"दहेज प्रथा": अवतरणों में अंतर
गोविन्द राम (वार्ता | योगदान) No edit summary |
No edit summary |
||
(एक दूसरे सदस्य द्वारा किया गया बीच का एक अवतरण नहीं दर्शाया गया) | |||
पंक्ति 1: | पंक्ति 1: | ||
{{ | {{सूचना बक्सा संक्षिप्त परिचय | ||
दहेज का | |चित्र=Dowry-Curse.jpg | ||
|चित्र का नाम=दहेज प्रथा | |||
|विवरण='दहेज प्रथा' विश्व के कई देशों में प्रचलित एक सामाजिक कुप्रथा है। आज [[भारत]] सहित कई देशों में इस कुप्रथा ने एक गम्भीर स्थिति उत्पन्न कर दी है। | |||
|शीर्षक 1=अन्य नाम | |||
|पाठ 1='हुँडा', 'वरदक्षिणा', 'जहेज़'<ref>भारत में प्रचलित शब्द</ref> | |||
|शीर्षक 2= | |||
|पाठ 2= | |||
|शीर्षक 3= | |||
|पाठ 3= | |||
|शीर्षक 4= | |||
|पाठ 4= | |||
|शीर्षक 5= | |||
|पाठ 5= | |||
|शीर्षक 6= | |||
|पाठ 6= | |||
|शीर्षक 7= | |||
|पाठ 7= | |||
|शीर्षक 8= | |||
|पाठ 8= | |||
|शीर्षक 9= | |||
|पाठ 9= | |||
|शीर्षक 10=विशेष | |||
|पाठ 10=दहेज का प्रयोग अक्सर न केवल [[विवाह]] के लिए स्त्री की वांछनीयता बढ़ाने के लिए हुआ, बल्कि बड़े [[परिवार|परिवारों]] में यह सत्ता और संपत्ति बढ़ाने और कई बार राज्यों की सीमा व नीतियों के निर्धारण का कारण बना। | |||
|संबंधित लेख=[[पर्दा प्रथा]], [[सती प्रथा]], [[डाकन प्रथा]], [[मौताना प्रथा]], [[नाता प्रथा]] | |||
|अन्य जानकारी=वर-वधू के परिवारों के बीच कई बार दहेज को लेकर सहमति न होने पर रिश्ते टूट जाते हैं। दहेज प्रथा के वीभत्स प्रमाण हैं, प्रताड़ना की घटनाएँ; जो अंतत: नवविवाहित वधुओं की 'दहेज हत्या' के रूप में परिणित होती हैं। | |||
|बाहरी कड़ियाँ= | |||
|अद्यतन= | |||
}} | |||
'''दहेज''' का अर्थ है जो सम्पत्ति, [[विवाह]] के समय वधू के [[परिवार]] की तरफ़ से वर को दी जाती है। दहेज को [[उर्दू]] में 'जहेज़' कहते हैं। [[यूरोप]], [[एशिया]], [[अफ्रीका]] और दुनिया के अन्य भागों में दहेज प्रथा का लंबा [[इतिहास]] है। [[भारत]] में इसे '''दहेज''', '''हुँडा''' या '''वरदक्षिणा''' के नाम से भी जाना जाता है तथा वधू के [[परिवार]] द्वारा नक़द या वस्तुओं के रूप में यह वर के परिवार को वधू के साथ दिया जाता है। संभवत: इस प्रथा को उन समाजों में महत्त्व प्राप्त हुआ होगा, जहाँ छोटी उम्र में [[विवाह]] प्रचलित रहे होंगे। | |||
==दहेज का उद्देश्य== | ==दहेज का उद्देश्य== | ||
दहेज का उद्देश्य नवविवाहित पुरुष को गृहस्थी जमाने में मदद करना था, जो अन्य आर्थिक संसाधनों के अभाव में शायद वह स्वयं नहीं कर सकता था। कुछ समाजों में दहेज का एक अन्य उद्देश्य था, पति की | दहेज का उद्देश्य नवविवाहित पुरुष को गृहस्थी जमाने में मदद करना था, जो अन्य आर्थिक संसाधनों के अभाव में शायद वह स्वयं नहीं कर सकता था। कुछ समाजों में दहेज का एक अन्य उद्देश्य था, पति की अकस्मात् मृत्यु होने पर पत्नी को जीवन निर्वाह में सहायता देना। दहेज के पीछे एक अवधारणा यह भी रही होगी कि पति, विवाह के साथ आई ज़िम्मेदारी का निर्वाह ठीक तरह से कर सके। वर्तमान युग में भी दहेज नवविवाहितों के जीवन-निर्वाह में मदद के उद्देश्य से ही दिया जाता है। | ||
