"वैष्णो माता की आरती": अवतरणों में अंतर

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:नेविगेशन, खोजें
छो (वैष्णो माता जी की आरती का नाम बदलकर वैष्णो माता की आरती कर दिया गया है)
 
(3 सदस्यों द्वारा किए गए बीच के 5 अवतरण नहीं दर्शाए गए)
पंक्ति 4: पंक्ति 4:
तू चाहे जो कुछ भी कर दे, तू चाहे तो जीवन दे दे।
तू चाहे जो कुछ भी कर दे, तू चाहे तो जीवन दे दे।
राजा रंग बने तेरे चेले, चाहे पल में जीवन ले ले॥ मैया जय वैष्णवी माता।
राजा रंग बने तेरे चेले, चाहे पल में जीवन ले ले॥ मैया जय वैष्णवी माता।
मौत-जिंदगी हाथ में तेरे मैया तू है लाटां वाली।
मौत-ज़िंदगी हाथ में तेरे मैया तू है लाटां वाली।
निर्धन को धनवान बना दे मैया तू है शेरा वाली॥ मैया जय वैष्णवी माता।
निर्धन को धनवान बना दे मैया तू है शेरा वाली॥ मैया जय वैष्णवी माता।
पापी हो या हो पुजारी, राजा हो या रंक भिखारी।
पापी हो या हो पुजारी, राजा हो या रंक भिखारी।
पंक्ति 24: पंक्ति 24:
ध्यानू भक्त मैया तेरा गुणभावे, मनवांछित फल पाया॥
ध्यानू भक्त मैया तेरा गुणभावे, मनवांछित फल पाया॥
सुन मेरी देवी पर्वतवासिनी, तेरा पार न पाया।</poem></span></blockquote>
सुन मेरी देवी पर्वतवासिनी, तेरा पार न पाया।</poem></span></blockquote>
--------
;श्री वैष्णों देवी की गुफा में होने वाली आरती
<blockquote><span style="color: blue"><poem>
हे मात मेरी, हे मात मेर,
कैसी यह देर लगाई है दुर्गे | हे ....
भवसागर में गिरा पड़ा हूँ,
काम आदि गृह में घिरा पड़ा हूँ |
मोह आदि जाल में जकड़ा पड़ा हूँ | हे ....
न मुझ में बल है न मुझ में विद्या,
न मुझ में भक्ति न मुझमें शक्ति |
शरण तुम्हारी गिरा पड़ा हूँ | हे ....
न कोई मेरा कुटुम्ब साथी,
ना ही मेरा शारीर साथी |
आप ही उबारो पकड़ के बाहीं | हे ....
चरण कमल की नौका बनाकर,
मैं पार हुंगा ख़ुशी मनाकर |
यमदूतों को मार भगाकर | हे ....
सदा ही तेरे गुणों को गाऊँ,
सदा ही तेरे स्वरूप को ध्याऊँ |
नित प्रति तेरे गुणों को गाऊँ | हे ....
न मैं किसी का न कोई मेरा,
छाया है चारों तरफ अन्धेरा |
पकड़ के ज्योति दिखा दो रास्ता | हे ....
शरण पड़े है हम तुम्हारी,
करो यह नैया पार हमारी |
कैसी यह देर लगाई है दुर्गे | हे ....
</poem></span></blockquote>
{{seealso|सरस्वती देवी|आरती संग्रह}}


{{प्रचार}}
{{प्रचार}}
{{लेख प्रगति
{{लेख प्रगति
|आधार=आधार1
|आधार=
|प्रारम्भिक=
|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1
|माध्यमिक=
|माध्यमिक=
|पूर्णता=
|पूर्णता=
|शोध=
|शोध=
}}
}}
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
==संबंधित लेख==
<references/>
{{आरती स्तुति स्तोत्र}}
[[Category:नया पन्ना]]
[[Category:आरती स्तुति स्तोत्र]]
[[Category:हिन्दू धर्म]] [[Category:हिन्दू धर्म कोश]][[Category:धर्म कोश]]  
__INDEX__
__INDEX__
[[Category:आरती_स्तुति_स्त्रोत]]

