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'''ख़लीफ़ा''' [[अरबी भाषा]] का शब्द है, जिसका अर्थ है- 'उत्तराधिकारी'। ख़लीफ़ा शब्द को [[मुस्लिम]] समुदाय के शासक के लिए भी प्रयोग किया जाता है। जब [[मुहम्मद|मुहम्मद साहब]] की मृत्यु हुई ([[8 जून]] 632), तो अबु बक्र ने ख़लीफ़ा रसूल अल्लाह या पैगंबर के उत्तराधिकारी के रूप में उनके राजनीतिक और प्रशासनिक कार्यों का उत्तराधिकार संभाला, लेकिन दूसरे ख़लीफ़ा उमर बिन अल-ख़त्तब के काल में ख़लीफ़ा शब्द का इस्तेमाल मुस्लिम राज्य के नागरिक और धार्मिक प्रमुख के रूप में होने लगा। इसी अर्थ में [[क़ुरान]] में इस शब्द को [[आदम]] और डेविड के लिए भी इस्तेमाल किया गया है, जिन्हें [[अल्लाह|ख़ुदा]] का उप-राज्य सहायक कहा जाता था। | |||
'''ख़लीफ़ा''' [[अरबी भाषा]] का शब्द है, जिसका अर्थ है 'उत्तराधिकारी'। ख़लीफ़ा शब्द को [[मुस्लिम]] समुदाय के शासक के लिए भी प्रयोग किया जाता है। जब [[मुहम्मद]] | {{tocright}} | ||
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अबु बक्र और उसके बाद के तीन उत्तराधिकारियों को संपूर्ण या सुनिर्देशित ख़लीफ़ा | अबु बक्र और उसके बाद के तीन उत्तराधिकारियों को संपूर्ण या सुनिर्देशित 'ख़लीफ़ा'<ref>अल ख़ुलाफ़ा अर-राशिदून</ref> माना जाता था। उनके बाद दमिश्क के 14 उमायद ख़लीफ़ाओं ने यह उपाधि धारण की, जिसके बाद [[बग़दाद]] के 38 अब्बासी ख़लीफ़ा हुए, जिनका वंश 1258 में [[मंगोल|मंगोलों]] से पराजित हो गया। 1258 से 1517 तक काहिरा में मामलुक के अंतर्गत अब्बासी वंश के उपाधिकारी ख़लीफ़ा थे, जिसके बाद अंतिम ख़लीफ़ा को ऑटोमन के सुल्तान सलीम प्रथम ने बंदी बना लिया। इसके बाद ऑटोमन सुल्तानों ने इस उपाधि पर दावा किया और [[3 मार्च]], 1824 को तुर्की गणतंत्र द्वारा समाप्त किए जाने तक इसका उपयोग किया। | ||
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दमिश्क में उमय्या वंश | *दमिश्क में उमय्या वंश के पतन के बाद इस [[परिवार]] की स्पेनी शाखा ने भी ख़लीफ़ा की उपाधि धारण की, जो स्पेन में कोरदोबा पर शासन (755-1031) करते थे। | ||
*फ़तिमा<ref>पैगंबर की बेटी</ref> और उनके पति अली का वंशज होने का दावा करने वाले [[मिस्र]] के फ़तिमाई शासकों (909-1171) ने भी यह उपाधि धारण की। | |||
सर्वोच्च पद को इमामत या नेतृत्व कहने वाले [[शिया]] [[मुसलमान|मुसलमानों]] के अनुसार, सिर्फ़ वही ख़लीफ़ा जायज है, जो पैगंबर मुहम्मद का वंशज है। [[सुन्नी]] मुसलमानों का दावा है कि यह पद कुरैश जनजाति का है, स्वयं पैगंबर मुहम्मद भी जिसके सदस्य थे, लेकिन इस दावे ने तुर्की के सुल्तानों के दावे को ख़ारिज कर दिया होता, जो क़ाहिरा के अंतिम अब्बासी ख़लीफ़ा द्वारा सलीम प्रथम को यह पद स्थानांतरित करने के बाद से इस पर बने | ==मान्य ख़लीफ़ा== | ||