==वधू मूल्य== | ==वधू मूल्य== | ||
एक प्रतिरोधी प्रथा है 'वधू-मूल्य', वधू के परिवार द्वारा उसके बदले बहुमूल्य नक़द या वस्तुओं की प्राप्ति। अत: वधू-मूल्य एक प्रकार का विनिमय है। दहेज और वधू-मूल्य के बारे में एक विशिष्ट तथ्य यह है कि दहेज ऊँची जतियों में प्रचलित है, जबकि वधू-मूल्य प्रधानत: निम्न जातियों और जनजातियों (आदिवासियों) में प्रचलित है। वधू-मूल्य के बारे में यह तर्क है कि जाति व्यवस्था में निम्न जातियाँ (वैश्य और [[शूद्र]]) अधिकांश शारीरिक एवं तुच्छ समझे जाने वाले कार्य करती हैं, परिवार में आने वाली एक वधू का अर्थ है, आय एवं कार्य के लिए अतिरिक्त श्रम, जबकि दुल्हन के परिवार में एक कमाने वाले सदस्य की कमी हो जाती है। इसलिए वधू-मूल्य द्वारा इसकी क्षतिपूर्ति की जाती है। | एक प्रतिरोधी प्रथा है 'वधू-मूल्य', वधू के परिवार द्वारा उसके बदले बहुमूल्य नक़द या वस्तुओं की प्राप्ति। अत: वधू-मूल्य एक प्रकार का विनिमय है। दहेज और वधू-मूल्य के बारे में एक विशिष्ट तथ्य यह है कि दहेज ऊँची जतियों में प्रचलित है, जबकि वधू-मूल्य प्रधानत: निम्न जातियों और जनजातियों (आदिवासियों) में प्रचलित है। वधू-मूल्य के बारे में यह तर्क है कि जाति व्यवस्था में निम्न जातियाँ ([[वैश्य]] और [[शूद्र]]) अधिकांश शारीरिक एवं तुच्छ समझे जाने वाले कार्य करती हैं, परिवार में आने वाली एक वधू का अर्थ है, आय एवं कार्य के लिए अतिरिक्त श्रम, जबकि दुल्हन के परिवार में एक कमाने वाले सदस्य की कमी हो जाती है। इसलिए वधू-मूल्य द्वारा इसकी क्षतिपूर्ति की जाती है। | ||
==दहेज का प्रयोग== | ==दहेज का प्रयोग== | ||
दहेज का प्रयोग अक्सर न केवल विवाह के लिए स्त्री की वांछनीयता बढ़ाने के लिए हुआ है, बल्कि बड़े परिवारों में यह सत्ता और संपत्ति बढ़ाने और कई बार राज्यों की सीमा व नीतियों के निर्धारण का कारण बना है। | दहेज का प्रयोग अक्सर न केवल विवाह के लिए स्त्री की वांछनीयता बढ़ाने के लिए हुआ है, बल्कि बड़े परिवारों में यह सत्ता और संपत्ति बढ़ाने और कई बार राज्यों की सीमा व नीतियों के निर्धारण का कारण बना है। | ||
==दहेज के सामाजिक प्रभाव== | ==दहेज के सामाजिक प्रभाव== | ||
दहेज प्रथा के अनेक सामाजिक-आर्थिक प्रभाव हैं तथा इसके कई सुनिश्चित विपरीत परिणाम हैं यद्यपि दहेज प्रथा दुनिया के अनेक देशों में प्रचलित है, परंतु भारत में इसने संकटपूर्ण स्थितियाँ निर्मित कर दी है। ढिंढोरा पीटा जाता है कि दहेज लेना या देना सामाजिक अपराध है और क़ानून द्वारा इसे प्रतिबंधित भी किया गया है, लेकिन यह बुराई जारी है। समाज के पढ़े-लिखे वर्ग में भी विवाह तय करते समय इसे चर्चा का आवश्यक अंग बनाया जाता है। विवाह के समय दहेज की वस्तुओं को सामाजिक हैसियत के रूप में प्रदर्शित किया जाता है। वर-वधू के परिवारों के बीच कई बार दहेज को लेकर सहमति न होने पर रिश्ते टूट जाते हैं। | दहेज प्रथा के अनेक सामाजिक-आर्थिक प्रभाव हैं तथा इसके कई सुनिश्चित विपरीत परिणाम हैं