रविशंकर शुक्ल
रविशंकर शुक्ल
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पूरा नाम | रविशंकर शुक्ल |
जन्म | 2 अगस्त, 1877 |
जन्म भूमि | सागर, मध्य प्रदेश |
मृत्यु | 31 दिसम्बर, 1956 |
मृत्यु स्थान | दिल्ली |
अभिभावक | पंडित जगन्नाथ शुक्ल, तुलसी देवी |
नागरिकता | भारतीय |
प्रसिद्धि | राजनेता तथा स्वतंत्रता सेनानी |
पार्टी | भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस |
पद | पूर्व मुख्यमंत्री, मध्य प्रदेश |
कार्य काल | 1 नवम्बर, 1956 से 31 दिसम्बर, 1956 तक। |
शिक्षा | बी.ए., एल.एल.बी. |
विद्यालय | 'हिसलोप कॉलेज', नागपुर |
अन्य जानकारी | पंडित रविशंकर शुक्ल ने 1906 में रायपुर से वकालत प्रारंभ की थी। वे स्वतंत्रता आन्दोलनों में भी भाग लेते रहे। सन 1926 से 1937 तक आप 'रायपुर ज़िला बोर्ड' के सदस्य रहे थे। |
रविशंकर शुक्ल (अंग्रेज़ी: Ravishankar Shukla; जन्म- 2 अगस्त, 1877, सागर, मध्य प्रदेश; मृत्यु- 31 दिसम्बर, 1956, दिल्ली) 'भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस' के प्रसिद्ध नेता तथा स्वतंत्रता सेनानी थे। आप 1 नवम्बर, 1956 को अस्तित्व में आये नये राज्य मध्य प्रदेश के प्रथम मुख्यमंत्री नियुक्त हुए थे। पण्डित रविशंकर शुक्ल को "नये मध्य प्रदेश के पुरोधा" के रूप में स्मरण किया जाता है।
जन्म
पंडित रविशंकर शुक्ल का जन्म ब्रिटिशकालीन भारत में 2 अगस्त, 1877 ई. में सीपी और बेरार के सागर शहर में हुआ था। इनके पिता पंडित जगन्नाथ शुक्ल और माता श्रीमती तुलसी देवी थीं।
शिक्षा
रविशंकर शुक्ल ने चार वर्ष की आयु में सागर स्थित 'सुन्दरलाल पाठशाला' में दाखिला लिया। ब्रिटिश राज में यह पाठशाला सीपी में स्थित छ: पाठशालाओं में से एक थी। इस पाठशाला से आठ वर्ष की आयु में रविशंकर जी की प्राथमिक शिक्षा पूर्ण हुई। रविशंकर जी की माध्यमिक शिक्षा पूर्ण होने के बाद इनके पिता राजनांदगाँव चले गये और अपने भाई पंडित गजाधर शुक्ल के साथ 'बेंगाल नागपुर कॉटन मिल' में सहभागी हो गए। कुछ वर्ष मिल चलाने के बाद वे रायपुर चले गये। इस दौरान रविशंकर शुक्ल ने अपनी स्कूली शिक्षा रायपूए हाईस्कूल से पूर्ण की।
पंडित रविशंकर शुक्ल ने इंटर की परीक्षा जबलपुर के 'रॉबर्टसन कॉलेज' से उत्तीर्ण की और फिर स्नातक की पढ़ाई नागपुर के 'हिसलोप कॉलेज' से पूर्ण की। नागपुर में पढ़ते हुए शुक्ल जी 'राष्ट्रीय आंदोलन' के निकट आये। वर्ष 1898 में संपन्न हुए कांग्रेस के 13वें अधिवेशन में भाग लेने आप अपने अध्यापक के साथ अमरावती गये थे। नागपुर से ही इन्होंने एल.एल.बी. की पढ़ाई पूरी की।
व्यावसायिक शुरुआत
शिक्षा पूर्ण करने के बाद रविशंकर शुक्ल सरायपाली आ गये और सूखा राहत कार्य का निरीक्षण कार्य करने लगे। इनकी ईमानदारी एवं कर्तव्यनिष्ठा के लिये शुक्ल जी को पदोन्नत कर नायाब तहसीलदार बना दिया गया। सन 1901 में इन्होंने सरकारी नौकरी छोड़ कर जबलपुर के 'हितकारिणी स्कूल' में अध्यापन कार्य शुरु किया।
मुख्यमंत्री का पद
पंडित रविशंकर शुक्ल ने 1906 से रायपुर में वकालत प्रारंभ की। वे स्वतंत्रता आन्दोलनों में भी भाग लेते रहे। सन 1926 से 1937 तक आप 'रायपुर ज़िला बोर्ड' के सदस्य रहे। 1936 में प्रांतीय धारा सभा के चुनाव में शुक्ल जी विजयी हुए और डॉ. खरे द्वारा त्यागपत्र देने के बाद अगस्त, 1938 से 10 नवम्बर, 1939 तक मुख्यमंत्री रहे। सन 1952 में प्रथम आम चुनावों के बाद आप पुन: मुख्यमंत्री बने।[1] रविशंकर शुक्ल जी राज्य पुर्नगठन के पश्चात् गठित नए मध्य प्रदेश के सर्वसम्मति से प्रथम मुख्यमंत्री बनाए गए।
निधन
पण्डित रविशंकर शुक्ल जी का निधन 31 दिसम्बर, 1956 को दिल्ली में हुआ। शुक्ल जी की स्मृति में विधान सभा सचिवालय द्वारा वर्ष 1995-1996 से उत्कृष्ट मंत्री पुरस्कार स्थापित किया गया है।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ पूर्व मुख्यमंत्री श्री रविशंकर शुक्ल (हिन्दी) एमपी पोस्ट। अभिगमन तिथि: 07 जनवरी, 2014।
बाहरी कड़ियाँ
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क्रमांक | राज्य | मुख्यमंत्री | तस्वीर | पार्टी | पदभार ग्रहण |