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*[[पुर्तग़ाली]] यात्री 'नूनिज' के अनुसार- 'इस समय विजयनगर में चारों ओर अराजकता एवं अशान्ति का माहौल था'। | *[[पुर्तग़ाली]] यात्री 'नूनिज' के अनुसार- 'इस समय विजयनगर में चारों ओर अराजकता एवं अशान्ति का माहौल था'। | ||
*इन्हीं परिस्थितियों का | *इन्हीं परिस्थितियों का फ़ायदा उठाकर सालुव नरसिंह के सेनानायक '[[नरसा नायक]]' ने राजमहल पर क़ब्ज़ा कर लिया। | ||
*नरसा नायक ने सालुव नरसिंह को राजगद्दी पर बैठने के लिए निमंत्रण दिया। | *नरसा नायक ने सालुव नरसिंह को राजगद्दी पर बैठने के लिए निमंत्रण दिया। | ||
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15:12, 9 जून 2011 के समय का अवतरण
- विरुपाक्ष द्वितीय (1465-1485 ई.) संगम वंश का अन्तिम शासक था।
- मल्लिकार्जुन के उत्तराधिकारी विरुपाक्ष द्वितीय के शासन काल में विजयनगर से गोवा, कोंकण एवं उत्तरी कर्नाटक के कुछ भाग अलग हो गये।
- ऐसी स्थिति में जबकि, विजयनगर राज्य टूटने की स्थिति में आ गया था, चन्द्रगिरी में गवर्नर पद पर नियुक्त सालुव नरसिंह ने विजयनगर राज्य की रक्षा की।
- 1485 ई. में विरुपाक्ष की हत्या उसके पुत्र ने कर दी।
- एक मत के अनुसार विरुपाक्ष की हत्या उसके दुराचारी होने के कारण उसके बड़े पुत्र ने की थी।
- पुर्तग़ाली यात्री 'नूनिज' के अनुसार- 'इस समय विजयनगर में चारों ओर अराजकता एवं अशान्ति का माहौल था'।
- इन्हीं परिस्थितियों का फ़ायदा उठाकर सालुव नरसिंह के सेनानायक 'नरसा नायक' ने राजमहल पर क़ब्ज़ा कर लिया।
- नरसा नायक ने सालुव नरसिंह को राजगद्दी पर बैठने के लिए निमंत्रण दिया।
- इस घटना को विजयनगर साम्राज्य के इतिहास में प्रथम ‘बलापहार’ कहा गया है।
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