गोविन्द विनायक करंदीकर
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पूरा नाम | गोविन्द विनायक करंदीकर |
अन्य नाम | विंदा करंदीकर |
जन्म | 23 अगस्त, 1918 |
जन्म भूमि | सिंधुदुर्ग जिले, महाराष्ट्र |
मृत्यु | 14 मार्च, 2010 |
मृत्यु स्थान | मुम्बई, महाराष्ट्र |
पति/पत्नी | सुमती करंदीकर |
कर्म भूमि | भारत |
कर्म-क्षेत्र | मराठी साहित्य |
मुख्य रचनाएँ | आदिमाया, रानीचा बाग, शश्याचे कान, परी गा परी, परम्परा अनी नवता, स्वेदगंगा, मृदगंधा आदि। |
शिक्षा | एम.ए. |
प्रसिद्धि | मराठी साहित्यकार |
नागरिकता | भारतीय |
अन्य जानकारी | विंदा करंदीकर ने 'ज्ञानेश्वरी' और 'अमृतानुभव' जैसे पुराने मराठी साहित्य का भी आधुनिकीकरण किया। अरस्तू के 'पोएटिक्स' और शेक्सपियर के 'किंग लियर' का मराठी में अनुवाद भी उन्होंने किया। |
इन्हें भी देखें | कवि सूची, साहित्यकार सूची |
गोविन्द विनायक करंदीकर (अंग्रेज़ी: Govind Vinayak Karandikar, जन्म- 23 अगस्त, 1918; मृत्यु- 14 मार्च, 2010) मराठी में रचना करने वाले प्रसिद्ध कवि, लेखक, अनुवादक व समीक्षक थे। उन्हें अधिकांशत: विंदा करंदीकर के नाम से जाना जाता है। साहित्यिक आलोचक और अनुवादक के रूप में वह विशेष तौर पर जाने जाते थे। उन्हें 2006 में 39वें 'ज्ञानपीठ पुरस्कार' से सम्मानित किया गया था।
जन्म
विंदा करंदीकर का जन्म महाराष्ट्र के वर्तमान सिंधुदुर्ग जिले के देवगढ़ तालुका के धलावाली गाँव में हुआ था।[1]
रचनाएँ
उनकी काव्य रचनाओं में प्रमुख हैं-
- संकलन
विंदा करंदीकर की चुनी हुई कविताओं के दो संकलन, 'संहिता' (1975) और 'आदिमाया' (1990) भी प्रकाशित हुए।
- बाल काव्य
बच्चों के लिए उनकी काव्य कृतियों में 'रानीचा बाग' (1961), शश्याचे कान (1963) और परी गा परी (1965) शामिल हैं।
- अनुवाद
प्रयोग करंदीकर जी की मराठी कविताओं की एक विशेषता रही है। उन्होंने अपनी कविताओं का अंग्रेजी में अनुवाद भी किया, जो "विंदा पोएम्स" (1975) के रूप में प्रकाशित हुईं। उन्होंने ज्ञानेश्वरी और अमृतानुभव जैसे पुराने मराठी साहित्य का भी आधुनिकीकरण किया। अरस्तू के 'पोएटिक्स' और शेक्सपियर के 'किंग लियर' का मराठी में अनुवाद भी विंदा करंदीकर ने किया।[1]
- लघु निबंध संग्रह
विंदा करंदीकर के लघु निबंधों के संग्रह में 'स्पर्शाची पल्वी' (1958) और 'आकाशा अर्थ' (1965) शामिल हैं।
- समीक्षा संग्रह
'परम्परा अनी नवता' (1967) उनकी विश्लेषणात्मक समीक्षाओं का एक संग्रह है।
पुरस्कार व सम्मान
- विंदा करंदीकर को 2006 में 39वें 'ज्ञानपीठ पुरस्कार' से सम्मानित किया गया था, जो भारत सरकार का सर्वोच्च साहित्यिक पुरस्कार है। विष्णु सखाराम खांडेकर (1974) और विष्णु वामन शिरवाडकर (कुसुमाराज) (1987) के बाद ज्ञानपीठ पुरस्कार जीतने वाले वे तीसरे मराठी लेखक थे।
- उनको उनके साहित्यिक कार्यों के लिए कुछ अन्य पुरस्कार भी मिले, जिनमें 'केशवसुत पुरस्कार', 'सोवियत भूमि नेहरू साहित्य पुरस्कार', 'कबीर सम्मान' और 1996 में 'साहित्य अकादमी फैलोशिप' शामिल हैं।[1]
मृत्यु
गोविन्द विनायक करंदीकर की मृत्यु 14 मार्च, 2010 को मुम्बई, महाराष्ट्र में हुई।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ 1.0 1.1 1.2 गोविंद विनायक करंदीकर (हिंदी) hindi-kavita.com। अभिगमन तिथि: 28 सितंबर, 2021।
बाहरी कड़ियाँ
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