"हिसार": अवतरणों में अंतर
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==कृषि और खनिज== | ==कृषि और खनिज== | ||
गेहूँ व कपास यहाँ की प्रमुख फ़सलें हैं। अन्य फ़सलों में चना, बाजरा, चावल, सरसों व गन्ना शामिल हैं। | गेहूँ व कपास यहाँ की प्रमुख फ़सलें हैं। अन्य फ़सलों में चना, बाजरा, [[चावल]], सरसों व [[गन्ना]] शामिल हैं। | ||
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उद्योगों में कपास की ओटाई, हथकरघा बुनाई और कृषि यंत्रों व सिलाई मशीनों के निर्माण से जुड़े उद्योग शामिल हैं। यहाँ पर कपास, अनाज और तेल के बीजों का बड़ा | उद्योगों में [[कपास]] की ओटाई, हथकरघा बुनाई और [[कृषि]] यंत्रों व सिलाई मशीनों के निर्माण से जुड़े उद्योग शामिल हैं। यहाँ पर कपास, अनाज और तेल के बीजों का बड़ा बाज़ार है। इस बाज़ार के लिए यह बहुत प्रसिद्ध है। | ||
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इस शहर में सी.सी. शाहू हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय, गुरु जंभेश्वर विश्वविद्यालय, सी.सी. शाहू प्रबंधन महाविद्यालय, कृषि इंजीनियरिंग व प्रौद्योगिकी महाविद्यालय और हिसार गवर्नमेंट कॉलेज व डी.एन. कॉलेज सहित कई महाविद्यालय शामिल हैं। | इस शहर में सी.सी. शाहू हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय, गुरु जंभेश्वर विश्वविद्यालय, सी.सी. शाहू प्रबंधन महाविद्यालय, कृषि इंजीनियरिंग व प्रौद्योगिकी महाविद्यालय और हिसार गवर्नमेंट कॉलेज व डी.एन. कॉलेज सहित कई महाविद्यालय शामिल हैं। | ||
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10:07, 15 अगस्त 2014 के समय का अवतरण
हिसार एक शहर, जो पश्चिमोत्तर हरियाणा राज्य, पश्चिमोत्तर भारत में पश्चिमी यमुना नहर की हांसी शाखा पर स्थित है। इसकी स्थापना तुग़लक़ शासक फ़िरोज़ शाह तुग़लक़ ने की थी। प्राचीन समय में यहाँ कई आदिवासी जातियाँ रहा करती थीं। हिसार हरियाणा राज्य के पर्यटन के लिए एक आकर्षक स्थल है। पर्यटक यहाँ पर कई ख़ूबसूरत स्थलों की सैर कर सकते हैं। यहाँ कपास, अनाज और तेल के बीजों का बड़ा बाज़ार है। इस बाज़ार के लिए यह बहुत प्रसिद्ध है।
इतिहास
इस नगर को फ़िरोज़ शाह तुग़लक़ (राज्यभिषेक 1351 ई.) ने बसाया था। कहा जाता है कि हिसार के पास के वनों में फ़िरोज़ आखेट के लिए रोजाना जाया करता था और उसने यहां एक दुर्ग (हिसार दुर्ग) बनवाया था, जहां कालांतर में आबादी हो गई। हिसार के पास 'अग्राहा' नामक स्थान है, जो प्राचीन 'अग्रोदक' कहा जाता है। यह नगर महाभारत कालीन माना जाता है। अलक्षेंद्र के आक्रमण के समय (327 ई. पू.) इस स्थान पर 'आग्रेयगण' का राज्य था। वासुदेव शरण अग्रवाल का विचार है कि पाणिनि[1] में उल्लिखित 'एषुकारिभक्त' हिसार का ही प्राचीन नाम है। इसे कुरू प्रदेश का एक बड़ा नगर कहा गया है।[2]
18वीं शताब्दी में जनशून्य किए गए इस शहर पर बाद में ब्रिटिश अभियानकर्ता जॉर्ज थॉमस ने क़ब्ज़ा कर लिया। 1867 में हिसार की नगरपालिका का अध्ययन किया गया। यह शहर एक दीवार से घिरा है, जिसमें चार दरवाज़े हैं- 'नागोरी गेट', 'मोरी गेट', 'दिल्ली गेट' तथा 'तलाकी गेट' के नाम से प्रसिद्ध है। यहाँ फ़िरोज़ शाह के क़िले व महल के अवशेषों के साथ-साथ कई प्राचीन मस्जिदें हैं, जिनमें जहाज़ भी एक है, जो अब एक जैन मंदिर है। प्राचीन समय में यह हड़प्पा सभ्यता का मुख्य केन्द्र था। प्राचीन समय में यहाँ कई आदिवासी जातियाँ रहती थी। इन जातियों में भरत, पुरू, मुजावत्स और महावृष प्रमुख थी।
कृषि और खनिज
गेहूँ व कपास यहाँ की प्रमुख फ़सलें हैं। अन्य फ़सलों में चना, बाजरा, चावल, सरसों व गन्ना शामिल हैं।
उद्योग और व्यापार
उद्योगों में कपास की ओटाई, हथकरघा बुनाई और कृषि यंत्रों व सिलाई मशीनों के निर्माण से जुड़े उद्योग शामिल हैं। यहाँ पर कपास, अनाज और तेल के बीजों का बड़ा बाज़ार है। इस बाज़ार के लिए यह बहुत प्रसिद्ध है।
यातायात और परिवहन
हिसार शहर एक प्रमुख रेल व सड़क जंक्शन है।
शिक्षण संस्थान
इस शहर में सी.सी. शाहू हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय, गुरु जंभेश्वर विश्वविद्यालय, सी.सी. शाहू प्रबंधन महाविद्यालय, कृषि इंजीनियरिंग व प्रौद्योगिकी महाविद्यालय और हिसार गवर्नमेंट कॉलेज व डी.एन. कॉलेज सहित कई महाविद्यालय शामिल हैं।
पर्यटन
हरियाणा में स्थित हिसार एक ख़ूबसूरत स्थान है और हिसार पर्यटन का आकर्षक स्थल है। पर्यटक यहाँ पर कई ख़ूबसूरत स्थलों की सैर कर सकते हैं। यहाँ पर सम्राट अशोक के काल का एक स्तम्भ, कुषाण वंश के सिक्के व अन्य अवशेष भी मिले हैं। कुल मिलाकर हिसार बहुत ख़ूबसूरत है और पर्यटक यहाँ पर अनेक ख़ूबसूरत स्थान देख सकते हैं। पर्यटक स्थलों की सैर के बाद यहाँ पर अनेक ऐतिहासिक इमारतों की यात्रा की जा सकती है।
जनसंख्या
2001 की जनगणना के अनुसार इस शहर की जनसंख्या 2,56,810, ज़िले की कुल जनसंख्या 15,36,417 है।
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