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*'''नरसा नायक''' [[विजयनगर साम्राज्य]] के [[सालुव वंश]] का एक सेनानायक था।
'''नरसा नायक''' [[विजयनगर साम्राज्य]] के [[सालुव वंश]] का एक सेनानायक था। वह सालुव वंश के दूसरे और अन्तिम अल्प वयस्क शासक [[इम्माडि नरसिंह]] का संरक्षक था।
*वह सालुव वंश के दूसरे और अन्तिम अल्प वयस्क शासक [[इम्माडि नरसिंह]] का संरक्षक था।
 
*नरसा नायक ने उस बाल शासक को एक प्रकार से बन्दी बना लिया और शासन संचालन की समस्त शक्ति को अपने हाथों में ले लिया।
*नरसा नायक ने उस बाल शासक इम्माडि नरसिंह को एक प्रकार से बन्दी बना लिया और शासन संचालन की समस्त शक्ति को अपने हाथों में ले लिया।
*यह कार्य उसने बहुत ही चतुरता एवं कठोरता से किया था।
*यह कार्य उसने बहुत ही चतुरता एवं कठोरता से किया था।
*इम्माडि नरसिंह को नरसा ने पेनकोंडा के क़िले में क़ैद कर दिया।
*इम्माडि नरसिंह को नरसा ने पेनकोंडा के क़िले में क़ैद कर दिया।
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*नरसा नायक ने [[चोल वंश|चोल]], [[पाण्ड्य साम्राज्य|पाण्ड्य]] एवं [[चेर वंश|चेर]] शासकों को भी विजयनगर साम्राज्य की अधीनता स्वीकार करने के लिए विवश किया।
*नरसा नायक ने [[चोल वंश|चोल]], [[पाण्ड्य साम्राज्य|पाण्ड्य]] एवं [[चेर वंश|चेर]] शासकों को भी विजयनगर साम्राज्य की अधीनता स्वीकार करने के लिए विवश किया।
*1503 ई. में नरसा नायक की मृत्यु हो गई।
*1503 ई. में नरसा नायक की मृत्यु हो गई।
*उसकी मृत्यु के उपरान्त उसका पुत्र वीर नरसिंह ही इम्माडि नरसिंह का संरक्षक बना।
*उसकी मृत्यु के उपरान्त उसका पुत्र [[वीर नरसिंह]] ही इम्माडि नरसिंह का संरक्षक बना।
*1505 ई. में [[इम्माडि नरसिंह]] की हत्या वीर नरसिंह ने कर दी और वह स्वयं शासक बन बैठा।
*1505 ई. में [[इम्माडि नरसिंह]] की हत्या वीर नरसिंह ने कर दी और वह स्वयं शासक बन बैठा।
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09:27, 31 अगस्त 2013 के समय का अवतरण

नरसा नायक विजयनगर साम्राज्य के सालुव वंश का एक सेनानायक था। वह सालुव वंश के दूसरे और अन्तिम अल्प वयस्क शासक इम्माडि नरसिंह का संरक्षक था।

  • नरसा नायक ने उस बाल शासक इम्माडि नरसिंह को एक प्रकार से बन्दी बना लिया और शासन संचालन की समस्त शक्ति को अपने हाथों में ले लिया।
  • यह कार्य उसने बहुत ही चतुरता एवं कठोरता से किया था।
  • इम्माडि नरसिंह को नरसा ने पेनकोंडा के क़िले में क़ैद कर दिया।
  • अपने 12-13 वर्ष के शासन काल में नरसा नायक ने रायचूर, दोआब के अनेक क़िलों पर अधिकार कर लिया।
  • इसके अतिरिक्त नरसा नायक बीजापुर, बीदर, मदुरा, श्रीरंगपट्टम के शासकों के विरुद्ध किये गये अपने अभियान में सफल रहा।
  • उसने बीजापुर के शासक प्रतापरुद्र देव (गजपति) को भी परास्त किया।
  • नरसा नायक ने चोल, पाण्ड्य एवं चेर शासकों को भी विजयनगर साम्राज्य की अधीनता स्वीकार करने के लिए विवश किया।
  • 1503 ई. में नरसा नायक की मृत्यु हो गई।
  • उसकी मृत्यु के उपरान्त उसका पुत्र वीर नरसिंह ही इम्माडि नरसिंह का संरक्षक बना।
  • 1505 ई. में इम्माडि नरसिंह की हत्या वीर नरसिंह ने कर दी और वह स्वयं शासक बन बैठा।
  • इम्माडि नरसिंह की हत्या के साथ ही सालुव वंश का अन्त हो गया।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

भट्टाचार्य, सच्चिदानन्द भारतीय इतिहास कोश, द्वितीय संस्करण-1989 (हिन्दी), भारत डिस्कवरी पुस्तकालय: उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान, 217।

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