अंग्रेज़ी

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अंग्रेज़ी वर्णमाला

अंग्रेज़ी अर्थात् इंगलिश इंग्लैण्ड देश के निवासियों की भाषा है। अब इसी सामान्य अर्थ में इस नाम का प्रयोग होता है, किन्तु यह भाषा न केवल इंग्लैण्ड में वरन् अपने न्यूनाधिक परिवर्तित रूप में अमेरिका, आस्ट्रेलिया, न्यूजीलैण्ड तथा दक्षिण अफ़्रीका के कतिपय भागों में काम में लायी जाती है। इसके अतिरिक्त संसार के अनेक देशों में सांस्कृतिक तथा व्यापारिक आदान-प्रदान के लिए अंग्रेज़ी भाषा का प्रयोग बहुसंख्यक लोग करते हैं। निश्चित रूप से यह कहना कि अंग्रेज़ी बोलने वाले लोगों की संख्या संसार में कितनी है, कठिन है। प्रोफेसर आई. ए. रिचर्ड का अनुमान है कि प्राय: 20 करोड़ लोग अंग्रेज़ी भाषा बोलते हैं। नवी शती में इंगलिश (english) शब्द से उन सभी बोलचाल की भाषाओं का बोध होता था, जो कि ब्रिटेन के ऐंग्ल, सैक्सन और जूट जाति के निवासियों में प्रचलित थी। इस तरह इंगलिश भाषा का नामकरण इंगलैण्ड देश के नामकरण के पूर्व ही हो चुका था। अंग्रेज़ी भाषा हिन्द-यूरोपीय भाषा परिवार की भाषा है और इस प्रकार से हिन्दी, उर्दू, फ़ारसी आदि भाषाओं के साथ इसका दूर का संबंध है। इसे दुनिया की सर्वप्रथम अन्तर्राष्ट्रीय भाषा माना जाता है। ये दुनिया के कई देशों की मुख्य राजभाषा है और आज के दौर में कई देशों में विज्ञान, कम्प्यूटर, साहित्य, राजनीति, और उच्च शिक्षा की भी मुख्य भाषा है। अंग्रेज़ी भाषा रोमन लिपि में लिखी जाती है।

