"शाहजी भोंसले": अवतरणों में अंतर

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:नेविगेशन, खोजें
(''''शाहजी भोंसले / Shahji Bhonsle''' शाहजी भोंसले [[छत्रपति शिवाजी ...' के साथ नया पन्ना बनाया)
 
No edit summary
 
(5 सदस्यों द्वारा किए गए बीच के 12 अवतरण नहीं दर्शाए गए)
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
'''शाहजी भोंसले / Shahji Bhonsle'''
'''शाहजी भोंसले''' [[छत्रपति शिवाजी महाराज]] के [[पिता]] थे। इनकी पत्नी का नाम [[जीजाबाई]] था। शाहजी भोंसले चतुर तथा नीति-कुशल व्यक्ति थे। उन्होंने [[अहमदनगर]] के सुल्तान की सेना में सैनिक के रूप में अपना जीवन प्रारम्भ किया था और योग्यता बल पर धीरे-धीरे उच्च पद प्राप्त किया।


शाहजी भोंसले [[छत्रपति शिवाजी महाराज]] के पिता थे।
*शाहजी ने निजामशाही शासन के अन्तिम वर्षों में राज-निर्माता की प्रमुख भूमिका निभायी।
[[Category:मुग़ल साम्राज्य]] [[Category:मराठा साम्राज्य]] [[Category:इतिहास कोश]]
*[[मुग़ल]] [[शाहजहाँ|बादशाह शाहजहाँ]] द्वारा [[अहमदनगर]] पर अधिकार कर लेने के उपरान्त शाहजी ने 1636 ई. में [[बीजापुर]] में नौकरी कर ली तथा वहाँ भी यथेष्ट यश उपार्जित किया।
*[[कर्नाटक]] में उनको एक विशाल जागीर प्राप्त हुई। जब उनके पुत्र [[शिवाजी]] ने बीजापुर के राज्य में धावा मारना प्रारम्भ किया।
*शाहजी पर अपने पुत्र शिवाजी को उकसाने का संदेह किया गया। वह 4 वर्षों तक नज़रबंद रखा गये और मुग़ल सम्राट शाहजहाँ के ह्स्तक्षेप करने पर मुक्त हुए।
*1649 ई. में शाहजी ने बीजापुर के सुल्तान और शिवाजी में एक अस्थायी समझौता करा दिया, जिसके फलस्वरूप शिवाजी को निश्चिन्त होकर [[मुग़ल साम्राज्य]] के भू-भागों पर आक्रमण करने का अवसर प्राप्त हो गया। अपने पुत्र के उत्कर्ष में वह केवल इतना ही योगदान कर सके, जिसका नाम [[इतिहास]] में अमर है।
 
{{लेख प्रगति |आधार=|प्रारम्भिक= प्रारम्भिक1|माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध=}}
==संबंधित लेख==
{{मराठा साम्राज्य}}{{शिवाजी}}
[[Category:मुग़ल साम्राज्य]][[Category:मराठा साम्राज्य]][[Category:जाट-मराठा काल]][[Category:इतिहास कोश]][[Category:चरित कोश]][[Category:शिवाजी]]
__INDEX__
__INDEX__

08:50, 13 मई 2015 के समय का अवतरण

शाहजी भोंसले छत्रपति शिवाजी महाराज के पिता थे। इनकी पत्नी का नाम जीजाबाई था। शाहजी भोंसले चतुर तथा नीति-कुशल व्यक्ति थे। उन्होंने अहमदनगर के सुल्तान की सेना में सैनिक के रूप में अपना जीवन प्रारम्भ किया था और योग्यता बल पर धीरे-धीरे उच्च पद प्राप्त किया।

  • शाहजी ने निजामशाही शासन के अन्तिम वर्षों में राज-निर्माता की प्रमुख भूमिका निभायी।
  • मुग़ल बादशाह शाहजहाँ द्वारा अहमदनगर पर अधिकार कर लेने के उपरान्त शाहजी ने 1636 ई. में बीजापुर में नौकरी कर ली तथा वहाँ भी यथेष्ट यश उपार्जित किया।
  • कर्नाटक में उनको एक विशाल जागीर प्राप्त हुई। जब उनके पुत्र शिवाजी ने बीजापुर के राज्य में धावा मारना प्रारम्भ किया।
  • शाहजी पर अपने पुत्र शिवाजी को उकसाने का संदेह किया गया। वह 4 वर्षों तक नज़रबंद रखा गये और मुग़ल सम्राट शाहजहाँ के ह्स्तक्षेप करने पर मुक्त हुए।
  • 1649 ई. में शाहजी ने बीजापुर के सुल्तान और शिवाजी में एक अस्थायी समझौता करा दिया, जिसके फलस्वरूप शिवाजी को निश्चिन्त होकर मुग़ल साम्राज्य के भू-भागों पर आक्रमण करने का अवसर प्राप्त हो गया। अपने पुत्र के उत्कर्ष में वह केवल इतना ही योगदान कर सके, जिसका नाम इतिहास में अमर है।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

संबंधित लेख