"जीवन -आरसी प्रसाद सिंह": अवतरणों में अंतर
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चलता है, तो चल आँधी-सा ; बढता जा आगे तू! | चलता है, तो चल आँधी-सा; बढता जा आगे तू! | ||
जलना है, तो जल फूसों-सा ; जीवन में करता धू-धू! | जलना है, तो जल फूसों-सा; जीवन में करता धू-धू! | ||
क्षण भर ही आँधी रहती है; आग फूस की भी क्षण भर! | |||
किन्तु उसी क्षण में हो जाता जीवन-मय भू से अम्बर! | किन्तु उसी क्षण में हो जाता जीवन-मय भू से अम्बर! | ||
10:55, 8 जुलाई 2013 के समय का अवतरण
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चलता है, तो चल आँधी-सा; बढता जा आगे तू! |
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