"चित्र:Uttnga-And-Mdaynti.jpg": अवतरणों में अंतर
भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
No edit summary |
No edit summary |
||
(इसी सदस्य द्वारा किया गया बीच का एक अवतरण नहीं दर्शाया गया) | |||
पंक्ति 1: | पंक्ति 1: | ||
{{चित्र सूचना | {{चित्र सूचना | ||
|विवरण=मदयन्ती का उत्तंग को कुण्डल | |विवरण=मदयन्ती का [[उत्तंग]] को [[कुण्डल]] दान। | ||
|चित्रांकन= | |चित्रांकन= | ||
|दिनांक= | |दिनांक= | ||
पंक्ति 15: | पंक्ति 15: | ||
|अन्य विवरण= [[उत्तंग]] की [[गुरु]]-[[भक्ति]] देखकर [[गौतम ऋषि]] ने अपनी [[कन्या]] का [[विवाह]] इनके साथ कर दिया था। शिक्षा पूरी करने के बाद जब उत्तंग ने गौतम ऋषि से [[दक्षिणा|गुरु दक्षिणा]] के संबंध में पूछा, तो गुरुपत्नी ने सौदास की पत्नी 'मदयंती' के [[कुंडल]] लाकर देने को कहा। सौदास नरभक्षी [[राक्षस]] था। उत्तंग निर्भय उसके पास पहुंचे। | |अन्य विवरण= [[उत्तंग]] की [[गुरु]]-[[भक्ति]] देखकर [[गौतम ऋषि]] ने अपनी [[कन्या]] का [[विवाह]] इनके साथ कर दिया था। शिक्षा पूरी करने के बाद जब उत्तंग ने गौतम ऋषि से [[दक्षिणा|गुरु दक्षिणा]] के संबंध में पूछा, तो गुरुपत्नी ने सौदास की पत्नी 'मदयंती' के [[कुंडल]] लाकर देने को कहा। सौदास नरभक्षी [[राक्षस]] था। उत्तंग निर्भय उसके पास पहुंचे। | ||
}} | }} | ||
__INDEX__ | __INDEX__ |
10:25, 14 मई 2016 के समय का अवतरण
विवरण (Description) | मदयन्ती का उत्तंग को कुण्डल दान। |
आभार (Credits) | गीता प्रेस गोरखपुर |
अन्य विवरण | उत्तंग की गुरु-भक्ति देखकर गौतम ऋषि ने अपनी कन्या का विवाह इनके साथ कर दिया था। शिक्षा पूरी करने के बाद जब उत्तंग ने गौतम ऋषि से गुरु दक्षिणा के संबंध में पूछा, तो गुरुपत्नी ने सौदास की पत्नी 'मदयंती' के कुंडल लाकर देने को कहा। सौदास नरभक्षी राक्षस था। उत्तंग निर्भय उसके पास पहुंचे। |
चित्र का इतिहास
फ़ाइल पुराने समय में कैसी दिखती थी यह जानने के लिए वांछित दिनांक/समय पर क्लिक करें।
दिनांक/समय | अंगुष्ठ नखाकार (थंबनेल) | आकार | सदस्य | टिप्पणी | |
---|---|---|---|---|---|
वर्तमान | 09:56, 14 मई 2016 | ![]() | 859 × 1,344 (1.02 MB) | दीपिका वार्ष्णेय (वार्ता | योगदान) |
आप इस चित्र को ओवर्राइट नहीं कर सकते।
चित्र का उपयोग
यह पृष्ठ इस चित्र का इस्तेमाल करता है: