नरहर विष्णु गाडगिल
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पूरा नाम | नरहर विष्णु गाडगिल |
जन्म | 10 जनवरी, 1896 |
जन्म भूमि | कस्बा मल्हारगढ़, मंदसौर, महाराष्ट्र |
मृत्यु | 12 जनवरी, 1966 |
नागरिकता | भारतीय |
प्रसिद्धि | स्वतंत्रता सेनानी, राजनीतिज्ञ, लेखक |
पार्टी | भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस |
पद | राज्यपाल, पंजाब - 15 सितम्बर, 1958 से 1 अक्टूबर, 1962 ऊर्जा मंत्री, नेहरू मंत्रिमंडल - 15 अगस्त, 1947 से 12 दिसम्बर, 1950 |
विद्यालय | फर्ग्यूसन कॉलेज |
संबंधित लेख | [लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक]], महात्मा गांधी, जवाहरलाल नेहरू और वल्लभभाई पटेल |
अन्य जानकारी | साल 1930 में शुरू हुए सविनय अवज्ञा आंदोलन के दौरान नरहर विष्णु गाडगिल को 'महाराष्ट्र सविनय अवज्ञा समिति' और 'पुणे युद्ध परिषद' के नेता के रूप में सूचीबद्ध किया गया था। |
नरहर विष्णु गाडगिल (अंग्रेज़ी: Narhar Vishnu Gadgil, जन्म- 10 जनवरी, 1896; मृत्यु- 12 जनवरी, 1966) भारत के एक राजनेता, अर्थशास्त्री, लेखक व भारतीय स्वतंत्रता संग्राम सेनानी और भारतीय संविधान सभा के सदस्य थे। उन्हें 'काका साहेब' के नाम से भी जाना गया। उन्होंने स्वतन्त्र भारत के प्रथम नेहरू मन्त्रिमण्डल में ऊर्जा मंत्री के रूप में कार्य किया था। भारत की आज़ादी से पहले स्वतंत्रता सेनानियों लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक, महात्मा गांधी, जवाहरलाल नेहरू और वल्लभभाई पटेल ने नरहर विष्णु गाडगिल को बहुत प्रभावित किया। आध्यात्मिक नेताओं रामकृष्ण परमहंस और स्वामी विवेकानंद ने भी उन पर गहरी छाप छोड़ी। नरहर विष्णु गाडगिल 1920 में कानून की डिग्री प्राप्त करने के तुरंत बाद भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में शामिल हो गए और राष्ट्रीय स्वतंत्रता आंदोलन में अपनी सक्रिय भागीदारी शुरू कर दी।
परिचय
नरहर विष्णु गाडगिल का जन्म 10 जनवरी, 1896 को मंदसौर के मल्हारगढ़ कस्बे में हुआ था। उन्होंने 1918 में पुणे के फर्ग्यूसन कॉलेज से स्नातक की उपाधि प्राप्त की और दो साल बाद कानून में डिग्री प्राप्त की। नरहर विष्णु गाडगिल सन 1946 में बॉम्बे राज्य (वर्तमान मुम्बई) से भारत की संविधान सभा के लिए मनोनीत किए गए थे। स्वतंत्रता प्राप्ति के उपरांत उन्होंने नेहरू मंत्रिमंडल में 15 अगस्त 1947 से 12 दिसंबर, 1950 तक देश के पहले ऊर्जा मंत्री के रूप कार्य किया।
राजनीति
भारत के स्वतंत्रता-पूर्व दिनों में नरहर विष्णु गाडगिल ने पूना जिला कांग्रेस कमेटी (1921-1925) के सचिव, महाराष्ट्र प्रदेश कांग्रेस कमेटी (1937-1945) के अध्यक्ष और कांग्रेस विधायक दल (1945-1947) के व्हिप और सचिव के रूप में कार्य किया। सन 1934 में वे केंद्रीय विधान सभा के लिए चुने गए।
साल 1930 में शुरू हुए सविनय अवज्ञा आंदोलन के दौरान नरहर विष्णु गाडगिल को 'महाराष्ट्र सविनय अवज्ञा समिति' और 'पुणे युद्ध परिषद' के नेता के रूप में सूचीबद्ध किया गया था। सन 1947 और 1952 के बीच गाडगिल ने स्वतंत्र भारत के पहले केंद्रीय मंत्रिमंडल में मंत्री के रूप में कार्य किया। उन्होंने लोक निर्माण और खान और बिजली के विभागों को संभाला।
केंद्रीय मंत्रिमंडल में अपने पहले वर्ष में नरहर विष्णु गाडगिल ने 1947 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में भारत की गतिविधियों के एक हिस्से के रूप में पठानकोट से जम्मू-कश्मीर के माध्यम से श्रीनगर तक एक सैन्य-कैलिबर सड़क बनाने की परियोजना शुरू की। कैबिनेट मंत्री के रूप में उन्होंने भाखड़ा , कोयना और हीराकुंड बांधों से संबंधित महत्वपूर्ण विकास परियोजनाओं की भी शुरुआत की। वे 1952 से 1955 तक कांग्रेस वर्किंग कमेटी के सदस्य रहे।
राज्यपाल
नरहर विष्णु गाडगिल ने 1958 से 1962 तक पंजाब के राज्यपाल के रूप में और 1964 में पूना विश्वविद्यालय के कुलपति के रूप में अपनी मृत्यु तक दो साल से कम समय तक सेवा की।
मृत्यु
नरहर विष्णु गाडगिल की मृत्यु [12 जनवरी]], 1966 को हुई।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
बाहरी कड़ियाँ
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