"चंद्रगिरि": अवतरणों में अंतर
('चंद्रगिरि नगर, दक्षिण-पूर्वी आंध्र प्रदेश राज्य, द...' के साथ नया पन्ना बनाया) |
No edit summary |
||
(3 सदस्यों द्वारा किए गए बीच के 4 अवतरण नहीं दर्शाए गए) | |||
पंक्ति 1: | पंक्ति 1: | ||
चंद्रगिरि नगर, दक्षिण-पूर्वी [[आंध्र प्रदेश]] राज्य, दक्षिण-पूर्वी [[भारत]] में स्थित है। यह [[चेन्नई]] (भूतपूर्व [[मद्रास]]) से लगभग 130 किमी पश्चिमोत्तर में स्थित है। दक्षिण भारत में [[विजयनगर साम्राज्य]] के अराविडु वंश के साथ संबंध के कारण चंद्रगिरि ऐतिहासिक रूप से महत्त्वपूर्ण है। [[ | चंद्रगिरि नगर, दक्षिण-पूर्वी [[आंध्र प्रदेश]] राज्य, दक्षिण-पूर्वी [[भारत]] में स्थित है। यह [[चेन्नई]] (भूतपूर्व [[मद्रास]]) से लगभग 130 किमी पश्चिमोत्तर में स्थित है। दक्षिण भारत में [[विजयनगर साम्राज्य]] के [[अराविडु वंश]] के साथ संबंध के कारण चंद्रगिरि ऐतिहासिक रूप से महत्त्वपूर्ण है। [[तालीकोटा का युद्ध|तालिकोटा के युद्ध]] (1565) में इस वंश का शासन समाप्त हो गया और विजयनगर पर दक्कन की संयुक्त मुस्लिम सेना का क़ब्ज़ा होने पर अराविडु के तत्कालीन राजा ने चेन्नई से लगभग 320 किमी पश्चिमोत्तर में स्थित पेनुकोंडा में शरण ली। | ||
==इतिहास== | ==इतिहास== | ||
1585 में अराविडु वंश की राजधानी को चंद्रगिरि ले जाया गया, जहाँ 1000 ई. का एक दुर्ग मौजूद था, जिसे बेहतर बनाया गया। वहाँ राजाओं ने स्वयं को और अपने जीर्णशीर्ण साम्राज्य को 1646 तक बचाए रखा, जिनके बाद चंद्रगिरि पर [[गोलकुंडा]] (आधुनिक हैदराबाद) के सुल्तान का क़ब्ज़ा हो गया, फिर मुग़लों ने इस स्थान को हासिल किया (1687)। 1939 में ब्रिटिश [[ईस्ट इंडिया कंपनी]] ने अराविडु वंश के अंतिम राजा के एक आश्रित से मद्रासपटनम नामक स्थान पर एक दुर्ग और | 1585 में अराविडु वंश की राजधानी को चंद्रगिरि ले जाया गया, जहाँ 1000 ई. का एक दुर्ग मौजूद था, जिसे बेहतर बनाया गया। वहाँ राजाओं ने स्वयं को और अपने जीर्णशीर्ण साम्राज्य को 1646 तक बचाए रखा, जिनके बाद चंद्रगिरि पर [[गोलकुंडा]] (आधुनिक हैदराबाद) के सुल्तान का क़ब्ज़ा हो गया, फिर मुग़लों ने इस स्थान को हासिल किया (1687)। 1939 में ब्रिटिश [[ईस्ट इंडिया कंपनी]] ने अराविडु वंश के अंतिम राजा के एक आश्रित से मद्रासपटनम नामक स्थान पर एक दुर्ग और कारख़ाना बनाने की इजाज़त ली, जो सेंट जॉर्ज फ़ोर्ट और मद्रास नगर के रूप में विकसित हुआ। इस दुर्ग में एक संग्रहालय है, जिसमें मूर्तिशिल्प तथा शस्त्रों का रोचक संग्रह है । | ||
{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1|माध्यमिक=|पूर्णता=|शोध=}} | |||
{{लेख प्रगति | ==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | ||
|आधार= | <references/> | ||
|प्रारम्भिक= | ==संबंधित लेख== | ||
|माध्यमिक= | {{आंध्र प्रदेश के ऐतिहासिक स्थान}} | ||
|पूर्णता= | [[Category:आंध्र प्रदेश]][[Category:आंध्र प्रदेश के ऐतिहासिक स्थान]][[Category:ऐतिहासिक स्थान कोश]] | ||
|शोध= | |||
}} | |||
[[Category: | |||
__INDEX__ | __INDEX__ |
12:50, 28 सितम्बर 2012 के समय का अवतरण
चंद्रगिरि नगर, दक्षिण-पूर्वी आंध्र प्रदेश राज्य, दक्षिण-पूर्वी भारत में स्थित है। यह चेन्नई (भूतपूर्व मद्रास) से लगभग 130 किमी पश्चिमोत्तर में स्थित है। दक्षिण भारत में विजयनगर साम्राज्य के अराविडु वंश के साथ संबंध के कारण चंद्रगिरि ऐतिहासिक रूप से महत्त्वपूर्ण है। तालिकोटा के युद्ध (1565) में इस वंश का शासन समाप्त हो गया और विजयनगर पर दक्कन की संयुक्त मुस्लिम सेना का क़ब्ज़ा होने पर अराविडु के तत्कालीन राजा ने चेन्नई से लगभग 320 किमी पश्चिमोत्तर में स्थित पेनुकोंडा में शरण ली।
इतिहास
1585 में अराविडु वंश की राजधानी को चंद्रगिरि ले जाया गया, जहाँ 1000 ई. का एक दुर्ग मौजूद था, जिसे बेहतर बनाया गया। वहाँ राजाओं ने स्वयं को और अपने जीर्णशीर्ण साम्राज्य को 1646 तक बचाए रखा, जिनके बाद चंद्रगिरि पर गोलकुंडा (आधुनिक हैदराबाद) के सुल्तान का क़ब्ज़ा हो गया, फिर मुग़लों ने इस स्थान को हासिल किया (1687)। 1939 में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने अराविडु वंश के अंतिम राजा के एक आश्रित से मद्रासपटनम नामक स्थान पर एक दुर्ग और कारख़ाना बनाने की इजाज़त ली, जो सेंट जॉर्ज फ़ोर्ट और मद्रास नगर के रूप में विकसित हुआ। इस दुर्ग में एक संग्रहालय है, जिसमें मूर्तिशिल्प तथा शस्त्रों का रोचक संग्रह है ।
|
|
|
|
|