यद्यपि दहेज प्रथा दुनिया के अनेक देशों में प्रचलित है, परंतु भारत में इसने संकटपूर्ण स्थितियाँ निर्मित कर दी है। ढिंढोरा पीटा जाता है कि दहेज लेना या देना सामाजिक अपराध है और क़ानून द्वारा इसे प्रतिबंधित भी किया गया है, लेकिन यह बुराई जारी है। समाज के पढ़े-लिखे वर्ग में भी विवाह तय करते समय इसे चर्चा का आवश्यक अंग बनाया जाता है। विवाह के समय दहेज की वस्तुओं को सामाजिक हैसियत के रूप में प्रदर्शित किया जाता है। वर-वधू के परिवारों के बीच कई बार दहेज को लेकर सहमति न होने पर रिश्ते टूट जाते हैं। | ||
==दहेज से हानि== | ==दहेज से हानि== | ||
दहेज प्रथा के वीभत्स प्रमाण हैं, प्रताड़ना की घटनाएँ, जो अंतत: नवविवाहित वधुओं की 'दहेज हत्या' के रूप में परिणता होती हैं। लड़कियों के साथ बुरे बर्ताव, भेदभाव तथा कन्या भ्रूण और कन्या शिशुओं की हत्या जैसे जघन्य कृत्यों के रूप में सामने आने वाले इसके दुष्परिणाम दहेज प्रथा की उस क्रूरता को प्रदर्शित करते हैं, जिसका सामना समाज को अब भी करना है। | दहेज प्रथा के वीभत्स प्रमाण हैं, प्रताड़ना की घटनाएँ, जो अंतत: नवविवाहित वधुओं की 'दहेज हत्या' के रूप में परिणता होती हैं। लड़कियों के साथ बुरे बर्ताव, भेदभाव तथा कन्या भ्रूण और कन्या शिशुओं की हत्या जैसे जघन्य कृत्यों के रूप में सामने आने वाले इसके दुष्परिणाम दहेज प्रथा की उस क्रूरता को प्रदर्शित करते हैं, जिसका सामना समाज को अब भी करना है। | ||
पंक्ति 22: | पंक्ति 46: | ||
==संबंधित लेख== | ==संबंधित लेख== | ||
{{सामाजिक प्रथाएँ}} | {{सामाजिक प्रथाएँ}} | ||
[[Category:समाज सुधार]] | [[Category:समाज सुधार]][[Category:प्राचीन समाज]][[Category:सामाजिक प्रथाएँ]] | ||
[[Category:प्राचीन समाज]] | |||
[[Category:सामाजिक प्रथाएँ]] | |||
__INDEX__ | __INDEX__ | ||
__NOTOC__ |
11:24, 25 मार्च 2015 के समय का अवतरण
दहेज प्रथा
| |
विवरण | 'दहेज प्रथा' विश्व के कई देशों में प्रचलित एक सामाजिक कुप्रथा है। आज भारत सहित कई देशों में इस कुप्रथा ने एक गम्भीर स्थिति उत्पन्न कर दी है। |
अन्य नाम | 'हुँडा', 'वरदक्षिणा', 'जहेज़'[1] |
विशेष | दहेज का प्रयोग अक्सर न केवल विवाह के लिए स्त्री की वांछनीयता बढ़ाने के लिए हुआ, बल्कि बड़े परिवारों में यह सत्ता और संपत्ति बढ़ाने और कई बार राज्यों की सीमा व नीतियों के निर्धारण का कारण बना। |
संबंधित लेख | पर्दा प्रथा, सती प्रथा, डाकन प्रथा, मौताना प्रथा, नाता प्रथा |
अन्य जानकारी | वर-वधू के परिवारों के बीच कई बार दहेज को लेकर सहमति न होने पर रिश्ते टूट जाते हैं। दहेज प्रथा के वीभत्स प्रमाण हैं, प्रताड़ना की घटनाएँ; जो अंतत: नवविवाहित वधुओं की 'दहेज हत्या' के रूप में परिणित होती हैं। |
दहेज का अर्थ है जो सम्पत्ति, विवाह के समय वधू के परिवार की तरफ़ से वर को दी जाती है। दहेज को उर्दू में 'जहेज़' कहते हैं। यूरोप, एशिया, अफ्रीका और दुनिया के अन्य भागों में दहेज प्रथा का लंबा इतिहास है। भारत में इसे दहेज, हुँडा या वरदक्षिणा के नाम से भी जाना जाता है तथा वधू के परिवार द्वारा नक़द या वस्तुओं के रूप में यह वर के परिवार को वधू के साथ दिया जाता है। संभवत: इस प्रथा को उन समाजों में महत्त्व प्राप्त हुआ होगा, जहाँ छोटी उम्र में विवाह प्रचलित रहे होंगे।
