कोमल-रिषभ आसावरी (अंग्रेज़ी: Raaga Komal Rishabh Asawari]) एक बहुत ही मधुर दिन का राग है। इसे आसवारी तोड़ी भी कहा जाता है। यह राग बिलासखानी तोड़ी से मिलता जुलता राग है, पर राग बिलासखानी तोड़ी के आरोह में मध्यम व निषाद वर्ज्य हैं जबकि राग कोमल-रिषभ आसावरी में गंधार व निषाद वर्ज्य हैं। दोनों रागों में अवरोह में पंचम वर्ज्य हैं।
- यह भैरवी थाट का राग है। इस राग के पूर्वांग में राग तोड़ी, जैसे स्वर सा रे1 ग1 ; ग1 रे1 ग1 रे1 सा लगते हैं और उत्तरांग में आसावरी अंग झलकता है।[1]
- अवरोह में षड्ज (सा) को प्रायः नही लगाते, जैसे - सा' रे1' नि1 ध1 ; ध1 सा' रे1' ग1' रे1' नि1 ध1।
- इस राग में पंचम न्यास स्वर है, परन्तु अवरोह में इसको छोड़ा जाता है, जैसे सा रे1 म प ; प ध1 प ; प ध1 नि1 ध1 म ग1 रे1 ; रे1 ग1 रे1 सा।
- राग कोमल-रिषभ आसावरी में निषाद आरोह में वर्ज्य है परन्तु इसे कभी कभी अनुवादी स्वर के रूप में प्रयुक्त किया जाता है, जैसे - रे1' नि1 सा रे1' ग1' या रे1 ,नि1 सा रे1।
- यह एक मींड प्रधान राग है। इस राग को तीनों सप्तकों में गाया जा सकता है। इस राग की प्रकृति शांत और गंभीर है। यह स्वर संगतियाँ राग कोमल-रिषभ आसावरी का रूप दर्शाती हैं-
सा रे1 ,नि1 ,ध1 ; ,प ,ध1 ,नि1 ,ध1 ; ,म ,प ,ध1 ,ध1 सा ; रे1 रे1 ग1 रे1 ग1 रे1 ,नि1 ,ध1 सा ; रे1 म म प ; म प ध1 म ; प ध1 नि1 ध1 म ; म ग1 रे1 ; ग रे1 ,नि1 ,ध1 सा ; म प ध1 सा' ; सा' रे1' रे1' सा' ; सा' रे1' ग' रे1' ग' रे1' नि1 ध1 ध1 म प ; म प ध1 सा' ; प ध1 नि1 ध1 म ; प ध1 म ग1 रे1 ; ग1 रे1 ,नि1 ,ध1 सा ;
- राग कोमल रिषभ आसावरी का उपरोक्त स्वरूप ही वर्तमान में अधिक प्रचलित है जबकि प्राचीन मान्यता के अनुसार इसका अवरोह इस तरह होना चाहिए-
सा' रे1' नि1 ध1 प ; ध1 म प ; म प नि1 ध1 प ; ध1 म प ; (म)ग1 रे1 सा।
|
|
|
|
|
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ कोमल-रिषभ आसावरी (हिंदी) raagparichay.in। अभिगमन तिथि: 15 अप्रॅल, 2021।