चुमफा

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चुमफा (अंग्रेज़ी: Chumpha) मणिपुर के सबसे खास त्योहारों में से एक है और यह हर साल दिसंबर की फसल के बाद सात दिनों की अवधि के लिए मनाया जाता है। यह तंगखुल नागाओं का त्योहार है जिसे वह बहुत धूमधाम और शो के साथ मनाते हैं। इस मणिपुरी उत्सव में महिलाओं द्वारा निभाई गई भूमिका उल्लेखनीय है। त्योहार के अंतिम तीन दिनों के दौरान सामाजिक समारोहों का आयोजन किया जाता है, जहां परिवार और दोस्त सौहार्दपूर्ण ढंग से खुद को पूरी तरह से भोगने के लिए आमंत्रित करते हैं।

परिचय

तंगखुल नागा जनजाति के लोगों का निवास मणिपुर के उखरुल जिले में है। चुम्फु या चुम्फा इस समुदाय का एक विशिष्ट त्योहार है जो हर साल दिसंबर में फसल की कटाई के बाद सात दिनों तक मनाया जाता है। तंगखुल नागा इस त्योहार को बहुत धूमधाम के साथ मनाते हैं। अन्य त्योहारों से अलग इस त्योहार में महिलाओं द्वारा महत्वपूर्ण भूमिका निभाई जाती है। इस त्योहार की पूर्व संध्या पर गांव के तालाबों को साफ किया जाता है और तालाबों को अच्छी तरह से सुखा दिया जाता है। अगले दिन सुबह किसी भद्र महिला को तालाब से पानी लेने की अनुमति दी जाती है।[1]

अनूठी परंपरा

तंगखुल समुदाय की एक अनूठी परंपरा यह है कि वे पेय जल की शुद्धता पर विशेष ध्यान देते हैं। वे पीने के पानी की विशेष देखभाल करते हैं और शुद्ध व उबला हुआ पानी पीते हैं। वे सभी जल स्रोतों की समय-समय पर साफ - सफाई करते रहते हैं। वे अपने तालाबों को बाड़ से घेरकर रखते हैं तथा किसी को अपने जानवरों को नहलाने और इसमें कपड़े धोने की अनुमति नहीं देते हैं। इस समुदाय में एक परंपरा है कि जब तक चुम्फु त्योहार नहीं मनाया जाता है और आवश्यक अनुष्ठान आयोजित नहीं किए जाते हैं तब तक नया चावल खाना वर्जित है।

इस त्योहार में महिलाओं द्वारा धन की देवी की पूजा की जाती है। इस दिन पुरुष सदस्य लगातार दो रातों तक घर से बाहर रहते हैं। अगर उनके पति गलती से अनुष्ठान को देख लेते हैं तो यह माना जाता है कि आगामी वर्ष में व्यक्ति को शिकार, मछली पकड़ने या युद्ध में कोई सफलता नहीं मिलेगी। अनुष्ठान के बाद महिला अपनी सास के साथ खलिहान में पूरे परिवार के साथ चूल्हे के आसपास बैठती है और उसकी सास उसके लिए कुर्सी खाली करती है। उस खाली कुर्सी पर बहू बैठती है। कुर्सी को खाली करने का तात्पर्य यह है कि युवा दुल्हन को घर के प्रत्येक काम का प्रभार दे दिया गया और अब वह उस घर की मालकिन बन गई।[1]

समापन

त्योहार के अंतिम तीन दिन सामाजिक समारोहों और मनोरंजन कार्यक्रमों के लिए समर्पित होते हैं। सामाजिक समारोहों में सगे-सम्बन्धियों और दोस्तों को आमंत्रित किया जाता है। इस त्योहार का समापन गांव के भीतर एक जुलूस के साथ होता है।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. 1.0 1.1 मणिपुर के पर्व–त्योहार (हिंदी) apnimaati.com। अभिगमन तिथि: 28 सितम्बर, 2021।

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