श्रेणी:भक्तिकालीन साहित्य
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"भक्तिकालीन साहित्य" श्रेणी में पृष्ठ
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- अंखियां हरि-दरसन की भूखी -सूरदास
- अंखियां हरि–दरसन की प्यासी -सूरदास
- अखि लखि लै नहीं -रैदास
- अच्छे मीठे फल चाख चाख -मीरां
- अजब सलुनी प्यारी मृगया नैनों -मीरां
- अजहूँ चेति अचेत -सूरदास
- अति अनियारे मानौ सान दै सुधारे -रहीम
- अपनी गरज हो मिटी -मीरां
- अब कुछ मरम बिचारा -रैदास
- अब कै माधव, मोहिं उधारि -सूरदास
- अब कैसे छूटै राम नाम रट लागी -रैदास
- अब तेरी सरन आयो राम -मलूकदास
- अब तो निभायाँ सरेगी, बांह गहेकी लाज -मीरां
- अब तो मेरा राम -मीरां
- अब तौ हरी नाम लौ लागी -मीरां
- अब मैं नाच्यौ बहुत गुपाल -सूरदास
- अब मैं हार्यौ रे भाई -रैदास
- अब मोरी बूड़ी रे भाई -रैदास
- अब या तनुहिं राखि कहा कीजै -सूरदास
- अब लौं नसानी, अब न नसैहों -तुलसीदास
- अब हम खूब बतन -रैदास
- अब हों नाच्यौ बहुत गोपाल -सूरदास
- अबिगत गति कछु कहति न आवै -सूरदास
- अबिगत नाथ निरंजन देवा -रैदास
- अरज करे छे मीरा रोकडी -मीरां
- अहो देव तेरी अमित महिमां, महादैवी माया -रैदास
आ
- आई छाक बुलाये स्याम -सूरदास
- आई ती ते भिस्ती जनी जगत देखके रोई -मीरां
- आओ मनमोहना जी जोऊं थांरी बाट -मीरां
- आओ सहेल्हां रली करां है पर घर गवण निवारि -मीरां
- आछो गात अकारथ गार्यो -सूरदास
- आज दिवस लेऊँ बलिहारा -रैदास
- आज नां द्यौस नां ल्यौ बलिहारा -रैदास
- आज मारे साधुजननो संगरे राणा -मीरां
- आज मेरेओ भाग जागो साधु आये पावना -मीरां
- आजु मैं गाई चरावन जैहों -सूरदास
- आजु हौं एक एक करि टरिहौं -सूरदास
- आज्यो म्हारे देस -मीरां
- आतुर थई छुं सुख जोवांने -मीरां
- आनि सँजोग परै -सूरदास
- आय मिलौ मोहि -मीरां
- आयी देखत मनमोहनकू -मीरां
- आयौ हो आयौ देव तुम्ह सरनां -रैदास
- आली , सांवरे की दृष्टि मानो, प्रेम की कटारी है -मीरां
- आली रे! -मीरां
- आली, म्हांने लागे वृन्दावन नीको -मीरां
- आवत है वन ते मनमोहन -रसखान
ऊ
ऐ
क
- कठण थयां रे माधव मथुरां जाई -मीरां
- कब तुम मोसो पतित उधारो -सूरदास
- कब देखौंगी नयन वह मधुर मूरति -तुलसीदास
- कबहुंक हौं यहि रहनि रहौंगो -तुलसीदास
- कबीर के दोहे
- कमल-दल नैननि की उनमानि -रहीम
- कर कानन कुंडल मोरपखा -रसखान
- करुणा सुणो स्याम मेरी, मैं तो होय रही चेरी तेरी -मीरां
- कल नाहिं पड़त जिस -मीरां
- कलि नाम काम तरु रामको -तुलसीदास
- कवन भगितते रहै प्यारो पाहुनो रे -रैदास
- कहा सूते मुगध नर -रैदास
- कहां गयोरे पेलो मुरलीवाळो -मीरां
- कहां लौं बरनौं सुंदरताई -सूरदास
- कहावत ऐसे दानी दानि -सूरदास
- कहि मन रांम नांम संभारि -रैदास
- कहियौ जसुमति की आसीस -सूरदास
- कहियौ, नंद कठोर भये -सूरदास
- कांन्हां हो जगजीवन -रैदास
- कागळ कोण लेई जायरे मथुरामां -मीरां
- कानन दै अँगुरी रहिहौं -रसखान
- काना चालो मारा घेर कामछे -मीरां
- काना तोरी घोंगरीया पहरी होरी खेले -मीरां
- कान्ह भये बस बाँसुरी के -रसखान
- कान्हा कानरीया पेहरीरे -मीरां
- कान्हा बनसरी बजाय गिरधारी -मीरां
- कान्हो काहेकूं मारो मोकूं कांकरी -मीरां
- कायकूं देह धरी भजन बिन कोयकु -मीरां
- कारे कारे सबसे बुरे ओधव प्यारे -मीरां
- कालोकी रेन बिहारी -मीरां
- काहे ते हरि मोहिं बिसारो -तुलसीदास
- किन्ने देखा कन्हया प्यारा की मुरलीवाला -मीरां
- किहि बिधि अणसरूं रे -रैदास
- कीजै प्रभु अपने बिरद की लाज -सूरदास
- कीजो प्रीत खरी -मीरां
- कीत गयो जादु करके नो पीया -मीरां
- कीसनजी नहीं कंसन घर जावो -मीरां
- कुंजबनमों गोपाल राधे -मीरां
- कुण बांचे पाती, बिना प्रभु कुण बांचे पाती -मीरां
- कुबजानें जादु डारा -मीरां
- कृत्तिवास रामायण
- कृष्ण करो जजमान -मीरां
- कृष्णमंदिरमों मिराबाई नाचे -मीरां
- केशव,कहि न जाइ -तुलसीदास
- केसवे बिकट माया तोर -रैदास
- कैसी जादू डारी -मीरां
- कोई कहियौ रे -मीरां
- कोई देखोरे मैया -मीरां
- कोई सुमार न देखौं -रैदास
- कोईकी भोरी वोलो मइंडो मेरो लूंटे -मीरां
- कौंन भगति थैं रहै प्यारे पांहुनौं रे -रैदास
- कौन जतन बिनती करिये -तुलसीदास
- कौन धौं सीखि ’रहीम’ इहाँ -रहीम
- कौन भरे जल जमुना -मीरां
- कौन मिलावै जोगिया हो -मलूकदास
- क्या करूं मैं बनमें गई घर होती -मीरां
- क्या तू सोवै जणिं दिवांनां -रैदास
ख
ग
- गरब न कीजै बावरे -मलूकदास
- गली तो चारों बंद हुई, मैं हरिसे मिलूं कैसे जाय -मीरां
- गांजा पीनेवाला जन्मको लहरीरे -मीरां
- गाइ गाइ अब का कहि गाऊँ -रैदास
- गावैं गुनी गनिका गन्धर्व -रसखान
- गिरि जनि गिरै स्याम के कर तैं -सूरदास
- गोपाल राधे कृष्ण गोविंद -मीरां
- गोबिंदे तुम्हारे से समाधि लागी -रैदास
- गोबिन्द कबहुं मिलै पिया मेरा -मीरां
- गोरी बाल थोरी वैस, लाल पै गुलाल मूठि -रसखान
- गौब्यंदे भौ जल -रैदास
च
- चमरटा गाँठि न जनई -रैदास
- चरन कमल बंदौ हरि राई -सूरदास
- चरन कमल बंदौ हरिराई -सूरदास
- चरन रज महिमा मैं जानी -मीरां
- चलि मन हरि चटसाल पढ़ाऊँ -रैदास
- चाकर राखो जी -मीरां
- चालने सखी दही बेचवा जइये -मीरां
- चालो अगमके देस कास देखत डरै -मीरां
- चालो ढाकोरमा जइ वसिये -मीरां
- चालो मन गंगा जमुना तीर -मीरां
- चालो मान गंगा जमुना तीर गंगा जमुना तीर -मीरां
- चालो सखी मारो देखाडूं -मीरां
- चितवौ जी मोरी ओर -मीरां
- चैतन्य चरितामृत
- चैतन्य चरितावली
- चैतन्य भागवत
- चैतन्य शतक
ज
- जग मैं बेद बैद मांनी जें -रैदास
- जन कूँ तारि तारि तारि तारि बाप रमइया -रैदास
- जनम अकारथ खोइसि -सूरदास
- जब रामनाम कहि गावैगा -रैदास
- जमुनाजीको तीर दधी बेचन जावूं -मीरां
- जमुनामों कैशी जाऊं मोरे सैया -मीरां
- जयौ रांम गोब्यंद बीठल बासदेव -रैदास
- जल कैशी भरुं जमुना भयेरी -मीरां
- जल भरन कैशी जाऊंरे -मीरां
- जशोदा मैया मै नही दधी खायो -मीरां
- जसवदा मैय्यां नित सतावे कनैय्यां -मीरां
- जसुमति दौरि लिये हरि कनियां -सूरदास
- जसोदा हरि पालनैं झुलावै -सूरदास
- जसोदा, तेरो भलो हियो है माई -सूरदास
- जा दिनतें निरख्यौ नँद-नंदन -रसखान
- जाके मथुरा कान्हांनें घागर फोरी -मीरां
- जागिए ब्रजराज कुंवर -सूरदास
- जागिये कृपानिधान जानराय, रामचन्द्र -तुलसीदास
- जागो बंसी वारे जागो मोरे ललन -मीरां
- जागो म्हांरा जगपतिरायक हंस बोलो क्यूं नहीं -मीरां
- जाति हुती सखी गोहन में -रहीम
- जानकी जीवन की बलि जैहों -तुलसीदास
- जापर दीनानाथ ढरै -सूरदास
- जिनि थोथरा पिछोरे कोई -रैदास
- जिह कुल साधु बैसनो होइ -रैदास
- जिहि कारन बार न लाये कछू -रहीम
- जीवत मुकंदे मरत मुकंदे -रैदास
- जो तुम तोडो पियो मैं नही तोडू -मीरां
- जो तुम तोरौ रांम मैं नहीं तोरौं -रैदास
- जो पै हरिहिंन शस्त्र गहाऊं -सूरदास
- जो मन लागै रामचरन अस -तुलसीदास
- जो मोहि बेदन का सजि आखूँ -रैदास
- जो मोहि राम लागते मीठे -तुलसीदास
- जोग ठगौरी ब्रज न बिकहै -सूरदास
- जोगी मेरो सांवळा कांहीं गवोरी -मीरां
- जोसीड़ा ने लाख बधाई रे अब घर आये स्याम -मीरां
- जौ पै जिय धरिहौ अवगुन ज़नके -तुलसीदास
- जौ बिधिना अपबस करि पाऊं -सूरदास
- जौलौ सत्य स्वरूप न सूझत -सूरदास
- ज्या संग मेरा न्याहा लगाया -मीरां