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यदि पर्यटक ज्योलिकोट जा रहे हैं तो वे आसपास कई स्थानों का भ्रमण कर सकते हैं। ऐसे में 'द कॉटेज' जाना न भूलें। ये अब एक रिसॉर्ट में तब्दील हो गया है। पर्यटक यहां हरे भरे पेड़ पौधे, फलों के वृक्ष और मौसमी फूलों का आनंद ले सकते हैं। जोखिम को पसंद करने वालों को ज्योलिकोट खूब भाता है। वहीं यहां का शांत वातावरण प्रकृति प्रेमियों को भी अपनी ओर आकर्षित करता है। इस जगह पर पर्यटक कम ऊंचाई वाले ट्रेकिंग और दुर्गम इलाकों के भ्रमण का आनंद उठा सकते हैं।<ref>{{cite web |url= http://hindi.nativeplanet.com/jeolikot/|title= ज्योलिकोट|accessmonthday=16 जून|accessyear= 2014|last= |first= |authorlink= |format= |publisher= नेटिव प्लेनेट|language= हिन्दी}}</ref>
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08:23, 20 नवम्बर 2014 के समय का अवतरण

ज्योलिकोट
ज्योलिकोट
ज्योलिकोट
विवरण 'ज्योलिकोट' एक खूबसूरत पहाड़ी पर्यटन स्थल है, जो उत्तराखंड में स्थित है। यहां का शांत वातावरण प्रकृति प्रेमियों को भी अपनी ओर आकर्षित करता है।
राज्य उत्तराखंड
ज़िला नैनीताल
भौगोलिक स्थिति समुद्र तल से 1219 मीटर की ऊंचाई पर स्थित।
प्रसिद्धि पहाड़ी पर्यटन स्थल
हवाई अड्डा पंतनगर
रेलवे स्टेशन काठगोदाम
क्या देखें 'द कॉटेज', 'प्रचीन मंदिर', 'समाधि स्थल', 'हॉउस ऑफ़ वर्विक साहिब', 'बी-ब्रीडींग सेंटर' आदि।
संबंधित लेख उत्तराखंड, नैनीताल, उत्तराखंड के पर्यटन स्थल


अन्य जानकारी ज्योलिकोट के नजदीकी पर्यटन स्थलों में नैनी झील, मुक्तेश्वर, जिम कोर्बेट राष्ट्रीय अभ्यारण्य, रामगढ़ और पंगोट गांव काफ़ी प्रसिद्ध है।

ज्योलिकोट उत्तराखण्ड के नैनीताल ज़िले में स्थित है। इस स्थान की खुबसूरती पर्यटकों को अपनी तरफ आकर्षित करती है। यहां पर दिन के समय गर्मी और रात के समय ठंड पड़ती है। आसमान आमतौर पर साफ और रात तारों भरी होती है। कहा जाता है कि बहुत पहले अरबिंदो घोष और स्वामी विवेकानन्द ने भी यहां की यात्रा की थी। पर्यटक यहां के गांवों के त्योहारों और उत्सवों का आनंद भी ले सकते हैं।[1]

स्थिति

नैनीताल में समुद्र तल से 1219 मीटर की ऊंचाई पर बसा ज्योलिकोट एक मनमोहक पर्यटन स्थल है। राष्ट्रीय राजमार्ग 87 पर स्थित कुमाऊंनी पहाड़ियों का यह शहर नैनी झील का प्रवेशद्वार भी है। प्रसिद्ध संत व दार्शनिक स्वामी विवेकानंद और अरविंदो घोष ने यहां लंबे समय तक तपस्या की थी।

पर्यटन

ज्योलिकोट के नजदीकी पर्यटन स्थलों में नैनी झील, मुक्तेश्वर, जिम कोर्बेट राष्ट्रीय अभ्यारण्य, रामगढ़ और पंगोट गांव काफ़ी प्रसिद्ध है। यहां नाशपाती, बेर और आड़ू के फलोद्यान, मौसमी फूल और रंग बिरंगी तितलियां माहौल को तरोताजा बनाए रखते हैं।

यदि पर्यटक ज्योलिकोट जा रहे हैं तो वे आसपास कई स्थानों का भ्रमण कर सकते हैं। ऐसे में 'द कॉटेज' जाना न भूलें। ये अब एक रिसॉर्ट में तब्दील हो गया है। पर्यटक यहां हरे भरे पेड़ पौधे, फलों के वृक्ष और मौसमी फूलों का आनंद ले सकते हैं। जोखिम को पसंद करने वालों को ज्योलिकोट खूब भाता है। वहीं यहां का शांत वातावरण प्रकृति प्रेमियों को भी अपनी ओर आकर्षित करता है। इस जगह पर पर्यटक कम ऊंचाई वाले ट्रेकिंग और दुर्गम इलाकों के भ्रमण का आनंद उठा सकते हैं।[2]

अन्य महत्त्वपूर्ण स्थल

प्रचीन मंदिरों, समाधि स्थलों, हॉउस ऑफ़ वर्विक साहिब तथा अन्य प्रचीन कलाकृतियों का भ्रमण किए बिना ज्योलिकोट की यात्रा अधूरी ही मानी जाएगी। पर्यटक चाहें तो ज्योलिकोट का 'बी-ब्रीडींग सेंटर' घूम कर शहद निकालने की कला भी देख सकते हैं। यह शहर ताजे फल और शुद्ध शहद के अलावा ख़रीदारी का भी बेहतरीन विकल्प मुहैय्या कराता है। यहां कीवी, जैतून और स्ट्रॉबेरी का फल और फूलों का शुद्ध शहद उचित मूल्यों पर मिलता है। इतना ही नहीं, यहां के दुकानों पर छोटे गमलों में उगाए जाने वाले पौधे आसानी से मिल जाते हैं।

कैसे पहुँचें

ज्योलिकोट हवाई, रेल और सड़क मार्ग से अच्छे से जुड़ा हुआ है। पंतनगर यहां का सबसे नजदीकी एयरपोर्ट है, जो कि नई दिल्ली के इंदिरा गांधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट से नियमति उड़ानों से जुड़ा हुआ है। ज्योलिकोट से 18 कि.मी. दूर काठगोदाम यहां का सबसे निकटतम रेलवने स्टेशन है। आसपास के शहरों से यहां के लिए बसें भी आसानी से मिल जाती हैं।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. खोजी न्यूज (हिन्दी)। । अभिगमन तिथि: 16 जून, 2014।
  2. ज्योलिकोट (हिन्दी) नेटिव प्लेनेट। अभिगमन तिथि: 16 जून, 2014।

बाहरी कड़ियाँ

संबंधित लेख