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'''घाघरा का युद्ध''' '[[भारतीय इतिहास]]' में लड़े गये प्रसिद्ध युद्धों में से एक था। यह युद्ध [[6 मई]], 1529 ई. को [[मुग़ल]] बादशाह [[बाबर]] और [[अफ़ग़ान|अफ़ग़ानों]] के मध्य लड़ा गया था। युद्ध में बाबर ने महमूद लोदी के नेतृत्व में अफ़ग़ानों को करारी शिकस्त दी। | '''घाघरा का युद्ध''' '[[भारतीय इतिहास]]' में लड़े गये प्रसिद्ध युद्धों में से एक था। यह युद्ध [[6 मई]], 1529 ई. को [[मुग़ल]] बादशाह [[बाबर]] और [[अफ़ग़ान|अफ़ग़ानों]] के मध्य लड़ा गया था। युद्ध में बाबर ने महमूद लोदी के नेतृत्व में लड़ रहे अफ़ग़ानों को करारी शिकस्त दी। | ||
*बाबर ने 'घाघरा के युद्ध' में [[बंगाल (आज़ादी से पूर्व)|बंगाल]] एवं [[बिहार]] की संयुक्त सेनाओं को परास्त किया। | *बाबर ने 'घाघरा के युद्ध' में [[बंगाल (आज़ादी से पूर्व)|बंगाल]] एवं [[बिहार]] की संयुक्त सेनाओं को परास्त किया। |
06:14, 17 अप्रैल 2013 के समय का अवतरण
घाघरा का युद्ध 'भारतीय इतिहास' में लड़े गये प्रसिद्ध युद्धों में से एक था। यह युद्ध 6 मई, 1529 ई. को मुग़ल बादशाह बाबर और अफ़ग़ानों के मध्य लड़ा गया था। युद्ध में बाबर ने महमूद लोदी के नेतृत्व में लड़ रहे अफ़ग़ानों को करारी शिकस्त दी।
- बाबर ने 'घाघरा के युद्ध' में बंगाल एवं बिहार की संयुक्त सेनाओं को परास्त किया।
- घाघरा युद्ध की यह विशेषता थी कि यह जल एवं थल दोनों पर लड़ा गया था।
- युद्ध के परिणामस्वरूप बाबर का साम्राज्य ऑक्सस से घाघरा एवं हिमालय से ग्वालियर तक पहुँच गया।
- घाघरा युद्ध के बाद बाबर ने बंगाल के शासक नुसरतशाह से संधि कर उसके साम्राज्य की संप्रभुता को स्वीकार किया।
- नुसरतशाह ने बाबर को आश्वासन दिया कि वह बाबर के शत्रुओं को अपने साम्राज्य में शरण नहीं देगा।
- इस युद्ध के लगभग डेढ़ वर्ष बाद ही बीमारी के कारण 26 दिसम्बर, 1530 को बाबर की मृत्यु हो गई।
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