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'''सांख्यवृत्ति''' सांख्यकारिका की वृत्ति है। इसका प्रकाशन सन [[1973]] ई. में 'गुजरात विश्वविद्यालय' द्वारा किया गया था। इसके सम्पादनकर्ता ई.ए. सोलोमन थे।


*यह सांख्यकारिका की वृत्ति है।
*सोलोमन के अनुसार यह सांख्यकारिका की प्राचीनतम टीका है।  
*इसका प्रकाशन सन 1973 में गुजरात विश्वविद्यालय द्वारा किया गया।
*सांख्यवृत्ति के रचयिता का नामोल्लेख नहीं किया गया है।  
*इसका सम्पादन ई.ए. सोलोमन ने किया।
*सोलोमन के अनुसार यह संभवत: स्वयं कारिकाकार [[ईश्वरकृष्ण]] की रचना है और परमार्थ कृत चीनी अनुवाद का यह आधार रहा है।  
*उनके अनुसार यह सांख्यकारिका की प्राचीनतम टीका है।  
*परमार्थ कृत चीनी भाषा के अनुवाद में 63वीं कारिका नहीं पाई जाती, जबकि सांख्यवृत्ति में यह कारिका भाष्य सहित उपलब्ध है।  
*इसके रचयिता का नामोल्लेख नहीं है।  
*सोलोमन के अनुसार यह संभवत: स्वयं कारिकाकार ईश्वरकृष्ण की रचना है और परमार्थ कृत चीनी अनुवाद का यह आधार रहा है।  
*परमार्थ कृत चीनी भाषा के अनुवाद में 63वीं कारिका नहीं पाई जाती जबकि सांख्यवृत्ति में यह कारिका भाष्य सहित उपलब्ध है।  
*सांख्यवृत्ति में 71वीं कारिका तक ही भाष्य किया गया है।  
*सांख्यवृत्ति में 71वीं कारिका तक ही भाष्य किया गया है।  
*27वीं कारिका प्रचलित कारिका जैसी न होकर इस प्रकार है-
*27वीं कारिका प्रचलित कारिका जैसी न होकर इस प्रकार है-
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<blockquote><poem>संकल्पमत्र मनस्तच्चेन्द्रियमुभयथा समाख्यातम्।  
संकल्पमत्र मनस्तच्चेन्द्रियमुभयथा समाख्यातम्।  
अन्तस्त्रिकालविषयं तस्मादुभयप्रचारं तत्॥</poem></blockquote>
अन्तस्त्रिकालविषयं तस्मादुभयप्रचारं तत्॥
</poem>
*ऐसा ही रूप युक्तिदीपिका में भी है।  
*ऐसा ही रूप युक्तिदीपिका में भी है।  
*[[सांख्य सूत्र वृत्ति|सांख्यवृत्ति]] का संभावित रचनाकाल ईसा की 6वीं शताब्दी है।  
*[[सांख्य सूत्र वृत्ति|सांख्यवृत्ति]] का संभावित रचनाकाल ईसा की 6वीं शताब्दी है।
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07:50, 30 अप्रैल 2012 के समय का अवतरण

सांख्यवृत्ति सांख्यकारिका की वृत्ति है। इसका प्रकाशन सन 1973 ई. में 'गुजरात विश्वविद्यालय' द्वारा किया गया था। इसके सम्पादनकर्ता ई.ए. सोलोमन थे।

  • सोलोमन के अनुसार यह सांख्यकारिका की प्राचीनतम टीका है।
  • सांख्यवृत्ति के रचयिता का नामोल्लेख नहीं किया गया है।
  • सोलोमन के अनुसार यह संभवत: स्वयं कारिकाकार ईश्वरकृष्ण की रचना है और परमार्थ कृत चीनी अनुवाद का यह आधार रहा है।
  • परमार्थ कृत चीनी भाषा के अनुवाद में 63वीं कारिका नहीं पाई जाती, जबकि सांख्यवृत्ति में यह कारिका भाष्य सहित उपलब्ध है।
  • सांख्यवृत्ति में 71वीं कारिका तक ही भाष्य किया गया है।
  • 27वीं कारिका प्रचलित कारिका जैसी न होकर इस प्रकार है-

संकल्पमत्र मनस्तच्चेन्द्रियमुभयथा समाख्यातम्।
अन्तस्त्रिकालविषयं तस्मादुभयप्रचारं तत्॥

  • ऐसा ही रूप युक्तिदीपिका में भी है।
  • सांख्यवृत्ति का संभावित रचनाकाल ईसा की 6वीं शताब्दी है।


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