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'''सोंढूर नदी''' [[भारत]] में प्रवाहित होने वाली नदी है। [[पैरी नदी]] तथा सोंढूर नदी का [[संगम]] [[छत्तीसगढ़|छत्तीसगढ़ राज्य]] के [[राजिम|राजिम शहर]] के पास पांडुका से 15 कि.मी. दूर गरियाबंद मार्ग पर मालगाँव मुहैरा के निकट होता है। इस [[संगम]] से दोनों नदियों का जलकोष व्यापक हो जाता है।
'''सोंढूर नदी''' [[भारत]] में प्रवाहित होने वाली नदी है। [[महानदी]], [[पैरी नदी]] तथा सोंढूर नदी का [[संगम]] [[छत्तीसगढ़|छत्तीसगढ़ राज्य]] के [[राजिम|राजिम शहर]] के पास पांडुका से 15 कि.मी. दूर गरियाबंद मार्ग पर मालगाँव मुहैरा के निकट होता है। इस [[संगम]] से दोनों नदियों का जलकोष व्यापक हो जाता है।


*सोंढूर नदी को पूर्व में 'सुन्दराभूति नदी' के नाम से जाना जाता था।
*सोंढूर नदी को पूर्व में 'सुन्दराभूति नदी' के नाम से जाना जाता था।
*[[महानदी]], [[पैरी नदी]] और सोंढूर नदी का संगम होने के कारण ही [[राजिम]] को "छत्तीसगढ़ का प्रयाग" कहा जाता है।
*पांडुका से 3 कि.मी. दूर [[ग्राम]] कुटेना से सिरकट्टी आश्रम के पास पैरी नदी एवं सोंढूर नदी के तट पर कठोर पत्थरों की चट्टानों को तोड़कर यहाँ एक बन्दरगाह बनाया गया था।
*पांडुका से 3 कि.मी. दूर [[ग्राम]] कुटेना से सिरकट्टी आश्रम के पास पैरी नदी एवं सोंढूर नदी के तट पर कठोर पत्थरों की चट्टानों को तोड़कर यहाँ एक बन्दरगाह बनाया गया था।
*पहले सोंढूर और [[पैरी नदी]] के संगम स्थल मालगाँव में व्यापार के लिए माल का संग्रहण किया जाता था और इसी आधार पर इस गाँव का नाम मालगाँव पड़ गया था।
*पहले सोंढूर और पैरी नदी के संगम स्थल मालगाँव में व्यापार के लिए माल का संग्रहण किया जाता था और इसी आधार पर इस गाँव का नाम मालगाँव पड़ गया था।
*पैरी नदी का जल-प्रवाह मध्यम होने से इसका जल निर्मल है और सोंढूर नदी का जल-प्रवाह तीव्र होने के कारण इसका जल मटमैला दिखलाई पड़ता है। यहाँ तक कि [[वर्षा ऋतु]] में इन दोनों नदियों की अलग-अलग [[रंग]] की धारायें स्पष्ट दिखलाई पड़ती हैं।
*पैरी नदी का जल-प्रवाह मध्यम होने से इसका जल निर्मल है और सोंढूर नदी का जल-प्रवाह तीव्र होने के कारण इसका जल मटमैला दिखलाई पड़ता है। यहाँ तक कि [[वर्षा ऋतु]] में इन दोनों नदियों की अलग-अलग [[रंग]] की धारायें स्पष्ट दिखलाई पड़ती हैं।
*वर्षा के [[मौसम]] में ज्यादा बारिश होने पर [[धमतरी ज़िला|धमतरी ज़िले]] में [[महानदी]], [[खारून नदी|खारून]], [[पैरी नदी|पैरी]], बाल्का और सोंढूर नदियों के तटवर्ती गांवों में [[बाढ़]] का खतरा पैदा हो जाता है। नदियों के उफान पर आते ही तटवर्ती गांवों में मुनादी करानी पड़ती है।
*वर्षा के [[मौसम]] में ज्यादा बारिश होने पर [[धमतरी ज़िला|धमतरी ज़िले]] में [[महानदी]], [[खारून नदी|खारून]], [[पैरी नदी|पैरी]], बाल्का और सोंढूर नदियों के तटवर्ती गांवों में [[बाढ़]] का खतरा पैदा हो जाता है। नदियों के उफान पर आते ही तटवर्ती गांवों में मुनादी करानी पड़ती है।

13:58, 30 जनवरी 2015 के समय का अवतरण

सोंढूर नदी भारत में प्रवाहित होने वाली नदी है। महानदी, पैरी नदी तथा सोंढूर नदी का संगम छत्तीसगढ़ राज्य के राजिम शहर के पास पांडुका से 15 कि.मी. दूर गरियाबंद मार्ग पर मालगाँव मुहैरा के निकट होता है। इस संगम से दोनों नदियों का जलकोष व्यापक हो जाता है।

  • सोंढूर नदी को पूर्व में 'सुन्दराभूति नदी' के नाम से जाना जाता था।
  • महानदी, पैरी नदी और सोंढूर नदी का संगम होने के कारण ही राजिम को "छत्तीसगढ़ का प्रयाग" कहा जाता है।
  • पांडुका से 3 कि.मी. दूर ग्राम कुटेना से सिरकट्टी आश्रम के पास पैरी नदी एवं सोंढूर नदी के तट पर कठोर पत्थरों की चट्टानों को तोड़कर यहाँ एक बन्दरगाह बनाया गया था।
  • पहले सोंढूर और पैरी नदी के संगम स्थल मालगाँव में व्यापार के लिए माल का संग्रहण किया जाता था और इसी आधार पर इस गाँव का नाम मालगाँव पड़ गया था।
  • पैरी नदी का जल-प्रवाह मध्यम होने से इसका जल निर्मल है और सोंढूर नदी का जल-प्रवाह तीव्र होने के कारण इसका जल मटमैला दिखलाई पड़ता है। यहाँ तक कि वर्षा ऋतु में इन दोनों नदियों की अलग-अलग रंग की धारायें स्पष्ट दिखलाई पड़ती हैं।
  • वर्षा के मौसम में ज्यादा बारिश होने पर धमतरी ज़िले में महानदी, खारून, पैरी, बाल्का और सोंढूर नदियों के तटवर्ती गांवों में बाढ़ का खतरा पैदा हो जाता है। नदियों के उफान पर आते ही तटवर्ती गांवों में मुनादी करानी पड़ती है।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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