करनाल

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करनाल (अंग्रेज़ी: Karnal) हरियाणा का प्रसिद्ध शहर और इसी नाम के ज़िले के शासन का मुख्यालय है। करनाल शहर यमुना नदी के प्राचीन किनारे के ऊँचे भाग पर स्थित है। पहले नदी इसके समीप बहती थी, किंतु अब यहाँ से सात मील पूर्व हट कर बहती है। 12 फुट ऊँचे परकोटे से यह नगर घिरा हुआ है। अपने विभिन्न प्रकार के अनाज, कपास और नमक के बाजार के लिए भी करनाल बहुत प्रसिद्ध है। यहां पर मुख्यत: धान की खेती की जाती है। यह धान उच्च गुणवत्ता वाला होता है और इसका निर्यात विदेशों में किया जाता है। इसकी उत्तर-पश्चिम दिशा में कुरुक्षेत्र, पश्चिम में जीन्द व कैथल, दक्षिण में पानीपत और पूर्व में उत्तर प्रदेश स्थित है।

इतिहास

करनाल का विशाल क़िला बहुत समय तक अंग्रेज़ों के अधिकार में रहा और क्रमानुसार कारागार, सैनिकों का निवास स्थान, दरिद्रालय और ज़िला विद्यालय के कार्य में आता रहा। किंवदंती के अनुसार इस नगर का नाम महाभारत के प्रसिद्ध योद्धा कर्ण के नाम पर है। कहा जाता है कि इस स्थान पर कर्ण का शिविर था, इसीलिए इसे कर्णालय का नाम दिया गया था। इस स्थान पर 1739 ई. में नादिरशाह ने मुग़ल बादशाह मुहम्मदशाह रंगीले की सेना को हरा कर दिल्ली पर अधिकार कर लिया था। कुरुक्षेत्र तथा पानीपत की इतिहास प्रसिद्ध रणस्थली करनाल के निकट ही स्थित है।[1]

बाद के समय में करनाल क्रमश: जिंद के राजाओं, मरहठों और लदवा के सिक्ख राज गुरुदत्तसिंह के अधिकार में रहा। 1805 ई. में अंग्रेज़ों ने इस पर अपना अधिकार कर लिया।

उद्योग और व्यापार

करनाल शहर की सड़कें अधिकांशत: पक्की, परंतु टेढ़ी-मेढ़ी और सँकरी हैं। यहाँ देशी कपड़ा बनता है जो यहीं पर प्रयोग में आ जाता है। कंबल और जूते बाहर भेजे जाते हैं। कंबल व्यवसाय में अधिक लोग लगे हुए हैं। करनाल शहर दिल्ली तथा अंबाला से विशेष संबंधित है।


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शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

“खण्ड 2”, हिन्दी विश्वकोश, 1960 (हिन्दी), भारतडिस्कवरी पुस्तकालय: नागरी प्रचारिणी सभा वाराणसी, 414।

  1. ऐतिहासिक स्थानावली |लेखक: विजयेन्द्र कुमार माथुर |प्रकाशक: राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी, जयपुर |संकलन: भारत डिस्कवरी पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 140 |

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