दहेज का उद्देश्य
दहेज का उद्देश्य नवविवाहित पुरुष को गृहस्थी जमाने में मदद करना था, जो अन्य आर्थिक संसाधनों के अभाव में शायद वह स्वयं नहीं कर सकता था। कुछ समाजों में दहेज का एक अन्य उद्देश्य था, पति की अकस्मात् मृत्यु होने पर पत्नी को जीवन निर्वाह में सहायता देना। दहेज के पीछे एक अवधारणा यह भी रही होगी कि पति, विवाह के साथ आई ज़िम्मेदारी का निर्वाह ठीक तरह से कर सके। वर्तमान युग में भी दहेज नवविवाहितों के जीवन-निर्वाह में मदद के उद्देश्य से ही दिया जाता है।
वधू मूल्य
एक प्रतिरोधी प्रथा है 'वधू-मूल्य', वधू के परिवार द्वारा उसके बदले बहुमूल्य नक़द या वस्तुओं की प्राप्ति। अत: वधू-मूल्य एक प्रकार का विनिमय है। दहेज और वधू-मूल्य के बारे में एक विशिष्ट तथ्य यह है कि दहेज ऊँची जतियों में प्रचलित है, जबकि वधू-मूल्य प्रधानत: निम्न जातियों और जनजातियों (आदिवासियों) में प्रचलित है। वधू-मूल्य के बारे में यह तर्क है कि जाति व्यवस्था में निम्न जातियाँ (वैश्य और शूद्र) अधिकांश शारीरिक एवं तुच्छ समझे जाने वाले कार्य करती हैं, परिवार में आने वाली एक वधू का अर्थ है, आय एवं कार्य के लिए अतिरिक्त श्रम, जबकि दुल्हन के परिवार में एक कमाने वाले सदस्य की कमी हो जाती है। इसलिए वधू-मूल्य द्वारा इसकी क्षतिपूर्ति की जाती है।
दहेज का प्रयोग
दहेज का प्रयोग अक्सर न केवल विवाह के लिए स्त्री की वांछनीयता बढ़ाने के लिए हुआ है, बल्कि बड़े परिवारों में यह सत्ता और संपत्ति बढ़ाने और कई बार राज्यों की सीमा व नीतियों के निर्धारण का कारण बना है।
दहेज के सामाजिक प्रभाव
दहेज प्रथा के अनेक सामाजिक-आर्थिक प्रभाव हैं तथा इसके कई सुनिश्चित विपरीत परिणाम हैं यद्यपि दहेज प्रथा दुनिया के अनेक देशों में प्रचलित है, परंतु भारत में इसने संकटपूर्ण स्थितियाँ निर्मित कर दी है। ढिंढोरा पीटा जाता है कि दहेज लेना या देना सामाजिक अपराध है और क़ानून द्वारा इसे प्रतिबंधित भी किया गया है, लेकिन यह बुराई जारी है। समाज के पढ़े-लिखे वर्ग में भी विवाह तय करते समय इसे चर्चा का आवश्यक अंग बनाया जाता है। विवाह के समय दहेज की वस्तुओं को सामाजिक हैसियत के रूप में प्रदर्शित किया जाता है। वर-वधू के परिवारों के बीच कई बार दहेज को लेकर सहमति न होने पर रिश्ते टूट जाते हैं।
दहेज से हानि
दहेज प्रथा के वीभत्स प्रमाण हैं, प्रताड़ना की घटनाएँ, जो अंतत: नवविवाहित वधुओं की 'दहेज हत्या' के रूप में परिणता होती हैं। लड़कियों के साथ बुरे बर्ताव, भेदभाव तथा कन्या भ्रूण और कन्या शिशुओं की हत्या जैसे जघन्य कृत्यों के रूप में सामने आने वाले इसके दुष्परिणाम दहेज प्रथा की उस क्रूरता को प्रदर्शित करते हैं, जिसका सामना समाज को अब भी करना है।
|
|
|
|
|
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ भारत में प्रचलित शब्द
संबंधित लेख