12:17, 21 मार्च 2014 के समय का अवतरण

माँ काली (दाएँ), माँ सरस्वती (मध्य) और माँ लक्ष्मी (बाएँ) पिंडी के रूप में माता वैष्णो देवी

जय वैष्णवी माता, मैया जय वैष्णवी माता।
द्वार तुम्हारे जो भी आता, बिन माँगे सबकुछ पा जाता॥ मैया जय वैष्णवी माता।
तू चाहे जो कुछ भी कर दे, तू चाहे तो जीवन दे दे।
राजा रंग बने तेरे चेले, चाहे पल में जीवन ले ले॥ मैया जय वैष्णवी माता।
मौत-ज़िंदगी हाथ में तेरे मैया तू है लाटां वाली।
निर्धन को धनवान बना दे मैया तू है शेरा वाली॥ मैया जय वैष्णवी माता।
पापी हो या हो पुजारी, राजा हो या रंक भिखारी।
मैया तू है जोता वाली, भवसागर से तारण हारी॥ मैया जय वैष्णवी माता।
तू ने नाता जोड़ा सबसे, जिस-जिस ने जब तुझे पुकारा।
शुद्ध हृदय से जिसने ध्याया, दिया तुमने सबको सहारा॥ मैया जय वैष्णवी माता।
मैं मूरख अज्ञान अनारी, तू जगदम्बे सबको प्यारी।
मन इच्छा सिद्ध करने वाली, अब है ब्रज मोहन की बारी॥ मैया जय वैष्णवी माता।
सुन मेरी देवी पर्वतवासिनी, तेरा पार न पाया।
पान, सुपारी, ध्वजा, नारियल ले तेरी भेंट चढ़ाया॥
सुन मेरी देवी पर्वतवासिनी, तेरा पार न पाया।
सुआ चोली तेरे अंग विराजे, केसर तिलक लगाया।
ब्रह्मा वेद पढ़े तेरे द्वारे, शंकर ध्यान लगाया।
नंगे पांव पास तेरे अकबर सोने का छत्र चढ़ाया।
ऊंचे पर्वत बन्या शिवाली नीचे महल बनाया॥
सुन मेरी देवी पर्वतवासिनी, तेरा पार न पाया।
सतयुग, द्वापर, त्रेता, मध्ये कलयुग राज बसाया।
धूप दीप नैवेद्य, आरती, मोहन भोग लगाया।
ध्यानू भक्त मैया तेरा गुणभावे, मनवांछित फल पाया॥
सुन मेरी देवी पर्वतवासिनी, तेरा पार न पाया।


श्री वैष्णों देवी की गुफा में होने वाली आरती

हे मात मेरी, हे मात मेर,
कैसी यह देर लगाई है दुर्गे | हे ....

भवसागर में गिरा पड़ा हूँ,
काम आदि गृह में घिरा पड़ा हूँ |
मोह आदि जाल में जकड़ा पड़ा हूँ | हे ....

न मुझ में बल है न मुझ में विद्या,
न मुझ में भक्ति न मुझमें शक्ति |
शरण तुम्हारी गिरा पड़ा हूँ | हे ....

न कोई मेरा कुटुम्ब साथी,
ना ही मेरा शारीर साथी |
आप ही उबारो पकड़ के बाहीं | हे ....

चरण कमल की नौका बनाकर,
मैं पार हुंगा ख़ुशी मनाकर |
यमदूतों को मार भगाकर | हे ....

सदा ही तेरे गुणों को गाऊँ,
सदा ही तेरे स्वरूप को ध्याऊँ |
नित प्रति तेरे गुणों को गाऊँ | हे ....

न मैं किसी का न कोई मेरा,
छाया है चारों तरफ अन्धेरा |
पकड़ के ज्योति दिखा दो रास्ता | हे ....

शरण पड़े है हम तुम्हारी,
करो यह नैया पार हमारी |
कैसी यह देर लगाई है दुर्गे | हे ....


इन्हें भी देखें: सरस्वती देवी एवं आरती संग्रह


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

संबंधित लेख