"वहरुल असमाअ": अवतरणों में अंतर

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वहरुल असमाअ नामक पुस्तक की रचना मुग़ल काल में की गई थी। इस कथा पुस्तक की समाप्ति हिजरी 1004 (1595-96 ई.) में मुल्ला बदायूँनी ने की।[1]

  • 'बहरुल असमाअ' का अर्थ 'नाम सागर' है। 'नाम' का अर्थ यहाँ कथा है।
  • यह हो सकता है कि सोमदेव की कृति 'कथासरित्सागर' का यह फ़ारसी अनुवाद हो। यह काफ़ी बड़ी पुस्तक थी।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. अकबर |लेखक: राहुल सांकृत्यायन |प्रकाशक: किताब महल, इलाहाबाद |पृष्ठ संख्या: 297 |

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