बृजलाल वियाणी
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पूरा नाम | बृजलाल वियाणी |
जन्म | 6 दिसंबर, 1896 |
जन्म भूमि | अकोला,बरार, महाराष्ट्र |
मृत्यु | 27 सितंबर, 1968 |
नागरिकता | भारतीय |
प्रसिद्धि | सामाजिक और राजनीतिक कार्यकर्त्ता |
विद्यालय | मौसिस कॉलेज, नागपुर |
जेल यात्रा | स्वतंत्रता संग्राम में चार बार जेल गए। |
संबंधित लेख | पंडित रविशंकर शुक्ल, द्वारका प्रसाद मिश्र |
अन्य जानकारी | बृजलाल वियाणी 'माहेश्वरी सभा' और बरार चेम्बर ऑफ कॉमर्स की भी स्थापना की। वे गांधी जी के 'सर्वोदय सिद्धांत' को राष्ट्र की उन्नति का एकमात्र मार्ग मानते थे। वे इस बात पर बल देते थे कि मनुष्य के चरित्र में परिवर्तन से ही समाज में परिवर्तन आ सकता है। |
बृजलाल वियाणी (अंग्रेज़ी: Brajlal Biyani, जन्म- 6 दिसंबर, 1896, अकोला,बरार, महाराष्ट्र; मृत्यु- 27 सितंबर, 1968, मध्य प्रदेश) प्रमुख सामाजिक और राजनीतिक कार्यकर्त्ता थे। शिक्षा संबंधी और स्वयं सेवी संस्थाओं के वे संस्थापक थे। इन्होंने दहेज, बाल-विवाह आदि का पूरी शक्ति से विरोध किया था। बृजलाल जी प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष और प्रदेश विधान सभा तथा केन्द्रीय संसद के सदस्य थे।
जीवन परिचय
मध्य प्रदेश के प्रमुख सामाजिक और राजनीतिक कार्यकर्त्ता बृजलाल वियाणी का जन्म 6 दिसंबर, 1896 ई. को बरार में अकोला के निकट एक संपन्न व्यवसायी परिवार में हुआ था।
शिक्षा
बृजलाल वियाणी की शिक्षा नागपुर के मौसिस कॉलेज में हुई। इस शिक्षा के द्वारा वे पारिवारिक पुराने विचारों के स्थान पर नए विचारों के संपर्क में आए। वियाणी जी को सहपाठी भी पंडित रविशंकर शुक्ल, सेठ गोविन्द दास, द्वारका प्रसाद मिश्र जैसे प्रतिभावन व्यक्ति मिले। इस सबका परिणाम यह हुआ कि उन्होंने विद्यालय के अध्ययन को तिलांजलि दे दी और असहयोग आंदोलन में कूद पड़े।
सदस्यता
मध्य प्रदेश वियाणी जी का मुख्य कार्य क्षेत्र था। पर उनकी राजनीतिक गतिविधियाँ महाराष्ट्र, राजपूताना, गुजरात और दिल्ली तक फैली हुई थीं। वे स्वतंत्रता संग्राम में चार बार जेल गए। वे प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष और प्रदेश विधान सभा तथा केन्द्रीय संसद के सदस्य रहे। संविधान सभा में भी उन्होंने अपने क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया। 13 वर्ष की लम्बी अवधि तक वे विदर्भ कांग्रेस के सर्वेसर्वा थे।
समाज सुधारक
समाज सुधार के कामों में भी बृजलाल वियणी ने पूरे उत्साह से भाग लिया। दहेज, बाल-विवाह आदि का उन्होंने पूरी शक्ति से विरोध किया। अनेक शिक्षा संबंधी और स्वयं सेवी संस्थाओं के वे संस्थापक थे। उन्होंने 'माहेश्वरी सभा' और बरार चेम्बर ऑफ कॉमर्स की भी स्थापना की। वे गांधी जी के 'सर्वोदय सिद्धांत' को राष्ट्र की उन्नति का एकमात्र मार्ग मानते थे। वे इस बात पर बल देते थे कि मनुष्य के चरित्र में परिवर्तन से ही समाज में परिवर्तन आ सकता है। वे लघु और ग्रामीण उद्योगों के विकास के पक्षधर थे। गांधी जी द्वारा प्रतिपादित अहिंसा में उनका विश्वास था। इसलिए वे हिंसक कार्यों का कभी समर्थन नहीं करते थे।
निधन
27 सितंबर, 1968 ई. को बृजलाल वियणी का निधन हो गया। समाज सुधार के क्षेत्र में लोग उन्हें जमना लाल बजाज के समकक्ष मानते थे।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
शर्मा, लीलाधर भारतीय चरित कोश (हिन्दी)। भारत डिस्कवरी पुस्तकालय: शिक्षा भारती, दिल्ली, पृष्ठ 554।
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