छबीलदास मेहता (अंग्रेज़ी: Chhabildas Mehta, जन्म- 4 नवंबर, 1925; मृत्यु- 29 नवंबर, 2008) भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के राजनीतिज्ञ तथा गुजरात के नौंवे मुख्यमंत्री थे। वह 17 फरवरी, 1994 से 14 मार्च, 1995 तक गुजरात के मुख्यमंत्री रहे। सन 1974 में नव निर्माण आंदोलन के चलते चिमनभाई पटेल को इस्तीफ़ा देना पड़ा था। इसके बाद वह कांग्रेस से अलग हो गए और ‘किसान मजदूर लोकपक्ष’ नाम से नई पार्टी बनाई।
जन्म
भावनगर जिले में जमीन जहां समुद्र से मिलती है, वहां एक क़स्बा है, महुवा। 4 नवंबर, 1925 को छबीलदास मेहता इसी कस्बे में पैदा हुए। 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन के समय उनकी उम्र थी मात्र 17 साल। उन्होंने हाईस्कूल की पढ़ाई छोड़ी और इस आंदोलन में कूद गए। जेल से निकले और फिर से पढ़ाई शुरू की।
राजनीतिक गतिविधियाँ
1952 में देश आजाद होने के पांच साल बाद पहला चुनाव होने जा रहा था। जयप्रकाश नारायण और जे. बी. कृपलानी ने जवाहरलाल नेहरू के खिलाफ बगावत करके नई पार्टी बनाई ‘प्रजा सोशलिस्ट पार्टी’। छबीलदास आजादी के आंदोलन के दौरान ही समाजवादियों के प्रभाव में आ चुके थे। उन्होंने इस नई पार्टी से स्वयं को जोड़ लिया। 1956 में बॉम्बे प्रेसीडेंसी से अलग गुजराती भाषा वाले नए राज्य की स्थापना की मांग होने लगी। इसे नाम दिया गया ‘महागुजरात आंदोलन’। छबीलदास मेहता इस आंदोलन का हिस्सा बन गए। 1960 में बॉम्बे प्रेसीडेंसी से अलग नए गुजरात राज्य का गठन हुआ। 1962 में पहले विधानसभा की घोषणा हुई। छबीलदास सोशलिस्ट पार्टी छोड़कर फिर से कांग्रेस की सरपरस्ती में आ गए और महुवा से विधायक बने। मंत्री बनने का पहला मौका आया 1973 में। चिमनभाई पटेल ने उन्हें अपने पहले कार्यकाल के दौरान मंत्रिमंडल में जगह दी और पी.डबल्यू.डी. मंत्रालय सौंपा।
सन 1974 में नव निर्माण आंदोलन के चलते चिमनभाई पटेल को इस्तीफ़ा देना पड़ा। इसके बाद वह कांग्रेस से अलग हो गए और ‘किसान मजदूर लोकपक्ष’ नाम से नई पार्टी बनाई। छबीलदास मेहता कांग्रेस में बने रहे। 1980 के विधानसभा चुनाव में उनका टिकट काट लिया गया। इसके बाद वह कांग्रेस छोड़कर जनता पार्टी में चले गए। वहां चिमनभाई पहले से मौजूद थे। 1985 का विधानसभा चुनाव उन्होंने लड़ा जनता पार्टी की टिकट पर। करीबी मुकाबले में कांग्रेस के वजुभाई जानी से 1187 वोट से चुनाव हार गए। 1990 के विधानसभा चुनाव में जनता दल की टिकट पर फिर से महुवा सीट से नामांकन दाखिल किया और पिछली हार का बदला लेने में कामयाब रहे। इस चुनाव में उन्होंने विजुभाई के 10570 वोट के मुकाबले 40445 वोट हासिल किए। चिमनभाई के साथ करीबी काम आई। नए मंत्रिमंडल में वित्त मंत्री बनाए गए। जनता दल (गुजरात) के कांग्रेस में विलय के साथ फिर से कांग्रेस में लौट आए।
सन 1995 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की हार हुई और छबीलदास मेहता को संगठन में किनारे लगाया जाना शुरू हो गया था। 1998 का विधानसभा चुनाव हारने के बाद तो लगभग अप्रासंगिक हो गए। 2001 में कांग्रेस छोड़कर शरद पवार की राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी का दामन थामा। 2002 का चुनाव लड़ा और फिर से हार गए। इसके बाद सियासत से किनारा कर लिया।
मृत्यु
2008 की 29 नवंबर को अहमदाबाद, गुजरात में उन्होंने अंतिम श्वांस ली।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
बाहरी कडियाँ
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क्रमांक | राज्य | मुख्यमंत्री | तस्वीर | पार्टी | पदभार ग्रहण |