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*इस शहर के इतिहास को लेकर कई प्रकार के भ्रम हैं। सामान्यत: यह माना जाता है कि मऊ शब्द तुर्किश शब्द से लिया गया है, जिसका अर्थ गढ़, पांडव और छावनी होता है। वस्तुत: इस जगह के इतिहास के बारे में कोई ऐतिहासिक प्रमाण उपलब्ध नहीं है।
*इस शहर के इतिहास को लेकर कई प्रकार के भ्रम हैं। सामान्यत: यह माना जाता है कि मऊ शब्द तुर्किश शब्द से लिया गया है, जिसका अर्थ गढ़, पांडव और छावनी होता है। वस्तुत: इस जगह के इतिहास के बारे में कोई ऐतिहासिक प्रमाण उपलब्ध नहीं है।
*माना जाता है प्रसिद्ध शासक [[शेरशाह सूरी]] के शासन काल के दौरान इस क्षेत्र में कई आर्थिक विकास करवाए गए। वहीं मिलिटरी बेस और शाही मस्जिद के निर्माण में काफ़ी संख्या में श्रमिक और कारीगर [[मुग़ल]] सैनिकों के साथ यहाँ आए थे।
*माना जाता है प्रसिद्ध शासक [[शेरशाह सूरी]] के शासन काल के दौरान इस क्षेत्र में कई आर्थिक विकास करवाए गए। वहीं मिलिटरी बेस और शाही मस्जिद के निर्माण में काफ़ी संख्या में श्रमिक और कारीगर [[मुग़ल]] सैनिकों के साथ यहाँ आए थे।
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==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
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<references/>
*पुस्तक- ऐतिहासिक स्थानावली, लेखक-विजयेन्द्र कुमार माथुर, प्रकाशन- राजस्थान ग्रंथ अकादमी जयपुर
*ऐतिहासिक स्थानावली | विजयेन्द्र कुमार माथुर |  वैज्ञानिक तथा तकनीकी शब्दावली आयोग | मानव संसाधन विकास मंत्रालय, भारत सरकार


==बाहरी कड़ियाँ==
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08:01, 1 अगस्त 2013 के समय का अवतरण

मऊ उत्तर प्रदेश राज्य में स्थित है। यह तमसा नदी के तट पर बसा हुआ एक शहर है, जो मऊ ज़िले का मुख्यालय है। इसका पूर्व नाम 'मऊनाथ भंजन' था। अवन्तिकापुरी, गोविन्द साहिब, दत्तात्रेय, दोहरी घाट, मेहनगर, मुबारकपुर, महाराजगंज, नि‍ज़ामाबाद और आजमगढ़ मऊ के प्रमुख स्थलों में गिने जाते है।

  • मऊ ज़िला लखनऊ के दक्षिण-पूर्व से 282 किलोमीटर और आजमगढ़ के पूर्व से 56 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। तमसा नदी शहर के बीच से गुजरती है।
  • इस शहर के इतिहास को लेकर कई प्रकार के भ्रम हैं। सामान्यत: यह माना जाता है कि मऊ शब्द तुर्किश शब्द से लिया गया है, जिसका अर्थ गढ़, पांडव और छावनी होता है। वस्तुत: इस जगह के इतिहास के बारे में कोई ऐतिहासिक प्रमाण उपलब्ध नहीं है।
  • माना जाता है प्रसिद्ध शासक शेरशाह सूरी के शासन काल के दौरान इस क्षेत्र में कई आर्थिक विकास करवाए गए। वहीं मिलिटरी बेस और शाही मस्जिद के निर्माण में काफ़ी संख्या में श्रमिक और कारीगर मुग़ल सैनिकों के साथ यहाँ आए थे।
  • भारत के स्वतंत्रता आन्दोलन के समय में भी मऊ की महत्त्वपूर्ण भूमिका रही। 3 अक्टूबर, सन 1939 ई. में महात्मा गांधी का इस स्थान पर आगमन हुआ था।[1]


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. मऊ, उत्तर प्रदेश (हिन्दी)। । अभिगमन तिथि: 8 नवम्बर, 2012।
  • ऐतिहासिक स्थानावली | विजयेन्द्र कुमार माथुर | वैज्ञानिक तथा तकनीकी शब्दावली आयोग | मानव संसाधन विकास मंत्रालय, भारत सरकार

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संबंधित लेख