"बेदारा की लड़ाई": अवतरणों में अंतर
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*कलकत्ता (वर्तमान [[कोलकाता]]) से कुछ मील दूर चिनसुरा में रहने वाले डच लोग अंग्रेज़ों को अपदस्थ करना चाहते थे। | *कलकत्ता (वर्तमान [[कोलकाता]]) से कुछ मील दूर चिनसुरा में रहने वाले डच लोग अंग्रेज़ों को अपदस्थ करना चाहते थे। | ||
*डचों ने | *डचों ने [[मीर ज़ाफ़र|नवाब मीर ज़ाफ़र]] के साथ साँठ-गाँठ कर जावा स्थित अपनी बस्तियों से सैनिक सामग्री मँगाने का प्रयास किया। | ||
*[[रॉबर्ट क्लाइब]] इस समय [[बंगाल]] का [[गवर्नर-जनरल]] था। | *[[रॉबर्ट क्लाइब]] इस समय [[बंगाल]] का [[गवर्नर-जनरल]] था। | ||
*क्लाइब ने डचों के इरादे का पूर्वानुमान लगाकर उन्हें चिनसुरा के निकट 'बेदारा' कि लड़ाई में पराजित कर दिया। | *क्लाइब ने डचों के इरादे का पूर्वानुमान लगाकर उन्हें चिनसुरा के निकट 'बेदारा' कि लड़ाई में पराजित कर दिया। |
12:57, 18 जुलाई 2013 के समय का अवतरण
बेदारा या 'बिदर्रा' की लड़ाई नवम्बर, 1759 ई. में लड़ी गई थी। यह लड़ाई अंग्रेज़ों और डचों के बीच लड़ी गई। इस लड़ाई में डचों की अंग्रेज़ों द्वारा पूर्णत: पराजय हुई।
- कलकत्ता (वर्तमान कोलकाता) से कुछ मील दूर चिनसुरा में रहने वाले डच लोग अंग्रेज़ों को अपदस्थ करना चाहते थे।
- डचों ने नवाब मीर ज़ाफ़र के साथ साँठ-गाँठ कर जावा स्थित अपनी बस्तियों से सैनिक सामग्री मँगाने का प्रयास किया।
- रॉबर्ट क्लाइब इस समय बंगाल का गवर्नर-जनरल था।
- क्लाइब ने डचों के इरादे का पूर्वानुमान लगाकर उन्हें चिनसुरा के निकट 'बेदारा' कि लड़ाई में पराजित कर दिया।
- इससे डचों की प्रभुता की सभी सम्भावनाएँ नष्ट हो गईं और बंगाल में अंग्रेज़ों का कोई यूरोपीय प्रतिस्पर्द्धी शेष नहीं रह गया।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
भारतीय इतिहास कोश |लेखक: सच्चिदानन्द भट्टाचार्य |प्रकाशक: उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान |पृष्ठ संख्या: 295 |