"बांसवाड़ा": अवतरणों में अंतर

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बांसवाड़ा के आसपास का क्षेत्र अन्य क्षेत्रों की तुलना में समतल और उपजाऊ है, [[माही नदी|माही]] बांसवाड़ा की प्रमुख नदी है। [[मक्का]], [[गेहूँ]] और [[चना]] बांसवाड़ा की प्रमुख फ़सलें हैं। बांसवाड़ा में [[लौह अयस्क]], [[सीसा]], [[जस्ता]], [[चांदी]] और [[मैंगनीज]] पाया जाता है।  
बांसवाड़ा के आसपास का क्षेत्र अन्य क्षेत्रों की तुलना में समतल और उपजाऊ है, [[माही नदी|माही]] बांसवाड़ा की प्रमुख नदी है। [[मक्का]], [[गेहूँ]] और [[चना]] बांसवाड़ा की प्रमुख फ़सलें हैं। बांसवाड़ा में [[लौह अयस्क]], [[सीसा]], [[जस्ता]], [[चांदी]] और [[मैंगनीज]] पाया जाता है।  


इस क्षेत्र का गठन 1530 में बांसवाड़ा रजवाड़े के रूप में किया गया था और बांसवाड़ा शहर इसकी राजधानी था। [[1948]] में राजस्थान राज्य में विलय होने से पहले यह मूल डूंगरपुर राज्य का एक भाग था।  
इस क्षेत्र का गठन 1530 में बांसवाड़ा रजवाड़े के रूप में किया गया था और बांसवाड़ा शहर इसकी राजधानी था। [[1948]] में राजस्थान राज्य में विलय होने से पहले यह मूल [[डूंगरपुर|डूंगरपुर राज्य]] का एक भाग था।  
 
 
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श्री त्रिपुरा सुंदरी मंदिर, बांसवाड़ा

बांसवाड़ा नगर, दक्षिणी राजस्थान राज्य में स्थित है। बांसवाड़ा एक कृषि मंडी है। कपास की ओटाई, आटे की मिलें, हथकरघा और लकड़ी के काम से जुड़े कारखाने बांसवाड़ा के प्रमुख उद्योग हैं। इस्स क़िलेबंद नगर की स्थापना 16वीं सदी के आरंभ में की गई थी। बांसवाड़ा राजस्थान विश्वविद्यालय से संबद्ध एक सरकारी महाविद्यालय है।

बांसवाड़ा के आसपास का क्षेत्र अन्य क्षेत्रों की तुलना में समतल और उपजाऊ है, माही बांसवाड़ा की प्रमुख नदी है। मक्का, गेहूँ और चना बांसवाड़ा की प्रमुख फ़सलें हैं। बांसवाड़ा में लौह अयस्क, सीसा, जस्ता, चांदी और मैंगनीज पाया जाता है।

इस क्षेत्र का गठन 1530 में बांसवाड़ा रजवाड़े के रूप में किया गया था और बांसवाड़ा शहर इसकी राजधानी था। 1948 में राजस्थान राज्य में विलय होने से पहले यह मूल डूंगरपुर राज्य का एक भाग था।  

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