"बृहदारण्यकोपनिषद अध्याय-2 ब्राह्मण-6": अवतरणों में अंतर

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*[[बृहदारण्यकोपनिषद]] के [[बृहदारण्यकोपनिषद अध्याय-2|अध्याय प्रथम]] का यह छठा ब्राह्मण है।
*[[बृहदारण्यकोपनिषद]] के [[बृहदारण्यकोपनिषद अध्याय-2|अध्याय द्वितीय]] का यह छठा ब्राह्मण है।
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*इस ब्राह्मण में 'मधुकाण्ड' की गुरु-शिष्य परम्परा का वर्णन किया गया है।  
*इस ब्राह्मण में 'मधुकाण्ड' की गुरु-शिष्य परम्परा का वर्णन किया गया है।  
*यहाँ केवल ज्ञान प्राप्त करने वाले ऋषियों की परम्परा का उल्लेख किया गया है।  
*यहाँ केवल ज्ञान प्राप्त करने वाले ऋषियों की परम्परा का उल्लेख किया गया है।  
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  • इस ब्राह्मण में 'मधुकाण्ड' की गुरु-शिष्य परम्परा का वर्णन किया गया है।
  • यहाँ केवल ज्ञान प्राप्त करने वाले ऋषियों की परम्परा का उल्लेख किया गया है।
  • उस सर्वशक्तिमान परमात्मा की जिस-जिस ने अनुभूति की, उसे उसने उसी प्रकार अपने शिष्य को दे दिया।
  • किसी ने भी उस पर एकाधिकार करने का प्रयत्न नहीं किया।
  • इस परम्परा में कतिपय प्रसिद्ध ऋषि गौपवन, कौशिक, गौतम, शाण्डिल्य, पराशर, भारद्वाज, आंगिरस, आथर्वण, अश्विनीकुमार आदि का उल्लेख है।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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