"महदवी सम्प्रदाय": अवतरणों में अंतर

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'''दक्कन में महदवी सिद्धांतो का भी काफ़ी प्रसार हुआ।''' मुसलमानों का विश्वास था कि प्रत्येक युग में पैगम्बर के परिवार से एक व्यक्ति प्रकट होगा और धर्म को दृढ़ करेगा तथा न्याय को विजय दिलायेगा। ऐसा व्यक्ति 'महदी' कहलाता था। हालाँकि संसार के विभिन्न भागों में अलग-अलग कालों में महदी प्रकट हो चुके थे, किंतु सोलहवीं शताब्दी के अन्त में [[इस्लाम]] को एक युग की सम्भावित समाप्ति ने इस्लामी दुनिया में अनेक आशाएँ उत्पन्न कर दी थीं।  
'''दक्कन में महदवी सिद्धांतो का भी काफ़ी प्रसार हुआ।''' मुसलमानों का विश्वास था कि प्रत्येक युग में पैगम्बर के परिवार से एक व्यक्ति प्रकट होगा और धर्म को दृढ़ करेगा तथा न्याय को विजय दिलायेगा। ऐसा व्यक्ति 'महदी' कहलाता था। हालाँकि संसार के विभिन्न भागों में अलग-अलग कालों में महदी प्रकट हो चुके थे, किंतु सोलहवीं शताब्दी के अन्त में [[इस्लाम]] को एक युग की सम्भावित समाप्ति ने इस्लामी दुनिया में अनेक आशाएँ उत्पन्न कर दी थीं।  


[[भारत]] में, पन्द्रहवीं शताब्दी के पूर्वाद्ध में [[जौनपुर]] में उत्पन्न [[मुहम्मद]] ने भारत और इस्लामी दुनिया का भ्रमण किया और काफ़ी उत्साह पैदा किया। दक्कन सहित उसने देश भर में अपने दायरे स्थापित कि। दक्कन उसके लिए बहुत उपजाऊ सिद्ध हुआ। परम्परावादी तत्त्व 'महदवी सम्प्रदाय' के उतने ही तीव्र विरोधी थे, जितने की 'शिया सम्प्रदाय' के थे। हालाँकि दोनों के बीच कोई प्रेम-भाव समाप्त नहीं हुआ था। [[अकबर]] ने इसी संदर्भ ने [[सुलह-कुल]] का सिद्धांत प्रचारित किया। उसे इस बात का भय था कि दक्कन के सम्प्रदायगत संघर्षों का सीधा प्रभाव [[मुग़ल साम्राज्य]] पर पड़ेगा।
[[भारत]] में, पन्द्रहवीं शताब्दी के पूर्वाद्ध में [[जौनपुर]] में उत्पन्न [[मुहम्मद]] ने भारत और इस्लामी दुनिया का भ्रमण किया और काफ़ी उत्साह पैदा किया। दक्कन सहित उसने देश भर में अपने दायरे स्थापित कि। दक्कन उसके लिए बहुत उपजाऊ सिद्ध हुआ। परम्परावादी तत्त्व 'महदवी सम्प्रदाय' के उतने ही तीव्र विरोधी थे, जितने की 'शिया सम्प्रदाय' के थे। हालाँकि दोनों के बीच कोई प्रेम-भाव समाप्त नहीं हुआ था। [[अकबर]] ने इसी संदर्भ ने [[सुलह कुल]] का सिद्धांत प्रचारित किया। उसे इस बात का भय था कि दक्कन के सम्प्रदायगत संघर्षों का सीधा प्रभाव [[मुग़ल साम्राज्य]] पर पड़ेगा।


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13:17, 21 मार्च 2014 के समय का अवतरण

दक्कन में महदवी सिद्धांतो का भी काफ़ी प्रसार हुआ। मुसलमानों का विश्वास था कि प्रत्येक युग में पैगम्बर के परिवार से एक व्यक्ति प्रकट होगा और धर्म को दृढ़ करेगा तथा न्याय को विजय दिलायेगा। ऐसा व्यक्ति 'महदी' कहलाता था। हालाँकि संसार के विभिन्न भागों में अलग-अलग कालों में महदी प्रकट हो चुके थे, किंतु सोलहवीं शताब्दी के अन्त में इस्लाम को एक युग की सम्भावित समाप्ति ने इस्लामी दुनिया में अनेक आशाएँ उत्पन्न कर दी थीं।

भारत में, पन्द्रहवीं शताब्दी के पूर्वाद्ध में जौनपुर में उत्पन्न मुहम्मद ने भारत और इस्लामी दुनिया का भ्रमण किया और काफ़ी उत्साह पैदा किया। दक्कन सहित उसने देश भर में अपने दायरे स्थापित कि। दक्कन उसके लिए बहुत उपजाऊ सिद्ध हुआ। परम्परावादी तत्त्व 'महदवी सम्प्रदाय' के उतने ही तीव्र विरोधी थे, जितने की 'शिया सम्प्रदाय' के थे। हालाँकि दोनों के बीच कोई प्रेम-भाव समाप्त नहीं हुआ था। अकबर ने इसी संदर्भ ने सुलह कुल का सिद्धांत प्रचारित किया। उसे इस बात का भय था कि दक्कन के सम्प्रदायगत संघर्षों का सीधा प्रभाव मुग़ल साम्राज्य पर पड़ेगा।


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