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|चित्र का नाम=राजमहल | |||
|विवरण=इस ऐतिहासिक महल का निर्माण महाराज [[वीरसिंह बुन्देला|वीरसिंह जू देव]] ने सन् 1616 ई. में करवाया था। | |||
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|पाठ 10=इस महल की सुदृढ़ता एवं आकर्षक भव्यता उस समय के कारीगरों एवं शिल्पियों की अद्भुत प्रतिभा व अनूठी निर्माण कला का प्रमाण है। महल के अंदर अनगिनत विशाल कक्ष हैं। | |||
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'''राजमहल''' [[मध्य प्रदेश]] के ऐतिहासिक स्थान [[ओरछा]] में स्थित है। अपने प्राचीन वैभव का निरंतर बखान करता हुआ ओरछा का विशाल राजमहल एक मिसाल है। इस ऐतिहासिक महल का निर्माण भी महाराज [[वीरसिंह बुन्देला|वीरसिंह जू देव]] ने सन् 1616 ई. में करवाया था। | '''राजमहल''' [[मध्य प्रदेश]] के ऐतिहासिक स्थान [[ओरछा]] में स्थित है। अपने प्राचीन वैभव का निरंतर बखान करता हुआ ओरछा का विशाल राजमहल एक मिसाल है। इस ऐतिहासिक महल का निर्माण भी महाराज [[वीरसिंह बुन्देला|वीरसिंह जू देव]] ने सन् 1616 ई. में करवाया था। | ||
==स्थापत्य विशेषता== | ==स्थापत्य विशेषता== |
10:44, 15 फ़रवरी 2015 के समय का अवतरण
राजमहल, ओरछा
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विवरण | इस ऐतिहासिक महल का निर्माण महाराज वीरसिंह जू देव ने सन् 1616 ई. में करवाया था। |
स्थान | ओरछा |
राज्य | मध्य प्रदेश |
विशेषता | इस महल की सुदृढ़ता एवं आकर्षक भव्यता उस समय के कारीगरों एवं शिल्पियों की अद्भुत प्रतिभा व अनूठी निर्माण कला का प्रमाण है। महल के अंदर अनगिनत विशाल कक्ष हैं। |
अन्य जानकारी | वर्तमान में यह महल पुरातत्व विभाग के संरक्षण में है। |
राजमहल मध्य प्रदेश के ऐतिहासिक स्थान ओरछा में स्थित है। अपने प्राचीन वैभव का निरंतर बखान करता हुआ ओरछा का विशाल राजमहल एक मिसाल है। इस ऐतिहासिक महल का निर्माण भी महाराज वीरसिंह जू देव ने सन् 1616 ई. में करवाया था।
स्थापत्य विशेषता
- इस महल की सुदृढ़ता एवं आकर्षक भव्यता उस समय के कारीगरों एवं शिल्पियों की अद्भुत प्रतिभा व अनूठी निर्माण कला का प्रमाण है। महल के अंदर अनगिनत विशाल कक्ष हैं।
- इस महल के दरबारे- आम की भव्यता देखकर तत्कालीन शासकों के शाही ठाठ-बाट का सहज आभास हो उठता है। इस महल के नीचे विशालतम घर है बहुत समय से तलघरों की सफाई न होने के कारण वे खतरनाक हो गए हैं। अत: राज्य शासन ने उनके अंदर जाने की मनाही कर दी है। इन्हीं तलघरों से होकर अन्य महलों के लिए गुप्त रास्ते बने हुए हैं।
- दतिया (मध्य प्रदेश) के पुराने महल के लिए भी इस महल से एक गुप्त रास्ता जमीन के अन्दर से होकर जाता है।
- वर्तमान में यह महल पुरातत्व विभाग के संरक्षण में है।
- महल के सभी भाग समग्र रूप से प्राचीन हिन्दू स्थापत्य कला एवं वास्तुकला का परिपूर्ण मिश्रण प्रस्तुत करते हैं।
- इन महलों के अतिरिक्त दरबारी नर्तकी राव प्रवीण का महल, सुन्दर महल, ऐतिहासिक फूल बाग, कवीन्द्र केशव भवन, हाथी दरवाजा, रामबाग, चतुर्भुज मंदिर, गगनचुम्बी स्तम्भ ‘सावन भादों’, कंचनघाट स्थित महर्षि तुंग की तपोभूमि तुंगारेन तथा बेतवा तट पर बनी ओरछा नरेशों की विशाल समाधियां जो भव्य मंदिरों के समान लगती हैं, ऐसे दर्शनीय स्थल हैं जो पर्यटकों के लिए आकर्षण का केन्द्र बने हुए हैं।
- ओरछा महारानी लक्ष्मीबाई की ऐतिहासिक नगरी ‘झांसी’ से लगभग 19 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यहां पहुंचने के लिए प्रचुर मात्रा में बसें व टैक्सियां झांसी में हमेशा उपलब्ध रहती हैं। झांसी मानिकपुर ब्रांच लाइन में रेलवे का भी झांसी से पहला स्टेशन ‘ओरछा’ है। [1]
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ सिंह, डॉ. विभा। ओरछा : स्थापत्य कला का अजब नमूना (हिन्दी) दैनिक ट्रिब्यून। अभिगमन तिथि: 14 फ़रवरी, 2015।
बाहरी कड़ियाँ
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