दिलीपभाई रमणभाई पारिख राज्य के 13वें मुख्यमंत्री रहे। उस वक्त वह शंकरसिंह वाघेला द्वारा गठित राष्ट्रीय जनता पार्टी (आरजेपी) के साथ थे, जो भाजपा से अलग होकर बनाई गई थी। उनकी सरकार को कांग्रेस का समर्थन प्राप्त था।
सन 1990 के दशक के मध्य में दिलीपभाई रमणभाई पारिख ने बतौर भाजपा विधायक अपने राजनीतिक कॅरियर की शुरुआत की थी।
वह एक उद्योगपति थे और गुजरात चैम्बर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के अध्यक्ष भी रह चुके थे।
शंकरसिंह वाघेला 1996 में विद्रोह कर भाजपा से अलग हो गये थे और दिलीपभाई रमणभाई पारिख ने क्षेत्रीय नेता से हाथ मिला लिया तथा उनकी पार्टी आरजेपी में शामिल हो गये। इसके बाद शंकरसिंह वाघेला कांग्रेस के समर्थन से मुख्यमंत्री बने।
एक साल बाद जब मतभेदों के कारण कांग्रेस ने समर्थन वापस लेने की बात कही, तब शंकरसिंह वाघेला पीछे हट गये। समझौते के फॉर्मूले के तहत शंकरसिंह वाघेला के विश्वस्त दिलीपभाई रमणभाई पारिख ने अक्टूबर1997 में मुख्यमंत्री पद की शपथ ली और मार्च1998 तक वह मुख्यमंत्री पद पर रहे। इसके बाद भाजपा विधानसभा चुनाव जीत कर वापस सत्ता में आयी।