्वीकायिक जीवों को उतना ही कष्ट होता है, जितना कि एक जन्मान्ध, गूंगे, बहरे, विकलांग व्यक्ति के अंगों को काटने से होता है।
|
|
|
|
|
टीका टिप्पणी और संदर्भ
संबंधित लेख