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'''इम्माडि नरसिंह''' (1491-1505 ई.) [[विजयनगर साम्राज्य]] के [[सालुव नरसिंह]] का पुत्र था। [[पिता]] की मृत्यु के बाद वह साम्राज्य का उत्तराधिकारी बना था। किंतु उसकी अल्प वयस्कता से लाभ उठाकर सेनानायक [[नरसा नायक]] ने उसे बन्दी बना लिया और साम्राज्य पर स्वयं अधिकार कर लिया। | |||
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*अपने 12-13 वर्ष के शासन काल में नरसा नायक ने [[रायचूर कर्नाटक|रायचूर]], [[दोआब]] के अनेक क़िलों पर अधिकार कर लिया। | |||
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*उसने बीजापुर के शासक प्रतापरुद्र देव (गजपति) को भी परास्त किया। | *उसने बीजापुर के शासक प्रतापरुद्र देव (गजपति) को भी परास्त किया। | ||
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09:34, 31 अगस्त 2013 के समय का अवतरण
इम्माडि नरसिंह (1491-1505 ई.) विजयनगर साम्राज्य के सालुव नरसिंह का पुत्र था। पिता की मृत्यु के बाद वह साम्राज्य का उत्तराधिकारी बना था। किंतु उसकी अल्प वयस्कता से लाभ उठाकर सेनानायक नरसा नायक ने उसे बन्दी बना लिया और साम्राज्य पर स्वयं अधिकार कर लिया।
- इम्माडि नरसिंह के संरक्षक नरसा नायक ने उचित मौके पर सम्पूर्ण उत्तर भारत पर अधिकार कर लिया और स्वंय शासक बन गया।
- इम्माडि नरसिंह को नरसा ने पेनकोंडा के क़िले में क़ैद कर दिया।
- अपने 12-13 वर्ष के शासन काल में नरसा नायक ने रायचूर, दोआब के अनेक क़िलों पर अधिकार कर लिया।
- इसके अतिरिक्त नरसा नायक बीजापुर, बीदर, मदुरा, श्रीरंगपट्टम के शासकों के विरुद्ध किये गये अभियान में सफल रहा।
- उसने बीजापुर के शासक प्रतापरुद्र देव (गजपति) को भी परास्त किया।
- नरसा नायक ने चोल, पाण्ड्य एवं चेर शासकों को भी विजयनगर साम्राज्य की अधीनता स्वीकार करने के लिए विवश किया।
- 1505 ई. इम्माडि नरसिंह की हत्या नरसा नायक के पुत्र वीर नरसिंह ने कर दी।
- इम्माडि नरसिंह की हत्या के साथ ही सालुव वंश का अन्त हो गया।
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