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'''श्रमणगिरि''' [[मध्य प्रदेश]] की [[सोनागिरि]] का प्राचीन नाम। यह [[ग्वालियर]]-[[झांसी]] रेलमार्ग पर सोनागिरि स्टेशन के निकट छोटी पहाड़ी है।<ref>{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=ऐतिहासिक स्थानावली|लेखक=विजयेन्द्र कुमार माथुर|अनुवादक= |आलोचक= |प्रकाशक=राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी, जयपुर|संकलन= |संपादन= |पृष्ठ संख्या=914|url=}}</ref> | '''श्रमणगिरि''' [[मध्य प्रदेश]] की [[सोनागिरि]] का प्राचीन नाम। यह [[ग्वालियर]]-[[झांसी]] रेलमार्ग पर सोनागिरि स्टेशन के निकट छोटी पहाड़ी है।<ref>{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=ऐतिहासिक स्थानावली|लेखक=विजयेन्द्र कुमार माथुर|अनुवादक= |आलोचक= |प्रकाशक=राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी, जयपुर|संकलन= |संपादन= |पृष्ठ संख्या=914|url=}}</ref> | ||
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श्रमणगिरि | एक बहुविकल्पी शब्द है अन्य अर्थों के लिए देखें:- श्रमणगिरि (बहुविकल्पी) |
श्रमणगिरि मध्य प्रदेश की सोनागिरि का प्राचीन नाम। यह ग्वालियर-झांसी रेलमार्ग पर सोनागिरि स्टेशन के निकट छोटी पहाड़ी है।[1]
- इस पहाड़ी पर प्राचीन काल में अनेक जैन मुनियों या श्रमणों का निवास स्थान था।
- श्रमणगिरि पहाड़ी के शिखर पर 77 तथा इसके नीचे 17 जैन मंदिर आज भी अवस्थित हैं। ये मध्यकालीन बुंदेलखंड की वास्तुकला के उदाहरण हैं।
- मध्य प्रदेश की इस पहाड़ी को 'सिद्ध-क्षेत्र' कहा जाता है।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ ऐतिहासिक स्थानावली |लेखक: विजयेन्द्र कुमार माथुर |प्रकाशक: राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी, जयपुर |पृष्ठ संख्या: 914 |