इतिहास

ईसा पूर्व नवीं शती के लगभग केल्ट जाति के लोगों ने आधुनिक इंग्लैण्ड और आयरलैण्ड के द्वीपों पर अधिकार प्राप्त किया। तदुपरान्त उन्हीं की सभ्यता और भाषा का प्रचार हुआ। रोमन लोगों ने इस द्वीप समूह को 43 ई. में अपने अधीन किया और पाँचवीं शती के आरम्भ तक वहाँ पर राज्य करते रहे। उनकी सभ्यता का देश पर व्यापक प्रभाव पड़ा। पाँचवीं शती में जब बर्बर जातियों ने रोमन साम्राज्य को आक्रान्त किया, उस समय रोमन ब्रिटेन को छोड़कर चले गये। उसी शताब्दी में जर्मनी में एल्ब नदी के तट पर बसने वाली ट्यूटन जातियों ने ब्रिटेन पर हमला किया। इन जातियों में प्रमुख थीं– ऐंग्ल, सैक्सन और जूट। लगभग डेढ़ सौ वर्षों के अंतर्गत इन सशक्त जातियों ने प्राय: सम्पूर्ण ब्रिटेन को अपने अधिकार में कर लिया और केल्ट जाति के लोगों ने भागकर वेल्स, कार्नवाल, केन्ट आदि दूरस्थ भागों में आश्रय लिया। अंग्रेज़ी भाषा का प्रादुर्भाव इन्हीं नवागत जातियों की बोलचाल की भाषा के रूप में हुआ। विभिन्न जातियों के लोग अपनी अलग-अलग भाषा बोलते थे, किन्तु उनमें एक सामान्य एकता थी। इन बोलचाल की भाषाओं पर केल्टिक भाषा का भी प्रभाव पड़ा। इंगलिश नाम की व्युत्पत्ति ऐंग्ल से है। इस प्रारम्भिक काल से लेकर 11वीं शती तक अंग्रेज़ी भाषा का जो रूप था, उसे 'ओल्ड इंगलिश' अर्थात् 'प्राचीन अंग्रेज़ी' भाषा की संज्ञा दी जाती है। 1066 ई. में नार्मन राजा विलियम-दी-कांकरर ने हेस्टिंग्स के युद्धक्षेत्र में अंग्रेज़ों को परास्त किया और तब से अंग्रेज़ी भाषा के इतिहास में एक नवीन युग का आरम्भ हुआ। नार्मन मूलत: डेन जाति के लोग थे, जो कि अनेक शताब्दियों से फ़्राँस में बस गये थे। वे फ़्राँस के मूल निवासियों में घुल-मिल गये थे और फ़्रेच भाषा बोलते थे। इस भाँति उनके आगमन से अंग्रेज़ी भाषा पर नार्मन अथवा फ़्राँसीसी भाषा का गहरा प्रभाव पड़ा। कुछ समय तक सैक्सन और नार्मन भाषाएँ अलग रहीं, किन्तु बाद में उनका मिश्रण होने लगा और दोनों ने मिलकर भाषा का एक नवीन रूप धारण किया। 11वीं शती से 15वीं शती के बीच विकसित होने वाली अंग्रेज़ी भाषा को 'मिडिल इंगलिश' अर्थात् 'मध्यम अंग्रेज़ी' भाषा कहते हैं। 15वीं शती में सर्वप्रथम अंग्रेज़ी का आधुनिक परिनिष्ठित स्वरूप प्रकट हुआ। इस नवीन विकास के अनेक कारण थे। चॉसर की कविता, जिसमें भाषा की नवीन विशेषता थी, लोकप्रिय हुई और उसके साथ-साथ लंदन की दरबारी और कचहरी भाषा तथा ऑक्सफोर्ड के विद्वानों की परिमार्जित भाषा का भी प्रचलन बढ़ा। इन सबके मेल-जोल से एक ऐसी सामान्य परिष्कृत भाषा का आविर्भाव हुआ, जिसमें टिण्डल ने बाइबिल का अनुवाद किया (1525 ई.) और जिसमें लिखी हुई पुस्तक को कैक्स्टन ने अपने छापाख़ाने में छापकर देशभर में प्रसारित किया। तब से अब तक उसी परिनिष्ठित अंग्रेज़ी भाषा का क्रमिक विकास होता आया है। इंग्लैण्ड के विभिन्न प्रान्तों की बोलचाल की अपनी निजी भाषाएँ हैं। इन बोलचाल की भाषाओं का महत्त्व दिन-प्रति-दिन घटता जा रहा है और परिनिष्ठित अंग्रेज़ी भाषा का आधिपत्य बढ़ता ही जा रहा है। यही भाषा आज इंग्लैण्ड की साहित्यिक भाषा है। आधुनिक परिनिष्ठित अंग्रेज़ी भाषा का सबसे सीधा सम्बन्ध मध्यवर्ती इंग्लैण्ड की बोलचाल की भाषा से है। सन 1500 के बाद अंग्रेज़ी का आधुनिक काल आरंभ होता है। इसमें यूनानी भाषा के कुछ शब्द मिलने आरंभ हो गये थे। यह दौर शेक्सपियर जैसे साहित्यकार से आरंभ होता है। यह समय सन् 1800 तक चला है। यह अंग्रेज़ी का आधुनिकतम दौर कहलाता है। इसमें अंग्रेज़ी व्याकरण सरल हो चुका है और उसमें अंग्रेज़ों के नए औपनिवेशिक एशियाई और अफ्रीक़ी लोगों की भाषाओं के भी बहुत से शब्द शामिल हो गये हैं।

