"सुदामा गुहा": अवतरणों में अंतर
भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
No edit summary |
व्यवस्थापन (वार्ता | योगदान) छो (Text replace - "Category:बौद्ध धर्म कोश" to "Category:बौद्ध धर्म कोशCategory:धर्म कोश") |
||
पंक्ति 11: | पंक्ति 11: | ||
==संबंधित लेख== | ==संबंधित लेख== | ||
{{मौर्य काल}}{{बिहार के पर्यटन स्थल}} | {{मौर्य काल}}{{बिहार के पर्यटन स्थल}} | ||
[[Category:स्थापत्य कला]][[Category:मौर्य काल]][[Category:ऐतिहासिक स्थान कोश]][[Category:इतिहास कोश]][[Category:कला कोश]][[Category:बिहार के पर्यटन स्थल]][[Category:बौद्ध धार्मिक स्थल]][[Category:बौद्ध धर्म कोश]][[Category:पर्यटन कोश]] | [[Category:स्थापत्य कला]][[Category:मौर्य काल]][[Category:ऐतिहासिक स्थान कोश]][[Category:इतिहास कोश]][[Category:कला कोश]][[Category:बिहार के पर्यटन स्थल]][[Category:बौद्ध धार्मिक स्थल]][[Category:बौद्ध धर्म कोश]][[Category:धर्म कोश]][[Category:पर्यटन कोश]] | ||
__INDEX__ | __INDEX__ |
13:45, 21 मार्च 2014 के समय का अवतरण
सुदामा गुहा गया के निकट बराबर की पहाड़ियों में स्थित है। मौर्य सम्राट अशोक ने अपने राज्याभिषेक के 12वें वर्ष में 'सुदामा गुहा' आजीवक भिक्षुओं को दान में दी थी।
- अशोक ने वास्तुकला के इतिहास में एक नई शैली का प्रारम्भ किया था, अर्थात चट्टानों को काटकर कंदराओं का निर्माण करना।
- गया के निकट बाराबर की पहाड़ियों में अशोक ने अपने राज्याभिषेक के 12वें वर्ष में सुदामा गुहा आजीवक भिक्षुओं को दान कर दी थी।
- इस गुफा में दो कोष्ठ हैं। एक गोल व्यास है, जिसकी छत अर्धवृत्त या ख़रबूज़िया आकार की है। उसके बाहर का मुखमंडप आयताकार है, किन्तु छत गोलाकार है।
- सुदामा गुहा की दोनों कोष्ठों की भित्तियों और छतों पर शीशे जैसी चमकती हुई पालिश है। इससे ज्ञात होता है कि चैत्य गृह का मौलिक विकास अशोक के समय में ही प्रारम्भ हो गया था और इस शैली का पूर्ण विकास महाराष्ट्र के भाजा, कन्हेरी और कार्ले चैत्यगृह में परिलक्षित होता है।
|
|
|
|
|