अकाल तख्त
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विवरण | अकाल तख्त, अमृतसर में स्वर्ण मंदिर एवं पवित्र सरोवर विशाल परिसर के मध्य स्थित है, जिसका मुख्य प्रवेशद्वार उत्तर दिशा में है। |
राज्य | पंजाब |
ज़िला | अमृतसर |
भौगोलिक स्थिति | उत्तर- 31° 37' 14.00", पूर्व- 74° 52' 31.00" |
मार्ग स्थिति | अकाल तख्त अमृतसर रेलवे स्टेशन से 2 किमी की दूरी पर स्थित है। |
प्रसिद्धि | परिसर में और भी अनेक महत्त्वपूर्ण भवन एवं छोटे गुरुद्वारे हैं। |
कैसे पहुँचें | हवाई जहाज़, रेल, बस आदि |
राजा सांसी हवाई अड्डा, श्री गुरु राम दास जी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा | |
अमृतसर रेलवे स्टेशन | |
अमृतसर बस अड्डा | |
टैक्सी, ऑटो रिक्शा, रिक्शा | |
कहाँ ठहरें | होटल, अतिथि ग्रह, धर्मशाला |
एस.टी.डी. कोड | 0183 |
ए.टी.एम | लगभग सभी |
गूगल मानचित्र | |
संबंधित लेख | स्वर्ण मंदिर, जलियाँवाला बाग़, खरउद्दीन मस्जिद, बाघा बॉर्डर, हाथी गेट मंदिर, रणजीत सिंह संग्रहालय
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अन्य जानकारी | हरिमंदिर साहिब के सामने स्थित यह सफ़ेद भवन सामाजिक नीतियों तथा धार्मिक विषयों का सर्वोच्च आसन है। |
अद्यतन | 19:25, 23 फ़रवरी 2016 (IST)
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अकाल तख्त (पंजाबी भाषा का शब्द, अर्थात् कालातीत का सिंहासन), सिक्ख समुदाय की धार्मिक सत्ता का प्रमुख केंद्र है। अकाल तख्त अमृतसर शहर, सिक्खों के प्रमुख पूजा स्थल हरिमंदिर या स्वर्णमंदिर के सामने स्थित है, यह शिरोमणी अकाली दल (अग्रणी अकाली दल) का मुख्यालय भी है, जो सिक्खों में सर्वाधिक प्रभावशाली है। इसी प्रकार के सत्ता-केन्द्र आनंदपुर, पटियाला (पंजाब), पटना (बिहार) और नांदेड़ (महाराष्ट्र), में भी है। 1984 में स्वर्णमंदिर पर अधिकार करने वाले सिक्ख आतंकवादियों को निकाल बाहर करने के लिए किए गए ऑपरेशन ब्ल्यू स्टार में अकाल तख्त को भारी नुकसान पहुँचा था।
इतिहास
1708 में जब गुरु गोविन्द सिंह ने घोषणा की कि व्यक्तिगत गुरुओं (धार्मिक मार्ग निर्देशकों) की परंपरा समाप्त हो गई है, तब गुरु की सत्ता धर्मग्रंथ आदिग्रंथ में मानवीकृत मान ली गई। व्याख्या संबंधित हर विवाद पूरे सिक्ख समुदाय को मिलकर सुलझना होता है।
अमृतसर में होने वाले वार्षिक या अर्द्ध वार्षिक बैठकों में निर्णय लिए जाते हैं, जिनमें अपने निर्वाचित नेताओं के साथ विभिन्न समूह अकाल तख्त के सामने की खुली जगह पर एकत्र होते हैं। सभी फैसले सर्वसम्मति से किए जाते हैं, इसके बाद वे गुरुमत (गुरुओं का निर्णय) बन जाते हैं और सभी सिक्खों पर लागू होते हैं। 1809 तक अकाल तख्त की बैठकों में राजनीतिक और धार्मिक निर्णय लिए जाते थे। इसी वर्ष नवगठित सिक्ख राज्य के प्रमुख महाराजा रणजीत सिंह ने राजनीतिक गुरुमतों को समाप्त कर दिया और सिक्खों तथा गैर सिक्खों, दोनों से परामर्श लेने लगे।
विशेषताएँ
- अकाल तख्त, स्वर्ण मंदिर एवं पवित्र सरोवर विशाल परिसर के मध्य स्थित है, जिसका मुख्य प्रवेशद्वार उत्तर दिशा में है। इस द्वार पर एक क्लॉक टॉवर बना है। मंदिर में प्रवेश करते समय सिर पर पगड़ी या कोई कपड़ा या टोपी अवश्य होनी चाहिए। अंदर सरोवर के आसपास संगमरमर का बना परिक्रमा पथ है।
- मंदिर परिसर में दिनभर गुरुवाणी की कर्णप्रिय गूंज सुनाई देती रहती है। परिसर में और भी अनेक महत्त्वपूर्ण भवन एवं छोटे गुरुद्वारे हैं। इनमें सबसे प्रमुख अकाल तख्त है। हरिमंदिर साहिब के सामने स्थित यह सफ़ेद भवन सामाजिक नीतियों तथा धार्मिक विषयों का सर्वोच्च आसन है।
- अकाल तख्त से जारी प्रत्येक आज्ञा हर सिक्ख के लिए अनुकरणीय होती है। अकाल तख्त की स्थापना सिक्खों के छठे गुरु गुरु हरगोविंद सिंह जी ने की थी। भवन में गुरुओं के पुराने अस्त्र शस्त्र, भेंट में प्राप्त मूल्यवान वस्तुएँ तथा आभूषण आदि भी रखे हैं।
- 21वीं शताब्दी में सिक्ख सिद्धांतों या आचरण के नियमों की व्याख्या से संबंधित गैर राजनीतिक विषयों पर स्थानीय सभाओं के निर्णयों के ख़िलाफ़ अकाल तख्त में अपील की जा सकती है, वहाँ लिए गए निर्णय हुक्मनामा (आदेश) के रूप में निकाले जाते हैं। अकाल तख्त द्वारा जारी हुक्मनामा सभी सिक्खों के लिए बाध्य होता है।
- यहीं पर कोठा साहिब नामक वह स्थान भी है, जहाँ गुरु ग्रंथ साहिब को रात्रि के समय सुखासन के लिए लाया जाता है।
- प्रात:काल 3 बजे यहीं से गुरु ग्रंथ साहिब की सवारी उसी सम्मान से हरिमंदिर साहिब ले जाई जाती है। अकाल तख्त के सामने दो निशान साहिब भी स्थापित हैं।
- अकाल तख्त के गुंबद पर भी सुनहरी चमक मौजूद है।
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