"सांख्य सप्ततिवृत्ति": अवतरणों में अंतर

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:नेविगेशन, खोजें
छो (Text replace - "Category:दर्शन" to "")
No edit summary
 
(एक दूसरे सदस्य द्वारा किए गए बीच के 2 अवतरण नहीं दर्शाए गए)
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
*ई.ए. सोलोमन द्वारा सम्पादित दूसरी पुस्तक है।  
ई.ए. सोलोमन द्वारा सम्पादित दूसरी पुस्तक है।  
*यह भी सांख्यसप्तति की टीका है।  
*यह भी सांख्यसप्तति की टीका है।  
*इस पुस्तक का रचनाकाल भी प्राचीन माना गया।  
*इस पुस्तक का रचनाकाल भी प्राचीन माना गया।  
*संभावना यह व्यक्त की गई कि सांख्यवृत्ति के निकट परवर्ती काल की यह रचना होगी।  
*संभावना यह व्यक्त की गई कि सांख्यवृत्ति के निकट परवर्ती काल की यह रचना होगी।  
*इसके रचयिता का पूरा नाम पाण्डुलिपि में उपलब्ध नहीं है। केवल 'मा' उपलब्ध है। यह माधव या माठर हो सकता है।  
*इसके रचयिता का पूरा नाम [[पाण्डुलिपि]] में उपलब्ध नहीं है। केवल 'मा' उपलब्ध है। यह माधव या माठर हो सकता है।  
*अनुयोग द्वार सूत्र में सांख्याचार्यों की सूची में माधव का उल्लेख मिलता है। यह माठर ही रहा होगा<ref>एन्सायक्लोपीडिया पृष्ठ 168</ref>।  
*अनुयोग द्वार सूत्र में सांख्याचार्यों की सूची में माधव का उल्लेख मिलता है। यह माठर ही रहा होगा<ref>एन्सायक्लोपीडिया पृष्ठ 168</ref>।  
*यह 5वीं शताब्दी से पूर्व रहा होगा।  
*यह 5वीं शताब्दी से पूर्व रहा होगा।  
पंक्ति 10: पंक्ति 10:
*माठरवृत्ति में [[पुराण|पुराणों]] को अधिक उद्धृत किया गया है जबकि इस पुस्तक में आयुर्वेदीय ग्रंन्थों के उद्धरण अधिक हैं।  
*माठरवृत्ति में [[पुराण|पुराणों]] को अधिक उद्धृत किया गया है जबकि इस पुस्तक में आयुर्वेदीय ग्रंन्थों के उद्धरण अधिक हैं।  
*माठरवृत्ति की ही तरह इसमें भी 63 कारिकाएँ हैं<ref>एन्सायक्लोपीडिया, पृष्ठ 193</ref>।
*माठरवृत्ति की ही तरह इसमें भी 63 कारिकाएँ हैं<ref>एन्सायक्लोपीडिया, पृष्ठ 193</ref>।
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==                                                       
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==                                                       
<references/>
<references/>
==सम्बंधित लिंक==
==संबंधित लेख==
{{सांख्य दर्शन2}}
{{सांख्य दर्शन2}}
{{सांख्य दर्शन}}
{{सांख्य दर्शन}}

11:04, 23 अप्रैल 2013 के समय का अवतरण

ई.ए. सोलोमन द्वारा सम्पादित दूसरी पुस्तक है।

  • यह भी सांख्यसप्तति की टीका है।
  • इस पुस्तक का रचनाकाल भी प्राचीन माना गया।
  • संभावना यह व्यक्त की गई कि सांख्यवृत्ति के निकट परवर्ती काल की यह रचना होगी।
  • इसके रचयिता का पूरा नाम पाण्डुलिपि में उपलब्ध नहीं है। केवल 'मा' उपलब्ध है। यह माधव या माठर हो सकता है।
  • अनुयोग द्वार सूत्र में सांख्याचार्यों की सूची में माधव का उल्लेख मिलता है। यह माठर ही रहा होगा[1]
  • यह 5वीं शताब्दी से पूर्व रहा होगा।
  • सांख्यसप्तति वृत्ति 'माठरवृत्ति' के लगभग समान है।
  • सोलोमन के अनुसार वर्तमान माठरवृत्ति इसी सांख्यकारिकावृत्ति का विस्तार प्रतीत होता है।
  • माठरवृत्ति में पुराणों को अधिक उद्धृत किया गया है जबकि इस पुस्तक में आयुर्वेदीय ग्रंन्थों के उद्धरण अधिक हैं।
  • माठरवृत्ति की ही तरह इसमें भी 63 कारिकाएँ हैं[2]


टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. एन्सायक्लोपीडिया पृष्ठ 168
  2. एन्सायक्लोपीडिया, पृष्ठ 193

संबंधित लेख