"नैन लख्यो जब कुंजन तैं -रसखान": अवतरणों में अंतर
भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
गोविन्द राम (वार्ता | योगदान) No edit summary |
गोविन्द राम (वार्ता | योगदान) No edit summary |
||
पंक्ति 33: | पंक्ति 33: | ||
नैन लख्यो जब कुंजन तैं, बनि कै निकस्यो मटक्यो री। | नैन लख्यो जब कुंजन तैं, बनि कै निकस्यो मटक्यो री। | ||
सोहत कैसे हरा टटकौ, सिर तैसो किरीट लसै लटक्यो री। | सोहत कैसे हरा टटकौ, सिर तैसो किरीट लसै लटक्यो री। | ||
को 'रसखान कहै अटक्यो, हटक्यो ब्रजलोग फिरैं भटक्यो री। | को 'रसखान कहै अटक्यो, हटक्यो ब्रजलोग फिरैं भटक्यो री। | ||
रूप अनूपम वा नट को, हियरे अटक्यो, अटक्यो, अटक्यो री॥ | रूप अनूपम वा नट को, हियरे अटक्यो, अटक्यो, अटक्यो री॥ |
11:01, 14 दिसम्बर 2013 के समय का अवतरण
| ||||||||||||||||||
|
नैन लख्यो जब कुंजन तैं, बनि कै निकस्यो मटक्यो री। |
टीका टिप्पणी और संदर्भसंबंधित लेख |