लालडेंगा की अगुवाई में 'मिज़ो नेशनल फ्रंट' ने भारत सरकार के खिलाफ स्वतंत्रता के लिए 20 साल लंबी छापामार लड़ाई लड़ी। इसके बाद केंद्र के साथ 1986 में शांति समझौते पर हस्ताक्षर किए गए।
30 जून1986 को भारत सरकार और मिज़ो विद्रोहियों के बीच 'मिज़ोरम समझौता' हुआ था।
लालडेंगा को भारत पूर्व के प्रधानमंत्रीमोरारजी देसाई के आदेश पर जेल में बंद किया गया था। वरिष्ठ अधिवक्ता स्वराज कौशल ने लालडेंगा का मुकदमा लड़ा और उन्हें बाहर निकालने में सफल रहे।
स्वराज कौशल ने हालांकि न केवल लालडेंगा को रिहा कराया बल्कि उन्होंने बाद में मिज़ो विद्रोहियों और सरकार के बीच होने वाले समझौते में भी अहम भूमिका निभाई। उनकी कोशिशों की वजह से ही 30 जून, 1986 को 'मिज़ोरम समझौता' हुआ। मिज़ो नेशनल फ्रंट अब एक क्षेत्रिय राजनीतिक दल है।