"दलायल-ए-फ़ीरोज़शाही": अवतरणों में अंतर
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*ये ग्रन्थ सुल्तान फ़ीरोज़शाह तुग़लक़ को नगरकोट के निकट [[ज्वालामुखी शक्तिपीठ|ज्वालामुखी]] के मन्दिर से प्राप्त हुए थे। | *ये ग्रन्थ सुल्तान फ़ीरोज़शाह तुग़लक़ को [[नगरकोट]] के निकट [[ज्वालामुखी शक्तिपीठ|ज्वालामुखी]] के मन्दिर से प्राप्त हुए थे। | ||
*इस समय 1337 ई. में छ: महीने की घेराबन्दी के बाद नगरकोट ने सुल्तान के आगे आत्म-समर्पण कर दिया था। | *इस समय 1337 ई. में छ: महीने की घेराबन्दी के बाद नगरकोट ने सुल्तान के आगे आत्म-समर्पण कर दिया था। | ||
08:36, 26 मई 2014 के समय का अवतरण
दलायल-ए-फ़ीरोज़शाही फ़ारसी भाषा में लिखा गया का एक उल्लेखनीय काव्य ग्रन्थ है। इसकी रचना सुल्तान फ़ीरोजशाह तुग़लक़ के आदेश पर उसके दरबारी कवि 'आजुद्दीन ख़ालिद ख़ानी' ने की थी।
- इस ग्रन्थ में विभिन्न विषयों के 300 संस्कृत ग्रन्थों का अनुवाद है।
- ये ग्रन्थ सुल्तान फ़ीरोज़शाह तुग़लक़ को नगरकोट के निकट ज्वालामुखी के मन्दिर से प्राप्त हुए थे।
- इस समय 1337 ई. में छ: महीने की घेराबन्दी के बाद नगरकोट ने सुल्तान के आगे आत्म-समर्पण कर दिया था।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
भारतीय इतिहास कोश |लेखक: सच्चिदानन्द भट्टाचार्य |प्रकाशक: उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान |पृष्ठ संख्या: 199 |