"ज़ुल्फ़िक़ार ख़ाँ": अवतरणों में अंतर
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'''ज़ुल्फ़िक़ार ख़ाँ''' एक [[मुग़ल]] [[अमीर]] था, जिसने [[बहादुर शाह प्रथम|बहादुरशाह]] के शासन काल में भारी शक्ति एवं समृद्धि अर्जित की। ज़ुल्फ़िक़ार ख़ाँ [[औरंगजेब]] के प्रधानमंत्री [[असद ख़ाँ]] का पुत्र था। बहादुरशाह की मृत्यु के बाद, उसकी गद्दी के लिए होने वाली लड़ाई में ज़ुल्फ़िक़ार ख़ाँ ने हस्तक्षेप किया। उसने बादशाह के चारों पुत्रों के बीच फूट पैदा करा दी तथा [[जहाँदारशाह]] को सिंहासन प्राप्त करने में सहायता पहुँचाई। ज़ुल्फ़िक़ार उसे अपने हाथ की कठपुतली बनाकर रखना चाहता था। सिंहासनारोहण के ग्यारह महीने बाद 1713 ई. में उसने जहाँदारशाह को कत्ल कर दिया और [[फ़र्रुख़सियर]] को गद्दी पर बिठाया। 1713 ई. में फ़र्रुख़सियर के हुक्म से उसे कत्ल कर दिया गया।<ref>पुस्तक- भारतीय इतिहास कोश |लेखक- सच्चिदानन्द भट्टाचार्य | पृष्ट संख्या- | '''ज़ुल्फ़िक़ार ख़ाँ नुसरत जंग''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Zulfiqar Khan Nusrat Jung'') एक [[मुग़ल]] [[अमीर]] था, जिसने [[बहादुर शाह प्रथम|बहादुरशाह]] के शासन काल में भारी शक्ति एवं समृद्धि अर्जित की। ज़ुल्फ़िक़ार ख़ाँ [[औरंगजेब]] के प्रधानमंत्री [[असद ख़ाँ]] का पुत्र था। बहादुरशाह की मृत्यु के बाद, उसकी गद्दी के लिए होने वाली लड़ाई में ज़ुल्फ़िक़ार ख़ाँ ने हस्तक्षेप किया। उसने बादशाह के चारों पुत्रों के बीच फूट पैदा करा दी तथा [[जहाँदारशाह]] को सिंहासन प्राप्त करने में सहायता पहुँचाई। ज़ुल्फ़िक़ार उसे अपने हाथ की कठपुतली बनाकर रखना चाहता था। सिंहासनारोहण के ग्यारह महीने बाद 1713 ई. में उसने जहाँदारशाह को कत्ल कर दिया और [[फ़र्रुख़सियर]] को गद्दी पर बिठाया। 1713 ई. में फ़र्रुख़सियर के हुक्म से उसे कत्ल कर दिया गया।<ref>पुस्तक- भारतीय इतिहास कोश | लेखक- सच्चिदानन्द भट्टाचार्य | पृष्ट संख्या- 171 | प्रकाशन- उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान लखनऊ </ref> | ||
14:21, 19 जनवरी 2015 के समय का अवतरण
ज़ुल्फ़िक़ार ख़ाँ नुसरत जंग (अंग्रेज़ी: Zulfiqar Khan Nusrat Jung) एक मुग़ल अमीर था, जिसने बहादुरशाह के शासन काल में भारी शक्ति एवं समृद्धि अर्जित की। ज़ुल्फ़िक़ार ख़ाँ औरंगजेब के प्रधानमंत्री असद ख़ाँ का पुत्र था। बहादुरशाह की मृत्यु के बाद, उसकी गद्दी के लिए होने वाली लड़ाई में ज़ुल्फ़िक़ार ख़ाँ ने हस्तक्षेप किया। उसने बादशाह के चारों पुत्रों के बीच फूट पैदा करा दी तथा जहाँदारशाह को सिंहासन प्राप्त करने में सहायता पहुँचाई। ज़ुल्फ़िक़ार उसे अपने हाथ की कठपुतली बनाकर रखना चाहता था। सिंहासनारोहण के ग्यारह महीने बाद 1713 ई. में उसने जहाँदारशाह को कत्ल कर दिया और फ़र्रुख़सियर को गद्दी पर बिठाया। 1713 ई. में फ़र्रुख़सियर के हुक्म से उसे कत्ल कर दिया गया।[1]
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ पुस्तक- भारतीय इतिहास कोश | लेखक- सच्चिदानन्द भट्टाचार्य | पृष्ट संख्या- 171 | प्रकाशन- उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान लखनऊ
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