देवकीपट्टन वर्तमान 'प्रभासपट्टन' ही है। इसका जैन धर्म के तीर्थ के रूप में वर्णन 'तीर्थमालाचैत्यवंदन' नामक स्तोत्र ग्रंथ में इस प्रकार है-
'वंदे स्वर्णगिरौ तथा सुरगिरौ श्रीदेवकीपट्टने'
इन्हें भी देखें: प्रभासपट्टन
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
ऐतिहासिक स्थानावली |लेखक: विजयेन्द्र कुमार माथुर |प्रकाशक: राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी, जयपुर |पृष्ठ संख्या: 441 |
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