"सेल्यूकस": अवतरणों में अंतर

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'''सेल्यूकस''' [[सिकन्दर]] का प्रमुख सेनापति था। उसका पूरा नाम 'सेल्यूकस निकेटर' था। सिकन्दर के देहावसान के बाद वह [[बेबीलोन]] का शासक बना था। सिकन्दर की ही तरह सेल्यूकस ने भी [[भारत]] को जीतना चाहा। उसने [[क़ाबुल]] की ओर से [[सिन्धु नदी]] पार की, पर वह अपने लक्ष्य मे विफल रहा। इसका नतीजा सेल्यूकस तथा [[चन्द्रगुप्त मौर्य]] की सन्धि के रूप मे सामने आया।


[[सिकन्दर]] का प्रमुख सेनापति था, जो उसके बाद गद्दी पर बैठा।  महत्त्वाकांक्षावश उसने 350 ई॰ पू॰ भारत पर आक्रमण किया था किन्तु उस समय के गुप्त शासक [[चन्द्रगुप्त]] ने उसे पराजित कर दिया।  सेल्यूकस ने अन्त में सन्धि कर ली तथा उसे बलूचिस्तान से लेकर हिरात तक का प्रदेश दे दियां।  सेल्यूकस ने अपनी पुत्री हेलेन का चन्द्रगुप्त के साथ विवाह कर दिया।
*[[मौर्य]] शासक चन्द्रगुप्त से पराजित होने के बाद सेल्यूकस को [[क़ाबुल]], [[कन्धार]], [[गान्धार]] और [[हेरात]] व [[बलूचिस्तान]] के कुछ भाग उसे दे देने पड़े।
*सेल्यूकस ने ही [[मेगस्थनीज़]] को राजदूत बनाकर चन्द्रगुप्त मौर्य के पास भेजा था।
*सेल्यूकस की बेटी थी- 'हेलेन'। उसका [[विवाह]] [[चाणक्य]] ने प्रस्ताव मिलने पर सम्राट चन्द्रगुप्त मौर्य से कराया, किन्तु चाणक्य ने [[विवाह]] से पहले ही हेलेन और चन्द्रगुप्त के सामने कुछ शर्ते रखीं, जिस पर उन दोनों का विवाह हुआ।
*पहली शर्त यह थी कि उन दोनों से उत्पन्न संतान उनके राज्य का उत्तराधिकारी नहीं होगी। चाणक्य ने इसका कारण बताया कि हेलेन एक विदेशी महिला है। [[भारत]] के पूर्वजों से उसका कोई नाता नहीं है। [[भारतीय संस्कृति]] से हेलेन पूर्णतः अनभिज्ञ है। दूसरा कारण यह बताया कि हेलेन विदेशी शत्रुओ की बेटी है। उसकी निष्ठा कभी भी भारत के साथ नहीं हो सकती। तीसरा कारण बताया की हेलेन का बेटा विदेशी माँ का पुत्र होने के नाते उसके प्रभाव से कभी मुक्त नहीं हो पायेगा और वह भारत की [[मिट्टी]], भारतीय लोगों के प्रति पूर्ण निष्ठावान नहीं हो पायेगा।
*एक और शर्त चाणक्य ने हेलेन के सामने रखी कि वह कभी भी [[चन्द्रगुप्त]] के राज्य कार्य में हस्तक्षेप नहीं करेगी और राजनीति और प्रशासनिक अधिकार से पूर्णत: विरत रहेगी; परन्तु गृहस्थ जीवन में हेलेन का पूर्ण अधिकार होगा।<ref>{{cite web |url= http://gauravharidwar.blogspot.in/2013/04/blog-post_3209.html|title= सेल्यूकस की बेटी थी हेलेन|accessmonthday= 19 जुलाई|accessyear=2014 |last= |first= |authorlink= |format= |publisher= गौरवहरिद्वार|language= हिन्दी}}</ref>


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13:04, 19 जुलाई 2014 के समय का अवतरण

सेल्यूकस सिकन्दर का प्रमुख सेनापति था। उसका पूरा नाम 'सेल्यूकस निकेटर' था। सिकन्दर के देहावसान के बाद वह बेबीलोन का शासक बना था। सिकन्दर की ही तरह सेल्यूकस ने भी भारत को जीतना चाहा। उसने क़ाबुल की ओर से सिन्धु नदी पार की, पर वह अपने लक्ष्य मे विफल रहा। इसका नतीजा सेल्यूकस तथा चन्द्रगुप्त मौर्य की सन्धि के रूप मे सामने आया।

  • मौर्य शासक चन्द्रगुप्त से पराजित होने के बाद सेल्यूकस को क़ाबुल, कन्धार, गान्धार और हेरातबलूचिस्तान के कुछ भाग उसे दे देने पड़े।
  • सेल्यूकस ने ही मेगस्थनीज़ को राजदूत बनाकर चन्द्रगुप्त मौर्य के पास भेजा था।
  • सेल्यूकस की बेटी थी- 'हेलेन'। उसका विवाह चाणक्य ने प्रस्ताव मिलने पर सम्राट चन्द्रगुप्त मौर्य से कराया, किन्तु चाणक्य ने विवाह से पहले ही हेलेन और चन्द्रगुप्त के सामने कुछ शर्ते रखीं, जिस पर उन दोनों का विवाह हुआ।
  • पहली शर्त यह थी कि उन दोनों से उत्पन्न संतान उनके राज्य का उत्तराधिकारी नहीं होगी। चाणक्य ने इसका कारण बताया कि हेलेन एक विदेशी महिला है। भारत के पूर्वजों से उसका कोई नाता नहीं है। भारतीय संस्कृति से हेलेन पूर्णतः अनभिज्ञ है। दूसरा कारण यह बताया कि हेलेन विदेशी शत्रुओ की बेटी है। उसकी निष्ठा कभी भी भारत के साथ नहीं हो सकती। तीसरा कारण बताया की हेलेन का बेटा विदेशी माँ का पुत्र होने के नाते उसके प्रभाव से कभी मुक्त नहीं हो पायेगा और वह भारत की मिट्टी, भारतीय लोगों के प्रति पूर्ण निष्ठावान नहीं हो पायेगा।
  • एक और शर्त चाणक्य ने हेलेन के सामने रखी कि वह कभी भी चन्द्रगुप्त के राज्य कार्य में हस्तक्षेप नहीं करेगी और राजनीति और प्रशासनिक अधिकार से पूर्णत: विरत रहेगी; परन्तु गृहस्थ जीवन में हेलेन का पूर्ण अधिकार होगा।[1]


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. सेल्यूकस की बेटी थी हेलेन (हिन्दी) गौरवहरिद्वार। अभिगमन तिथि: 19 जुलाई, 2014।

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