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'''जेंदावेस्ता''' [[पारसी धर्म]] के मानने वालों का पवित्र धार्मिक [[ग्रंथ]] है। यह ग्रंथ [[वेद|वेदों]] के समकालीन माना जाता है। [[इतिहास]] के अनुसार मूल जेंदावेस्ता के लोप हो जाने पर पैगम्बर [[जरथुष्ट्र]] ने उसका पुनर्निर्माण अपने उपदेशों को मिलाकर किया था। | '''जेंदावेस्ता''' [[पारसी धर्म]] के मानने वालों का पवित्र धार्मिक [[ग्रंथ]] है। यह ग्रंथ [[वेद|वेदों]] के समकालीन माना जाता है। [[इतिहास]] के अनुसार मूल जेंदावेस्ता के लोप हो जाने पर पैगम्बर [[जरथुष्ट्र]] ने उसका पुनर्निर्माण अपने उपदेशों को मिलाकर किया था। पारसियों के इस धर्म ग्रंथ में [[सरस्वती नदी]] का नाम 'हरहवती' मिलता है। | ||
*पारसी धार्मिक साहित्य 'जेंदावेस्ता' के प्राचीन 'यष्ट' भाग [[ऋग्वेद]] के [[मंत्र|मंत्रों]] की छाया समान हैं। | *पारसी धार्मिक साहित्य 'जेंदावेस्ता' के प्राचीन 'यष्ट' भाग [[ऋग्वेद]] के [[मंत्र|मंत्रों]] की छाया समान हैं। | ||
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*[[हिन्दू]] शब्द का सर्वाधिक पुराना उल्लेख अग्नि पूजक आर्यों के पवित्रतम ग्रन्थ 'जेंदावेस्ता' में मिलता है, क्योंकि अग्नि पूजक आर्य और इन्द्र पूजक आर्य एक ही आर्य जाति की दो शाखाएँ थीं। | *[[हिन्दू]] शब्द का सर्वाधिक पुराना उल्लेख अग्नि पूजक आर्यों के पवित्रतम ग्रन्थ 'जेंदावेस्ता' में मिलता है, क्योंकि अग्नि पूजक आर्य और इन्द्र पूजक आर्य एक ही आर्य जाति की दो शाखाएँ थीं। | ||
इस्लामिक बर्बरता ने अग्नि पूजक आर्यों की पूरी प्रजाति ही नष्ट कर दी। उनके पवित्रतम ग्रन्थ का चतुर्थांश भी नहीं बचा। | इस्लामिक बर्बरता ने अग्नि पूजक आर्यों की पूरी प्रजाति ही नष्ट कर दी। उनके पवित्रतम ग्रन्थ का चतुर्थांश भी नहीं बचा। | ||
*[[वेद]] और जेंदावेस्ता में 90 फीसदी समानता है, जबकि [[ | *[[वेद]] और जेंदावेस्ता में 90 फीसदी समानता है, जबकि [[क़ुरआन]] और [[वेद]] में 2 फीसदी समानता है। वस्तुतः जेंदावेस्ता और [[वेद]] लगभग समकालीन माने जा सकते हैं। | ||
*जेंदावेस्ता में 'हनद' नाम का एक शब्द मिलता है और 'हिन्दव' नाम के एक पहाड़ का भी वर्णन मिलता है। जेंदावेस्ता का यह 'हनद' ही आज का [[हिन्दू]] और 'हिन्दव' [[हिन्दुकुश]] नाम की पहाड़ी है। | *जेंदावेस्ता में 'हनद' नाम का एक शब्द मिलता है और 'हिन्दव' नाम के एक पहाड़ का भी वर्णन मिलता है। जेंदावेस्ता का यह 'हनद' ही आज का [[हिन्दू]] और 'हिन्दव' [[हिन्दुकुश]] नाम की पहाड़ी है। | ||
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13:18, 1 नवम्बर 2014 के समय का अवतरण
जेंदावेस्ता पारसी धर्म के मानने वालों का पवित्र धार्मिक ग्रंथ है। यह ग्रंथ वेदों के समकालीन माना जाता है। इतिहास के अनुसार मूल जेंदावेस्ता के लोप हो जाने पर पैगम्बर जरथुष्ट्र ने उसका पुनर्निर्माण अपने उपदेशों को मिलाकर किया था। पारसियों के इस धर्म ग्रंथ में सरस्वती नदी का नाम 'हरहवती' मिलता है।
- पारसी धार्मिक साहित्य 'जेंदावेस्ता' के प्राचीन 'यष्ट' भाग ऋग्वेद के मंत्रों की छाया समान हैं।
- ईरानियों के धर्म ग्रन्थ जेंदावेस्ता में सोम को 'होम' या 'हओम' शब्द से जाना गया। धर्म ग्रन्थ में इस शब्द के प्रयोग का कारण केवल पाणिनि की 'अष्टाध्यायी' द्वारा ही जाना जा सकता है।[1]
- इतिहास बताता है कि मूल 'जेंदावेस्ता' लोप होने पर जरथुष्ट्र ने उसका पुनर्निर्माण किया। वह भी जल गया और अब उसके कुछ अंश नई मिलावट लिये शेष हैं।
- विक्रम संवत पूर्व से ईरानी अपने को 'आर्य' कहते चले आए हैं। उनकी पवित्र पुस्तक 'जेंदावेस्ता' में भी उन्हें आर्य कहा गया है।
- हिन्दू शब्द का सर्वाधिक पुराना उल्लेख अग्नि पूजक आर्यों के पवित्रतम ग्रन्थ 'जेंदावेस्ता' में मिलता है, क्योंकि अग्नि पूजक आर्य और इन्द्र पूजक आर्य एक ही आर्य जाति की दो शाखाएँ थीं।
इस्लामिक बर्बरता ने अग्नि पूजक आर्यों की पूरी प्रजाति ही नष्ट कर दी। उनके पवित्रतम ग्रन्थ का चतुर्थांश भी नहीं बचा।
- वेद और जेंदावेस्ता में 90 फीसदी समानता है, जबकि क़ुरआन और वेद में 2 फीसदी समानता है। वस्तुतः जेंदावेस्ता और वेद लगभग समकालीन माने जा सकते हैं।
- जेंदावेस्ता में 'हनद' नाम का एक शब्द मिलता है और 'हिन्दव' नाम के एक पहाड़ का भी वर्णन मिलता है। जेंदावेस्ता का यह 'हनद' ही आज का हिन्दू और 'हिन्दव' हिन्दुकुश नाम की पहाड़ी है।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
बाहरी कड़ियाँ
संबंधित लेख