शब्दावली

  • अंग्रेज़ी भाषा का निर्माण दो विभिन्न उपकरणों से हुआ है। उसका मूल ढाँचा उन प्राचीन जर्मन बोलियों से लिया गया है, जिनका उल्लेख हम ऊपर कर चुके हैं। अत: जर्मन भाषा और अंग्रेज़ी भाषा में एक प्रकार का साम्य निहित है। किन्तु मध्य अंग्रेज़ी और पुनर्जागरण के काल से लेकर आज तक आधुनिक अंग्रेज़ी भाषा ने बहुसंख्यक लैटिन मूल के शब्दों को ग्रहण किया है।
  • अंग्रेज़ी शब्दावली में लैटिन, फ़्रेच, इटैलियन प्रभृति भाषाओं से लिये गये शब्दों की काफ़ी संख्या है। अंग्रेज़ी की ग्राहिकाशक्ति विशेष उल्लेखनीय है। इस जीवित भाषा में शब्दों को ग्रहण तथा आत्मसात् करने की अदभुत क्षमता है। इसका सबसे अच्छा प्रमाण वर्तमान युग में अमेरिका में मिलता है।
  • यूनाइटेड स्टेट्स की भाषा प्रधानत: अंग्रेज़ी है, किन्तु उसमें विविध स्रोतों से अनगिनत शब्द आकर घुलमिल गये हैं। अंग्रेज़ी में फ़ारसी, अरबी, संस्कृत, हिन्दी आदि के भी बहुसंख्यक शब्द लिये गये हैं। आधुनिक अंग्रेज़ी भाषा की एक और विशेष प्रवृत्ति यह है कि उसमें विभक्तियों का परित्याग करके अर्थ की अभिव्यक्ति के लिए उपसर्गों और मुहावरों से अधिकाधिक काम लिया जा रहा है। इस भाँति पुरानी अंग्रेज़ी की अपेक्षा आधुनिक अंग्रेज़ी में अर्थ विस्तार तथा सूक्ष्म भावों के प्रकाशन की शक्ति बढ़ गयी है।
  • अंग्रेज़ी शब्दों की वर्णरचना और उनके उच्चारण में कभी-कभी भेद देखा जाता है, और कुछ लोग इसे भाषा का दोष मानते हैं; किन्तु इस असंगति का कारण केवल यह है कि अंग्रेज़ी भाषा के विकास में शब्दों की ध्वनि को ही विशेष महत्त्व दिया गया, उनके अक्षरों द्वारा चित्रमय प्रदर्शन को नहीं। ध्वनि की दृष्टि से सर्वत्र कुछ न कुछ तारतम्य अवश्य मिलता है।

वर्णमाला

अंग्रेज़ी भाषा में 26 अक्षरों का प्रयोग किया जाता है। जो इस प्रकार हैं-
A B C D E F G H I J K L M N O P Q R S T U V W X Y Z

अंग्रेज़ी साहित्य

पुरानी अंग्रेज़ी का जो साहित्य उपलब्ध है, उसके आधार पर पता लगता है कि प्राचीन युग के लेखकों और कवियों की विशेष रुचि यात्रावर्णन तथा रोचक कहानी कहने में थी। उस युग की प्रमुख रचनाएँ हैं 'विडसिथ', 'दी वाण्डरर' तथा 'बिओल्फ'। मध्य अंग्रेज़ी की दो भाषाएँ थी। पश्चिमी भाषा में पूर्ववर्ती एंग्लो-सैक्सन साहित्य की परम्परा अक्षुण्ण बनी रही। इस शाखा की प्रतिनिधि रचनाएँ हैं विलियम लैगलैण्ड की 'दी विज़न आफ पीपर्स प्लाउमैन' और किसी अज्ञात कवि के द्वारा विरचित 'गेवेत एण्ड दी ग्रीन नाइट' तथा 'दी पर्ल'। दूसरी अर्थात् दक्षिण-पूर्वी शाखा के प्रतिनिधि लेखक थे-

  • जॉन गोवर (1325-1408 ई.) तथा
  • चॉसर (1340-1400 ई.)।

चॉसर को आधुनिक अंग्रेज़ी का प्रथम कवि माना जाता है और उसकी रचनाओं का अंग्रेज़ी साहित्य में विशेष महत्त्व है। इसके उपरान्त प्राय: डेढ़ सौ वर्षों तक उसका अनुसरण होता रहा और कोई महान् कवि नहीं पैदा हुआ। इसी काल में पहले कैक्स्टन ने इंग्लैण्ड में छापाख़ाना स्थापित किया। मुद्रण की सुविधा से गद्य साहित्य की विशेष उन्नति हुई। लगभग 16वीं शती के मध्य से इंग्लैण्ड में यूरोपीय नवजागरण (रिनेसाँ) का प्रभाव प्रकट होने लगा। प्राचीन साहित्य के अध्ययन के साथ ही साथ फ़्रेच तथा इटैलियन साहित्य का भी अध्ययन होने लगा और इन तीनों के सम्मिलित प्रभाव से अंग्रेज़ी साहित्य का नवोत्थान हुआ।



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