"आगें चले बहुरि रघुराया": अवतरणों में अंतर

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जरत सकल सुर बृंद बिषम गरल जेहिं पान किय।
आगें चले बहुरि रघुराया। रिष्यमूक पर्बत निअराया॥
तेहि न भजसि मन मंद को कृपाल संकर सरिस॥
तहँ रह सचिव सहित सुग्रीवा। आवत देखि अतुल बल सींवा॥1॥
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;भावार्थ
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श्री रघुनाथजी फिर आगे चले। [[ऋष्यमूक पर्वत]] निकट आ गया। वहाँ (ऋष्यमूक पर्वत पर) मंत्रियों सहित [[सुग्रीव]] रहते थे। अतुलनीय बल की सीमा श्री [[राम|रामचंद्रजी]] और [[लक्ष्मण|लक्ष्मणजी]] को आते देखकर-॥1॥
श्री रघुनाथजी फिर आगे चले। [[ऋष्यमूक पर्वत]] निकट आ गया। वहाँ (ऋष्यमूक पर्वत पर) मंत्रियों सहित सुग्रीव रहते थे। अतुलनीय बल की सीमा श्री रामचंद्रजी और लक्ष्मणजी को आते देखकर-॥1॥
 


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13:23, 17 मई 2016 के समय का अवतरण

आगें चले बहुरि रघुराया
रामचरितमानस
रामचरितमानस
कवि गोस्वामी तुलसीदास
मूल शीर्षक रामचरितमानस
मुख्य पात्र राम, सीता, लक्ष्मण, हनुमान, रावण आदि
प्रकाशक गीता प्रेस गोरखपुर
शैली चौपाई और दोहा
संबंधित लेख दोहावली, कवितावली, गीतावली, विनय पत्रिका, हनुमान चालीसा
काण्ड किष्किंधा काण्ड
चौपाई

आगें चले बहुरि रघुराया। रिष्यमूक पर्बत निअराया॥
तहँ रह सचिव सहित सुग्रीवा। आवत देखि अतुल बल सींवा॥1॥

भावार्थ

श्री रघुनाथजी फिर आगे चले। ऋष्यमूक पर्वत निकट आ गया। वहाँ (ऋष्यमूक पर्वत पर) मंत्रियों सहित सुग्रीव रहते थे। अतुलनीय बल की सीमा श्री रामचंद्रजी और लक्ष्मणजी को आते देखकर-॥1॥


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आगें चले बहुरि रघुराया
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चौपाई- चौपाई मात्रिक सम छन्द का एक भेद है। प्राकृत तथा अपभ्रंश के 16 मात्रा के वर्णनात्मक छन्दों के आधार पर विकसित हिन्दी का सर्वप्रिय और अपना छन्द है। गोस्वामी तुलसीदास ने रामचरितमानस में चौपाई छन्द का बहुत अच्छा निर्वाह किया है। चौपाई में चार चरण होते हैं, प्रत्येक चरण में 16-16 मात्राएँ होती हैं तथा अन्त में गुरु होता है।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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