सर्वोच्च पद को इमामत या नेतृत्व कहने वाले [[शिया]] [[मुसलमान|मुसलमानों]] के अनुसार, सिर्फ़ वही ख़लीफ़ा जायज है, जो [[मुहम्मद|पैगंबर मुहम्मद]] का वंशज है। [[सुन्नी]] मुसलमानों का दावा है कि यह पद कुरैश जनजाति का है, स्वयं पैगंबर मुहम्मद भी जिसके सदस्य थे, लेकिन इस दावे ने तुर्की के सुल्तानों के दावे को ख़ारिज कर दिया होता, जो क़ाहिरा के अंतिम अब्बासी ख़लीफ़ा द्वारा सलीम प्रथम को यह पद स्थानांतरित करने के बाद से इस पर बने रहे थे। | |||
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07:59, 1 अगस्त 2014 के समय का अवतरण
ख़लीफ़ा अरबी भाषा का शब्द है, जिसका अर्थ है- 'उत्तराधिकारी'। ख़लीफ़ा शब्द को मुस्लिम समुदाय के शासक के लिए भी प्रयोग किया जाता है। जब मुहम्मद साहब की मृत्यु हुई (8 जून 632), तो अबु बक्र ने ख़लीफ़ा रसूल अल्लाह या पैगंबर के उत्तराधिकारी के रूप में उनके राजनीतिक और प्रशासनिक कार्यों का उत्तराधिकार संभाला, लेकिन दूसरे ख़लीफ़ा उमर बिन अल-ख़त्तब के काल में ख़लीफ़ा शब्द का इस्तेमाल मुस्लिम राज्य के नागरिक और धार्मिक प्रमुख के रूप में होने लगा। इसी अर्थ में क़ुरान में इस शब्द को आदम और डेविड के लिए भी इस्तेमाल किया गया है, जिन्हें ख़ुदा का उप-राज्य सहायक कहा जाता था।
इतिहास
अबु बक्र और उसके बाद के तीन उत्तराधिकारियों को संपूर्ण या सुनिर्देशित 'ख़लीफ़ा'[1] माना जाता था। उनके बाद दमिश्क के 14 उमायद ख़लीफ़ाओं ने यह उपाधि धारण की, जिसके बाद बग़दाद के 38 अब्बासी ख़लीफ़ा हुए, जिनका वंश 1258 में मंगोलों से पराजित हो गया। 1258 से 1517 तक काहिरा में मामलुक के अंतर्गत अब्बासी वंश के उपाधिकारी ख़लीफ़ा थे, जिसके बाद अंतिम ख़लीफ़ा को ऑटोमन के सुल्तान सलीम प्रथम ने बंदी बना लिया। इसके बाद ऑटोमन सुल्तानों ने इस उपाधि पर दावा किया और 3 मार्च, 1824 को तुर्की गणतंत्र द्वारा समाप्त किए जाने तक इसका उपयोग किया।
उपाधि
- दमिश्क में उमय्या वंश के पतन के बाद इस परिवार की स्पेनी शाखा ने भी ख़लीफ़ा की उपाधि धारण की, जो स्पेन में कोरदोबा पर शासन (755-1031) करते थे।
- फ़तिमा[2] और उनके पति अली का वंशज होने का दावा करने वाले मिस्र के फ़तिमाई शासकों (909-1171) ने भी यह उपाधि धारण की।
मान्य ख़लीफ़ा
सर्वोच्च पद को इमामत या नेतृत्व कहने वाले शिया मुसलमानों के अनुसार, सिर्फ़ वही ख़लीफ़ा जायज है, जो पैगंबर मुहम्मद का वंशज है। सुन्नी मुसलमानों का दावा है कि यह पद कुरैश जनजाति का है, स्वयं पैगंबर मुहम्मद भी जिसके सदस्य थे, लेकिन इस दावे ने तुर्की के सुल्तानों के दावे को ख़ारिज कर दिया होता, जो क़ाहिरा के अंतिम अब्बासी ख़लीफ़ा द्वारा सलीम प्रथम को यह पद स्थानांतरित करने के बाद से इस पर बने रहे थे।
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